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थाई राजकुमारी ने पीएम उम्मीदवार बन तोड़ी शाही परंपरा

८ फ़रवरी २०१९

थाईलैंड की राजकुमारी उबोलरत्ना ने देश की नई प्रधानमंत्री बनने की चुनावी दौड़ में हिस्सा लेने की घोषणा कर देश में एक नया इतिहास रच दिया है.

Thailand Prinzessin Ubolratana Rajakanya
तस्वीर: picture alliance/dpa/SOPA via ZUMA Wire/G. Payen

यह पहली बार होगा जब थाईलैंड के शाही परिवार का कोई सदस्य लोकतांत्रिक पद पाने के लिए चुनाव में खड़ा हो. उनकी पार्टी थाई रक्षा चार्ट पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन चिनावट की समर्थक मानी जाती है. पहले थकसिन और फिर प्रधानमंत्री बनी उनकी छोटी बहन यिंगलक ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते देश छोड़ दिया था, जिसके बाद चिनावट परिवार के राजनीतिक युग का अंत तय माना जा रहा था. लेकिन देश से दूर होने के बावजूद चिनावट परिवार का थाई राजनीति में दखल बना हुआ है. और अब राजकुमारी की पार्टी का समर्थन मिलना उनकी राजनीति में वापसी की ओर इशारा हो सकती है. इससे पहले शाही परिवार किसी राजनीतिक दल का पक्ष लेते नहीं देखा गया था.

अमेरिकी से शादी करने के कारण थाई राजकुमारी को छोड़ने पड़े थे शाही खिताब. तलाक के बाद वापस थाईलैंड जाकर बसीं. तस्वीर: Getty Images/K. Dowling

थाईलैंड में राजा और शाही परिवार का बहुत सम्मान है और उनके खिलाफ कुछ भी कहना या करना बर्दाश्त नहीं किया जाता. ऐसे में सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री पद के लिए जो कोई भी उम्मीदवार खड़ा होता है वह शाही परिवार के खिलाफ दिखेगा. ऐसे में अपनी उम्मीदवारी पेश करने वाले वर्तमान प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओचा के साथ चुनावी मुकाबला बराबरी का नहीं माना जा सकता. 2014 में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का तख्तापलट करने के बाद से देश का शासन चला रहे प्रधानमंत्री असल में सेना की ओर से काम कर रहे हैं और देश की सेना हमेशा शाही परिवार की वफादार रही है. ऐसे में उनके लिए राजकुमारी को पीएम पद के लिए चुनौती देने की स्थिति भी देश के इतिहास में बिल्कुल नई है. हालांकि उन्होंने देश के संविधान और चुनावी कानूनों में ऐसे बदलाव किए हैं जिससे किसी ऐसे व्यक्ति का चुन कर आना कठिन होगा, जिसे सेना का समर्थन हासिल ना हो. थाईलैंड में चुनाव 24 मार्च को होने हैं. 

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में दक्षिणपूर्व एशियाई मामलों के जानकार और राजनीति विशेषज्ञ एलेन हिकेन कहते हैं, "यह कदम एक गेम चेंजर है." वे बताते हैं कि अगर चिनावट-समर्थक पार्टी चुनाव जीत जाती है तो सेना और शाही समर्थकों के लिए ऐसे चुनावी नतीजों पर सवाल उठाना, उसका विरोध करना और उन्हें रद्द करवाने की कोशिश करना बहुत कठिन हो जाएगा. हिकेन कहते हैं, "अगर मान लें कि राजकुमारी उबोलरत्ना राजा की सहमति से ऐसा कर रही हैं तो इसका मतलब ये भी हो सकता है कि राजा खुद शाही परिवार को सेना से अलग दिखाना चाहते हों. हालांकि अभी निश्चित तौर पर ऐसा नहीं कहा जा सकता है." 

2018 कान फिल्म महोत्सव में थाई फिल्मों के समर्थन में पहुंची राजकुमारी उबोलतत्ना तस्वीर: picture-alliance/Mandoga Media

2016 में थाईलैंड के राजा भूमिबोल अदुल्यादेज ने दुनिया को अलविदा कहा था. राजकुमारी उबोलरत्ना उनकी सबसे पहली संतान थीं, जो अब 67 साल की हैं. राजा की दूसरी संतान एक बेटा था, जो कि अब थाईलैंड के राजा हैं. सन 1972 में राजकुमारी ने एक अमेरिकी से शादी की और उसके साथ अमेरिका रहने चली गईं. इसी के साथ उनसे सर्वोच्च शाही खिताब भी छिन गए. वे अपने पति से मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ाई के दौरान मिली थीं. उनके तीन बच्चे हैं जिनमें से एक की सुनामी की चपेट में आने से असमय मौत हो गई. सन 2001 में राजकुमारी अपने अमेरिकी पति से तलाक लेकर वापस थाईलैंड आ गईं और तब से खुद को समाजसेवा के कामों में लगा दिया. उनकी एक संस्था "टू बी नंबर वन" युवाओं को ड्रग्स से दूर करने का काम करती है. इसके अलावा उन्होंने थाईलैंड में पर्यटन और थाई फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ावा देने की दिशा में भी काफी काम किया है.

थाईलैंड के वर्तमान राजा महा वजीरालॉन्गकॉर्न राजा भूमिबोल की दूसरी संतान हैं और राजकुमारी उबोलरत्ना पहली. तस्वीर: Reuters/D.Sagolj

2001 में उद्योगपति थाकसिन चिनावट के प्रधानमंत्री चुने जाने से देश में एक नए तरह की राजनीतिक उठापटक की शुरुआत हुई. लोकलुभावन नीतियों के कारण शाही परिवार और सेना दोनों ही उन्हें नापसंद करते थे और उनके शासन काल में दो बार सैन्य तख्तापलट की कोशिशें भी हुईं. फिर 2008 में थाकसिन स्वघोषित निर्वासन में चले गए. वे खुद पर लगे आरोपों को झूठ और राजनीति से प्रेरित बताते रहे और देश में अपने अपराधों के लिए जेल की सजा काटने की बजाए देश छोड़ कर चले गए. फिर उऩकी बहन यिंगलक चिनावट के साथ भी कुछ ऐसी ही कहानी दोहराई गई.

आरपी/एमजे (एपी, एएफपी)

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