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दक्षिणी सूडान की आजादी पर मुहर लगी

२२ जनवरी २०११

दुनिया के नक्शे पर दक्षिणी सूडान नाम से नया देश बनने का रास्ता साफ हो गया है. पिछले दिनों दक्षिणी सूडान में हुए जनमत संग्रह के आंशिक नतीजों के मुताबिक 99 प्रतिशत लोगों ने आजादी के हक में वोट दिया है.

तस्वीर: AP

दक्षिणी सूडान के जनमत संग्रह आयोग ने शुक्रवार को आंशिक नतीजे जारी किए. अब तक 32 लाख मतपत्रों की गिनती हो चुकी है जिनमें से 31.4 लाख मतदाताओं ने अलग देश के लिए वोट दिया है. आयोग की वेबसाइट पर ये आंशिक नतीजे जारी किए गए हैं. जनमत संग्रह में वोट देने के लिए चालीस लाख मतदाता पंजीकृत थे.

दक्षिणी सूडान में डाले गए कुल वोटों में से अब तक 83 प्रतिशत से ज्यादा गिने जा चुके है. चुनाव आयोग का कहना है कि उत्तरी सूडान या विदेश में रह रहे लोगों के मतपत्रों को पहले ही गिन लिया गया है. जनमत संग्रह की सफलता के लिए 60 प्रतिशत रजिस्टर्ड मतदाताओं का वोट डालना जरूरी था. जनमत संग्रह के शुरुआती नतीजे जनवरी के आखिर तक मिल जाएंगे.

परिणाम मंजूर होगा

2005 में गृह युद्ध की समाप्ति के बाद मुस्लिम बहुल अरब आबादी वाले उत्तरी सूड़ान और ईसाई बहुल आबादी वाले दक्षिणी सूडान के बीच हुए समझौते के तहत यह जनमत संग्रह कराया गया. उत्तरी और दक्षिणी सूडान के बीच 1983 से लेकर 2005 तक चले गृह युद्ध के दौरान 20 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और चालीस लाख से ज्यादा बेघर हो गए.

तस्वीर: dpa

जनमत संग्रह की प्रक्रिया ने एक बार फिर उत्तर और दक्षिणी हिस्से के बीच टकराव की आशंका को बल दिया. लेकिन सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल बशीर और उनकी पार्टी ने यह कह आशंकाओं को शांत कर दिया कि उन्हें जनमत संग्रह का परिणाम मंजूर होगा. हालांकि जनमत संग्रह के बाद कई मुद्दों पर मतभेदों को दूर करना होगा. इनमें सीमाओं का सही सही निर्धारण बेहद अहम है क्योंकि इसी इलाके में तेल के भंडार हैं. अभी ज्यादातर तेल भंडार दक्षिणी सूडान के हिस्से में आ रहे हैं.

कड़ी चुनौतियां

सूडान के बंटवारे के वक्त सीमावर्ती अशांत अबेयी इलाके का दर्जा भी तय करना होगा. जब दक्षिणी हिस्से में जनमत संग्रह चल रहा था, तब अबेयी इलाके में उत्तर और दक्षिणी सूडानी कबायलियों के बीच हुई लड़ाई में 70 से ज्यादा लोग मारे गए. इस इलाके में यह तय करने के लिए अलग से मतदान होगा कि उसे उत्तरी सूडान के साथ रहना है या फिर दक्षिणी सूडान के साथ. इस मतदान में लगातार हो रही देरी चिंता की बात है.

अगर सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई तक दक्षिणी सूडान के नाम से अलग देश बन जाएगा. हालांकि अपना अलग देश पाने पर दक्षिणी सूडान के लोग बेहद खुश हैं, लेकिन सहायता एजेंसियों का कहना है कि दुनिया के इस बेहद भावी देश को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना होगा. लगभग फ्रांस जितने क्षेत्रफल वाले दक्षिणी सूडान में कुछ दर्जन किलोमीटर ही पक्की सड़क है. विकास के मामले में यह दुनिया के सबसे पिछड़े इलाकों में शामिल है. दक्षिणी सूडान में प्रतिद्वंद्वी विद्रोही गुटों के बीच झडपें आम रही हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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