दूसरे लोगों की तरह अपना रोजगार करने पर इन्हें सरकारी छापे, असुरक्षा और भेदभाव झेलना पड़ता है. थाईलैंड की सेक्स वर्कर पूछती हैं कि बजाए कार्यस्थल को बेहतर बनाने के उनसे उनका काम बदलने को क्यों कहा जाता है.
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थाईलैंड के उत्तर में चिआंग माई शहर के 'कैन डू बार' में बैठी सारी महिलाएं सेक्स वर्कर हैं. यहीं वे अपने ग्राहकों से मिलती हैं. वे इस बार की सामूहिक मालकिन भी हैं. आम तौर पर देश की बाकी सेक्स वर्करों को ना मिलने वाली चीजें इन्हें मिलती हैं, जैसे स्वास्थ्य बीमा, काम के तय घंटे और ब्रेक भी.
इस बार की शुरुआत 2006 में हुई थी. बैंकॉक की विश्व प्रसिद्ध रेड लाइट डिस्ट्रिक में इसे स्थापित किया था एक गैरलाभकारी संगठन 'एमपावर फाउंडेशन' ने. मकसद था सेक्स उद्योग से जुड़ी महिलाओं को काम के लिए एक अच्छा माहौल देना.
सेक्स उद्योग से जुड़े हजारों थाई और प्रवासी लोगों ने एमपावर के इस प्रयोग से काफी कुछ सीखा है. जैसे कि बार और मसाज पार्लर मालिकों से अपने काम के लिए सही कीमत के लिए मोलभाव करना, काम के लिए बेहतर नियम बनवाना और सरकार पर इसका दबाव बनाना कि उनके काम को मान्यता मिले जिससे उनकी आय, सुरक्षा और हालात सुधरें.
करीब आठ सालों से सेक्स के पेशे में लगी 30 साल की माई चांता बताती है, "लोग हमें बोलते हैं कि ये काम बंद करके हमें सिलाई कढ़ाई या कुछ खाना पकाने जैसा काम करना चाहिए. लेकिन मैं पूछती हूं कि केवल ऐसे ही काम उचित क्यों माने जाते हैं?" माई कहती है कि "हमने यही काम चुना है और हमें इसमें गर्व है. हमें संतोष है कि हम भी बाकी लोगों की तरह ही काम करते हैं."
दुनिया भर में लाखों महिलाएं सेक्स वर्क से पैसे कमाने का रास्ता चुनती हैं. फिर भी केवल कुछ ही देशों में इसे वैध माना जाता है. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जर्मनी, नीदरलैंड्स, सेनेगल और पेरू जैसे गिने चुने देशों के अलावा बाकी सब जगह ये वर्कर तरह तरह के दुर्व्यवहार के शिकार बनते हैं.
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दुनिया के सबसे बड़े देह बाजार
हैवोकस्कोप रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कई देशों में होने वाले देह व्यापार के आंकड़े जमा किये हैं. इसमें भारत को भी बड़ा बाजार बताया गया है. एक नजर इन देशों पर.
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12. इंडोनेशिया: 2.25 अरब डॉलर
इंडोनेशिया में देह व्यापार गैरकानूनी है. इसे नैतिक अपराध माना जाता है. लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में देह व्यापार काफी फैला हुआ और संगठित है. यूनिसेफ के मुताबिक इंडोनेशिया में देह व्यापार से जुड़ी 30 फीसदी युवतियां नाबालिग है.
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11. स्विट्जरलैंड: 3.5 अरब डॉलर
स्विट्जरलैंड में देह व्यापार के अड्डे को आम तौर पर "सेक्स रूम" कहा जाता है. इसे सरकार से वित्तीय मदद भी मिलती है. यह शहर के केंद्र से बाहर होते हैं. वहां शावर, लॉकर, डेस्क और वॉशिंग मशीन भी होती है. ज्यूरिख शहर ने तो देह व्यापार के ठिकाने को शहर से दूर बसाने के लिए 26 लाख डॉलर भी दिए.
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10. तुर्की: 4 अरब डॉलर
तुर्की में देह व्यापार कानूनी है लेकिन देह व्यापार को बढ़ावा देना प्रतिबंधित है. तुर्की का अप्रावसन कानूनी देह व्यापार के लिए तुर्की आने की इजाजत नहीं देता है. लेकिन इसके बावजूद तुर्की 10वें नबंर पर है.
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9. फिलीपींस: 6 अरब डॉलर
देह व्यापार फिलीपींस में गैरकानूनी है. लेकिन सब जानते हैं कि फिलीपींस सेक्स टूरिज्म के लिए किस हद तक बदनाम है. बहुत ज्यादा गरीबी और इंटरनेट तक आसान पहुंच ने इस देश को सेक्स टूरिज्म के लिए चुंबक जैसा बना दिया है. बच्चे और नाबालिग भी इसका शिकार हो रहे हैं.
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8. थाइलैंड: 6.4 अरब डॉलर
यह देश भी सेक्स टूरिज्म के लिए मशहूर है. थाइलैंड में देह व्यापार कानूनी है. यहां खास जगहों पर ही देह व्यापार की अनुमति है. स्थानीय अधिकारी कभी कभार यौनकर्मियों की रक्षा भी करते हैं. वियतनाम युद्ध के बाद से ही थाइलैंड सेक्स टूरिज्म के लिए मशहूर हुआ.
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7. भारत: 8.4 अरब डॉलर
आबादी के लिहाज से दुनिया के दूसरे बड़े देश, भारत में देह व्यापार से जुड़ा कानून बड़ा उलझा हुआ है. पैसे के लिए सेक्स करना कानूनी है लेकिन सार्वजनिक जगहों पर, होटल में ऐसा करना, अड्डा चलाना या इसे बढ़ावा देना गैरकानूनी है. निजी आवास में बालिग के साथ आपसी सहमति से सेक्स करना कानूनी है.
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6. दक्षिण कोरिया: 12 अरब डॉलर
हालांकि दक्षिण कोरिया में यह गैरकानूनी है लेकिन कोरियन वुमेन्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी बयान करती है. दक्षिण कोरिया में देह व्यापार का कारोबार 12-13 अरब डॉलर का है. यह जीडीपी का 1.6 फीसदी है. रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण कोरिया के 20 से 64 साल के 20 फीसदी पुरुष महीने में औसतन 580 डॉलर देह व्यापार पर खर्च करते हैं.
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5. अमेरिका: 14.6 अरब डॉलर
अमेरिका में आम तौर पर देह व्यापार कानूनी है. हालांकि नेवाडा राज्य के कुछ इलाकों में यह गैरकानूनी है. अमेरिका में देह व्यापार के लिए आधिकारिक तौर पर आवेदन किया जा सकता है. इस कारोबार से जुड़े लोगों को टैक्स, कर्मचारियों की हिफाजत, न्यूनतम मजदूरी, बीमा, मेडिकल जांच के नियम मानने पड़ते हैं.
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4. जर्मनी: 18 अरब डॉलर
अनुमान के मुताबिक जर्मनी में 40,000 सेक्स वर्कर हैं. यह कानूनी है लेकिन सामाजिक दशा और अधिकारों से जुड़े कई नियम हैं. यौनकर्मियों को दूसरे पेशों की तरह सामाजिक सुरक्षा मिल सकती है. देह व्यापार के लिए मजबूर करना या स्थिति का लाभ उठाना अपराध है.
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3. जापान: 24 अरब डॉलर
देह व्यापार जापान के इतिहास के साथ जुड़ा है. 1956 के एंटी प्रोस्टिट्यूशन एक्ट के मुताबिक, "कोई भी व्यक्ति यौनकर्मी नहीं बनेगा और ना ही ग्राहक बनेगा." कानूनी कमियों के चलते जापान में सेक्स उद्योग शुरू हुआ, यह उद्योग खुद को देह व्यापार नहीं कहता है.
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2. स्पेन: 26.5 अरब डॉलर
यूएन यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 39 फीसदी स्पेनिश पुरुषों ने एक बार यौनकर्मी से संबंध बनाए हैं. 2009 में स्पेन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्वे किया जिसमें 32 फीसदी पुरुषों ने यह स्वीकारा. यह हॉलैंड और ब्रिटेन की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा है.
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1. चीन: 73 अरब डॉलर
दुनिया का सबसे बड़ा यौन कारोबार उस देश में होता है जहां देह व्यापार गैरकानूनी है. चीन में सरकार यौनकर्मियों के साथ अपराधियों की तरह पेश आती है. समय समय पर छापे मारे जाते हैं लेकिन इसके बावजूद चीन के मसाज पार्लरों, बारों और नाइट क्लबों में यह फलता फूलता रहा है.
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थाईलैंड में इतनी बड़ी सेक्स इंडस्ट्री होने के बावजूद इस काम से जुड़े लोगों के प्रति बहुत दुराग्रह हैं. देह व्यवसाय करना अवैध है और इसके लिए सजा और जुर्माना हो सकती है. कम उम्र की लड़कियों से सेक्स करने वाले ग्राहकों को छह साल तक की जेल हो सकती है.
2014 की यूएनएड्स रिपोर्ट के अनुसार थाईलैंड में करीब सवा लाख सेक्स वर्कर हैं. एडवोकेसी समूहों की मानें तो असली संख्या इसके दोगुनी होगी, जिसमें पड़ोसी देशों म्यांमार, लाओस, कम्बोडिया और वियतनाम से आए हजारों प्रवासी भी शामिल हैं.
थाईलैंड में इस स्तर पर सेक्स इंडस्ट्री तब फैली, जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने यहां अपनी मिलिट्री बेस बनाया था. फिर वियतनाम युद्ध के दौरान इसका और विस्तार हुआ, जब अमेरिकी सेनाएं खाली समय में मनोरंजन के लिए बैंकॉक जाने लगीं.
यूरोप की ये बदनसीब सेक्स वर्कर
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बाद के सालों में थाईलैंड को उसके सेक्स इंडस्ट्री के लिए ही जाना जाने लगा. लोग न्यूनतम आय के दोगुनी से दस गुनी तक कमाई कर पाते हैं. लेकिन 1960 में बने एक कानून के अनुसार यहां सेक्स वर्क अवैध है इसलिए अधिकारियों और पुलिसवालों को पैसे खिलाकर काम चलता आया है.
हाल के सालों में वर्करों को उनके मानवीय, श्रम और नागरिक अधिकार दिलाने के अभियान चलने लगे हैं. 1970 के दशक में कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसे ही अभियान चले थे. इसे वैधता दिला कर सेक्स के पेश से जुड़ी बदनामी को कम करने और इससे जुड़े लोगों के कामकाज की स्थिति सुधारने और मानव तस्करी रोकने की दिशा में बढ़ा जा सकेगा.
कैन डू बार की महिला सेक्स वर्करों को आशा है कि वो दिन आएगा. एमपावर की सदस्य पिंग पॉन्ग कहती हैं, "जब हमने शुरु किया तब कहा गया कि 'तुम सेक्स वर्कर हो - तुम्हें सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल सकती, छुट्टी नहीं मिल सकती' लेकिन हमें मिला." वे बताती हैं कि "हम अपने लिए ये काम करने के लिए किसी और का इंतजार नहीं कर सकते. अब नई सरकार है और हम नए श्रम मंत्री का दरवाजा खटखटाने को तैयार हैं."
दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है. कोलकाता में इस बार एक आयोजन पूजा समिति ने एशिया की सबसे बड़ी देहमंडी सोनागाछी की यौनकर्मियों के संघर्ष और सफर को ही अपनी थीम बनाया है.
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नई पहल
दुर्गा पूजा पर पश्चिम बंगाल में बनने वाले पंडालों में पूरे साल की प्रमुख घटनाओं का चित्रण साज-सज्जा और बिजली की सजावट के जरिए किया जाता है. लेकिन इस बार अहिरिटोला युवकवृंद नाम पूजा आयोजन समिति ने कुछ खास करने की सोची.
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यौन कर्मियों का संघर्ष
समिति ने सोनागाछी की यौन कर्मियों के संघर्ष को अपनी थीम बनाया. इसके लिए पंडाल तक जाने वाली सड़क पर लगभग साढ़े तीन सौ फीट लंबी कलाकृति बनाई गई है. आसपास की दीवारों पर बने चित्र भी इन लोगों के संघर्ष को दर्शाते हैं.
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पूजा में भागीदारी
दुर्गा पूजा में वेश्यालय से मिट्टी लिए बिना देवी की प्रतिमा नहीं बनाई जा सकती. बंगाल में यह परंपरा सदियों पुरानी है. लेकिन इस बार यौन कर्मियों के बनाए चित्र और रंगोली पूजा का हिस्सा बन रहे हैं. इन्हें बनाने में कई जाने-माने कलाकारों की मदद भी ली गई.
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यौन कर्मियों का योगदान
कुछ तस्वीरों में समाज के प्रति इन यौनकर्मियों के योगदान को भी दर्शाया गया है. इस आयोजन में अहिरिटोला युवकवृंद ने यौन कर्मियों के हितों के लिए काम करने वाले सबसे बड़े संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति की भी सहायता ली है.
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अनूठी पहल
दुर्बार महिला समन्वय समिति का कहना है कि बंगाल के इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई दुर्गा पूजा समिति यौन कर्मियों के संघर्ष और जीवन की कहानी आम लोगों के सामने रख रही है. इससे शायद उनके प्रति लोगों का नजरिया बदले.
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समाज का हिस्सा
आयोजकों का कहना है कि यौन कर्मी भी हमारे समाज का हिस्सा हैं, लेकिन हम कभी उनके जीवन या संघर्ष के बारे में जानने का प्रयास नहीं करते. त्योहारों में भी उन्हें शामिल नहीं किया जाता जबकि वे भी समाज के दूसरे लोगों की तरह सम्मान और गरिमा के हकदार हैं.
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अहम योगदान
आयोजकों का कहना है कि ज्यादातर यौन कर्मी मानव तस्करों के चंगुल में फंस कर इस पेशे में आती हैं. या फिर उनके सामने घर-परिवार को चलाने की मजबूरी होती है. वे एक मां की भूमिका भी निभाती हैं. ऐसे में, उनकी अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
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सियासत
दुर्गा पूजा के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी पंडालों के उद्घाटन में व्यस्त रहती हैं. दरअसल बंगाल में राजनीतिक दलों के लिए भी यह आयोजन जनसंपर्क का सबसे बड़ा मौका होता है. अगले साल होने वाले आम चुनाव ने इस बार की पूजा को और अहम बढ़ा दिया है.