थ्री डी पेन के साथ रची जा रही है कला
३१ अगस्त २०१८Making art with a 3-D pen
मोना लिसा की 7 बातें जो शायद आप नहीं जानते...
मोना लिसा की 7 बातें जो शायद आप नहीं जानते...
सदियों पुरानी रहस्यमयी मुस्कान वाली यह महिला दुनिया भर के कलाकारों, फिल्मकारों और लेखकों को प्रेरित करती रही है. बात महान पेंटर लियोनार्दो द विंची की मशहूर पेंटिंग मोना लिसा की हो रही है.
कौन थी मोना लिसा
इस बात को लेकर बहुत अटकलें लगती हैं कि 16वीं सदी की शुरुआत में वह कौन शख्स था जिसकी तस्वीर लियोनार्दो द विंची ने इस पेंटिंग में उकेरी है. एक थ्योरी यह है कि उनके सामने इस पोट्रेट के लिए महिला और पुरूष दोनों ही बैठे थे. लेकिन सबसे प्रचलित किस्सा यह है कि मोना लिसा असल में लीसा दे जियोकोंदो थीं जो फ्लोरेंस के एक सिल्क कारोबारी की पत्नी थी.
मोना लिसा के चाहने वाले
1519 में लियोनार्दो द विंची की मौत के बाद मोना लिसा की पेंटिंग फ्रांस के राजाओं के प्राइवेट कलेक्शन का हिस्सा बन गयी. फ्रांस की क्रांति के बाद इसे बड़े सम्मान के साथ नेपोलियन के शयनकक्ष में जगह दी गयी. लेकिन 1815 से इसे पेरिस के मशहूर लूव्रे म्यूजियम में रखा गया है जहां जाकर कोई भी इसे देख सकता है. हां इसके लिए टिकट जरूर लेना होगा.
मोना लिसा की जुड़वां
मैड्रिड के म्यूसेओ दे प्रादों में कुछ समय से मोना लिसा की जुड़वां पेंटिंग रखी गयी है. 2012 में पता चला कि इस पेंटिंग को मोना लिसा के साथ ही बनाया गया था. यह पेंटिंग हर मायने में हूबहू मोना लिसा जैसी नजर आती है. बताया जाता है कि इस पेंटिंग को फ्रांसिस्को मेल्जी से बनाया था, जो दा विंची के ही शिष्य थे.
जब गायब हो गयी मोना लिसा
1911 में मोना लिसा को लूव्रे म्यूजियम से चुरा लिया गया. इसके पीछे हाथ था पेरिस में रहने वाले एक इतालवी व्यक्ति का. वह इसे वापस इटली ले जाना चाहता था. दो साल तक यह पेंटिंग गायब रही, लेकिन पुलिस ने आखिरकार चोर को गिरफ्तार कर लिया. पेंटिंग वापस लूव्रे म्यूजिम में आयी और फिर इसे देखने वालों का तांता लग गया.
हमलों की शिकार
बार नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गयी. एक व्यक्ति ने तो इस पर तेजाब फेंक दिया था जिससे पेंटिंग को बहुत नुकसान हुआ. इसके बाद वोलिविया के सैलानी ने इस पर पत्थर फेंका. इन्हीं घटनाओं के मद्देनजर मोना लिसा को बुलेट प्रूफ कांच से ढक दिया गया. यही वजह है कि 2009 में जब एक सैलानी ने पेंटिंग पर मग फेंका को उसे कुछ नुकसान नहीं हुआ.
मुस्कान का राज
न जाने कितने वैज्ञानिकों और इतिहासकारों ने इस पेंटिंग का विश्लेषण किया है और हैरान करने वाली जानकारियां पेश की हैं. लेकिन मोना लिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज 2008 में पता चला. दरअसल यह पेंटिंग की खास तकनीक "स्फुमाटो" का कमाल है. दा विंची ने पेंट की कई पतली परतों के जरिए इसे मुमकिन बनाया. ब्लर इफेक्ट और रंगों के खास संगम ने इस पेंटिंग को अमर बन दिया.
लंबा इतिहास
मोना लिसा ना सिर्फ कला जगत की सबसे नामचीन पेंटिंगों में शुमार होती है बल्कि इसने बहुत से कलाकारों को भी प्रेरित किया है, जिनमें जोसेफ बॉयस से लेक एंडी वारहोल तक के नाम लिये जा सकते हैं. 20वीं सदी की मीडिया आइकन होने की वजह आप उसे साहित्य, संगीत और विज्ञापन सब जगह पायेंगे. बीते पांच सौ से यह मुस्कराती महिला आगे भी सबको अपनी तरफ खींचती रहेगी.