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दक्षिणी ध्रुव पर नया जीवन

८ मार्च २०१३

रूस का कहना है कि उसके वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव पर ऐसे जीवन का पता लगाया है, जो लाखों करोड़ों साल से बर्फ की मोटी परतों के नीचे छिपा था. इसके लिए दशकों लंबा रिसर्च चला.

***Achtung: Nur zur mit International Polar Foundation abgesprochenen Berichterstattung verwenden!*** Ein internationales Forschungsteam von der belgischen Antarktisstation Princess Elisabeth Antarctica, unterstützt von der International Polar Foundation, untersucht im Rahmen der Projekte IceCon und Be:Wise die antarktische Eiskappe. Sie wollen herausfinden, wie schnell der Eisschild in der Region: Dronning Maud Land an Eis verliert (sowohl in der Vergangenheit als auch heute). Außerdem wollen sie herausfinden, welche Faktoren die Geschwindigkeit des Eisflusses beinflussen. Für die Feldmessungen muessen sie 254 Kilometer über das Eis fahren. *** eingestellt im Dezember 2012
Intतस्वीर: International Polar Foundation

रूस की रशियन इंफॉर्मेशन एजेंसी आरआईए का दावा है कि इस जगह पर उन्होंने पिछले एक दशक तक खुदाई की और बीच बीच में वे रुक भी गए. इस दौरान उन्होंने एक जमी हुई झील से पानी का नमूना लिया है. उनका दावा है कि पिछले एक करोड़ 40 लाख साल से किसी ने इसे छुआ तक नहीं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि वोस्टोक लेक में 3700 मीटर गहरी बर्फ में छिपे राज के आधार पर हिमयुग से पहले पृथ्वी कैसी थी, इसे समझा जा सकता है. इससे दूसरे ग्रहों पर जीवन को भी समझा जा सकता है.

सेंट पीटर्सबर्ग न्यूक्लियर फीजिक्स इंस्टीट्यूट के सेर्गेई बुलात ने कहा, "इसमें से दूषित करने वाले पदार्थों को हटाने के बाद बैक्टीरिया का एक डीएनए मिला है, जो हमारे मौजूदा डाटाबेस के किसी भी जीव के डीएनए से मेल नहीं खाता."

उन्होंने कहा, "अगर यह बैक्टीरिया मंगल पर मिलता, तो हम बिना किसी शुबहा के कहते कि वहां जीवन है. लेकिन यह डीएनए धरती पर मिला है." उनके मुताबिक यह बिलकुल अलग तरह के जीवन को दर्शाता है.

रूस की ही तरह अमेरिका और ब्रिटेन के वैज्ञानिक भी इस बात की खोज कर रहे हैं कि क्या धरती पर पहले कहीं जीवन था. अमेरिका के एक दल का दावा है कि उन्होंने ग्लेशियर के नीचे के विल्हन्स झील से कुछ नमूने लिए हैं, जिनमें उन्हें जीवित कोशिका मिली है. हालांकि उनका कहना है कि किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले उन्हें और रिसर्च की जरूरत है. ब्रिटेन ने एल्सवर्थ झील में खुदाई का काम पिछले साल दिसंबर में रोक दिया था क्योंकि यह संभव नहीं हो पा रहा था.

इंटरनेशनल पोलर फाउंडेशनतस्वीर: International Polar Foundation

अगर बर्फीले इलाके में जीवन के नमूने मिलते हैं तो इस बात को समझने में आसानी होगी कि क्या मंगल या वृहस्पति के उपग्रह यूरोपा पर भी जीवन संभव हो पाएगा, जहां जीने की परिस्थितियां बेहद जटिल हैं.

रूसी खोजी दल ने जिस जगह पर खुदाई की, वहां खुदाई के उपकरण के एक छोर पर पानी जम गया था और उसकी जांच में ही उन्हें नई बात का पता चला. ये झील उन झीलों के समूह का हिस्सा है, जो बर्फ की सतह के नीचे है और जिसकी वजह से धरती के तापमान को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है.

रूसी एजेंसी आरआईए ने बुलात के हवाले से कहा कि अपनी खोज की पुष्टि के लिए वैज्ञानिक कुछ और नमूनों की जांच कर रहे हैं. इस बात की शंका थी कि ड्रिलिंग यानी खुदाई के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरण में कई दूसरे केमिकलों का भी इस्तेमाल हुआ था और कहीं यह बैक्टीरिया उनमें चिपका तो नहीं रह गया. लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इस बात की संभावना नगण्य है.

बुलात का कहना है, "जब हमने डीएनए की पहचान करने की कोशिश की, तो यह किसी भी जाति से नहीं मिल पाया." उनका कहना है कि अगर ऐसा ही नमूना दोबारा मिल गया, तो हम दावे के साथ कह सकेंगे कि पृथ्वी पर नया जीवन मिला है.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

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