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दक्षिणी पाकिस्तान में फिर बाढ़ आने का खतरा

२३ अगस्त २०१०

दक्षिणी पाकिस्तान में फिर से बाढ़ का खतरा पैदा हुआ जिसके चलते हजारों लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि बाढ़ से जूझ रहे इलाकों में बीमारियां फैल रही हैं जिससे नई मुश्किल खड़ी हुई.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान में तीन सप्ताह पहले मॉनसून की भारी बारिश से भयंकर बाढ़ आई जिससे लाखों लोग बेघर हो गए. बाढ़ से एक बार फिर जान माल के नुकसान का खतरा पैदा हो गया है. शहाददकोट शहर में जल्दबाजी में बनाए गए अवरोध में दरार आ गई जिसके चलते बाढ़ का पानी भरना शुरू हो गया है.

सिंध प्रांत बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कुछ इलाकों से पिछले 24 घंटों में दो लाख लोग पलायन कर चुके हैं. सरकार का कहना है कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान इन दिनों अपने इतिहास की सबसे भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है. देश का 20 फीसदी पानी में डूबा हुआ है और संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक करीब 1,700 लोगों की मौत हो चुकी है. पाकिस्तान को दुनिया भर से मदद मिल रही है और ऐसे में भारत ने भी 50 लाख अमेरिकी डॉलर की मदद का प्रस्ताव दिया. लेकिन पाकिस्तान ने इसे स्वीकारने में कई दिन लगा दिए. अमेरिका की अपील के बाद ही पाक ने मदद को स्वीकार किया.

अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने इस संबंध में सफाई देते हुए कहा है कि अगर पाक यह मदद नहीं लेता तो इससे देश की छवि को धक्का लगता. "जो लोग हमारे इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आखिर किस आधार पर हम मदद स्वीकारने से मना करते. अगर हम मदद नहीं लेते तो यह संकीर्ण मानसिकता का परिचायक होता." गिलानी के मुताबिक कूटनीतिक हलकों में पाकिस्तान की छवि मजबूत हुई है.

गिलानी की राय में पाक भारत से बातचीत की हिमायत कर रहा है. ऐसे में मदद लेने से मना करना उसके रुख के विपरीत चला जाता. लेकिन यूसुफ रजा गिलानी की यह दलील पाकिस्तान में कई नेताओं के गले से नीचे नहीं उतर रही है. नवाज शरीफ की पीएमएल पार्टी के राजा जफर उल हक का कहना है कि सरकार ने अमेरिका के दबाव में ही भारत से ही मदद स्वीकार की है.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल सत्तार का मीडिया में बयान आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि यह बात समझ से परे है कि पाकिस्तान ने मदद स्वीकारने में कुछ दिन का वक्त लगाया. लेकिन प्रधानमंत्री गिलानी अपने रुख पर कायम हैं. "भारत से मिली राहत राशि को नामंजूर करना क्या विरोधाभासी नहीं होता. एक तरफ तो हम उसके साथ वार्ता शुरू करना चाहते हैं और दूसरी तरफ मदद को मना कर रहे हैं. हमें इस तरह की बातों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए."

संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की मदद के लिए करोड़ों डॉलर की मदद की अपील की है. पाक को 80 करोड़ डॉलर अब तक मिल चुके हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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