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थॉमस के खिलाफ केस पर 'अनजान' थे पीएम

८ मार्च २०११

पीजे थॉमस की सीवीसी के पद पर नियुक्ति के मामले में अपना बचाव करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि उन्हें थॉमस के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले का पता नहीं था. जानकारी न होने की जिम्मेदारी पृथ्वीराज चव्हाण पर डाली.

तस्वीर: AP

प्रधानमंत्री का कहना है कि चयन समिति को जो नोट दिया गया था उसमें पीजे थॉमस के खिलाफ केस होने की कोई जानकारी नहीं थी. राज्यसभा में दिए अपने बयान में मनमोहन सिंह ने कहा, "पिछले साल 3 सितंबर को चयन समिति की बैठक होने तक उन्हें नहीं पता था कि पीजे थॉमस के खिलाफ चार्जशीट है."

पीएम के मुताबिक उन्होंने यह सोचकर मंजूरी दे दी कि थॉमस को सतर्कता विभाग से तो मंजूरी मिल ही चुकी है. थॉमस केरल में मुख्य सचिव और केंद्र सरकार में सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं.

इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने थॉमस की नियुक्ति के मामले में जवाबदेही और जिम्मेदारी को स्वीकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में पीजे थॉमस की नियुक्ति को अवैध करार दिया है.

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री से कुछ मु्द्दों पर स्पष्टीकरण मांगा था जिसके जवाब में मनमोहन सिंह ने बयान दिया है. सिंह ने कहा, "जब मैं बैठक के लिए गया, तब तक मुझे थॉमस के खिलाफ पॉमोलीन ऑयल केस के बारे में नहीं पता था."

मनमोहन सिंह के मुताबिक उन्हें इस चार्जशीट के बारे में तभी पता चला जब लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बैठक में यह मुद्दा उठाया. प्रधानमंत्री ने बताया कि इस तरह की चयन समिति के लिए नोट डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनेल तैयार करता है और उनके नोट में चार्जशीट के बारे में नहीं लिखा गया था. जिस समय थॉमस का चयन किया गया, उस दौरान इस विभाग की जिम्मेदारी महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण संभाल रहे थे.

जब प्रधानमंत्री से पूछा गया कि चार्जशीट का पता लगने के बावजूद उन्होंने थॉमस के नाम को मंजूरी क्यों दी तो उन्होंने कहा, "थॉमस को केरल सरकार ने मुख्य सचिव नियुक्त किया, फिर भारत सरकार के दो विभागों में वह सचिव पद पर रहे. मुझे लगा कि सतर्कता विभाग ने इस बारे में जरूर देखा होगा और यही सोचकर हमने उनके नाम पर मुहर लगा दी." हालांकि प्रधानमंत्री के जवाब से वामदल संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने वॉकआउट किया.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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