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दक्षिण अफ्रीका में पुरुष ऐसे कर रहे हैं महिलाओं की सुरक्षा

१ अक्टूबर २०१९

महिलाओं की सुरक्षा पूरी दुनिया में बहस का मुद्दा है, लेकिन विकासशील देशों में सबसे बड़ी समस्या अपराधियों को पकड़ने और उन्हें सजा देने की है. अब दक्षिण अफ्रीका में वोलंटियरों ने महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा ले लिया है.

Jahresrückblick 2010 International Juli Südafrika Fussball WM Vuvuzela
तस्वीर: AP

दक्षिण अफ्रीका में 2010 के फुटबॉल विश्व कप के दौरान वुवुजेला नाम की एक लम्बी, रंगीन प्लास्टिक की तुरही दुनिया भर में बहुत मशहूर हुई थी. खेल देखने आए दर्शक अपनी अपनी पसंदीदा टीमों के प्रति अपना स्नेह दर्शाने के लिए उसे जोर जोर से बजाते और उसकी आवाज से पूरा स्टेडियम भर जाता. लगभग एक दशक बाद वही वुवुजेला हिंसक जुर्म की चपेट में डूबे साउथ अफ्रीका में हिंसा के खिलाफ एक नया हथियार बन गया है. देश के सबसे बड़े टाउनशिप सोवेटो में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है महिलाओं को सचेत करने के लिए और उन्हें ये बताने के लिए कि उन्हें सार्वजनिक यातायात तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए गश्त लगाने वाले स्थानीय दल तैयार हैं.

सुबह के साढ़े चार बजे ट्रेन स्टेशन की तरफ जाती जानेले ठुसी कहती हैं, "बाहर वुवुजेला की आवाज सुनते ही मैं सुरक्षित महसूस करने लगती हूं." ठुसी घरों में काम करती हैं और अपने काम के लिए उन्हें रोज एक घंटे की यात्रा कर के जोहानेसबर्ग के उपनगर बोसमोंट जाना होता है. उनका कहना है, "इन गश्ती दलों के आने से पहले हमलोग सड़कों पर सुरक्षित नहीं थे. मोबाइल फोन चोरी हो जाना, छुरा मारने की घटनाएं और कई तरह के जुर्म रोज की ही बात थी." 

हाल में दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक सुरक्षा के अभाव के विरोध में सड़कों पर निकाले गए प्रदर्शन सुर्खियों में रहे हैं. हालात महिलाओं के लिए विशेष रूप से चिंताजनक हैं क्योंकि महिलाओं को अगवा किए जाने की, उनके साथ बलात्कार और यहां तक कि उनकी हत्या की कई वारदातें हो चुकी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, "2018 में दक्षिण अफ्रीका में लगभग 3000 महिलाओं की हत्या हुई थी" - यानी हर तीन घंटे में एक हत्या. ये संख्या वैश्विक औसत से पांच गुना ज्यादा है.

आत्मरक्षा कोर्सतस्वीर: Getty Images/AFP/G. Khan

सुरक्षा की चिंता

सोवेटो के दो मोहल्लों, उत्तरी मोफोलो और डॉबसनवील, में रहने वाली महिला यात्रियों ने थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन को बताया कि करीबी बस, ट्रेन या टैक्सी स्टेशन तक जाना जोखिम का काम हो गया था. पर हाल ही में एक सुबह, जब सोवेटो में सूर्योदय भी नहीं हुआ था, लोगों के घरों से निकलने के साथ ही कई वुवुजेलाओं की ध्वनि अलग अलग मोहल्लों के बीच सुनाई देने लगी. 

गश्ती दलों के सदस्यों ने बताया कि उनके जैसे हजारों लोग 3 से लेकर 15 तक के समूहों में पूरे सोवेटो में काम कर रहे हैं. ये महिलाओं से उनके घरों पर मिलते हैं और एक साथ कई वुवुजेला बजाते हुए उन महिलाओं के साथ पैदल ट्रेन या बस स्टेशन तक जाते हैं. कहीं अपराधी उनकी नकल कर के महिलाओं को धोखा न दें, इस वजह से असली गश्ती दल वाले महिलाओं के साथ उनसे मिलने का समय पहले से निर्धारित कर लेते हैं. इनमें से कुछ अपने साथ अतिरिक्त सुरक्षा के लिए गोल्फ क्लब, डंडे, चाबुक और टेजर भी रखते हैं. 

ये दल गश्त लगाते हैं सुबह के 2.30 बजे से लेकर लगभग 7 बजे तक, यानी जब तक महिलाएं अपनी दैनिक यात्रा सुरक्षापूर्वक शुरू नहीं कर देतीं. शाम को ये दल फिर से आ जाते हैं, महिलाओं को वापस घर तक छोड़ने के लिए. श्रमिक विवादों का समाधान कराने वाले मध्यस्थता आयोग (सीसीएमए) के साथ काम करने वाली जेन चाबांगु कहती हैं, "हम इन गश्ती दल वालों को बहुत पसंद करते हैं!" सुबह सुबह कसरत करने जाने के लिए बस पर चढ़ती हुई वो कहती हैं, "जब मैं वुवुजेला को सुनती हूं तो मुझे लगता है, 'अब मैं सुरक्षित हूं'. और ये लोग ये काम निःशुल्क करते हैं." 

वोलंटियरों की मदद

पचास वर्षीय भेकी महलालेला पिछले पांच सालों से सोवेटो की सड़कों पर गश्त लगा रहे हैं और ये कोशिश कर रहे हैं कि जुर्म कम हो और लोग सुरक्षित महसूस कर सकें. उन्होंने बताया, "मदद के लिए कुछ न कर पाने पर मुझे अपराध बोध होता था". महलालेला बताते हैं कि उन्होंने पहली बार इस तरह के गश्ती दलों को सोवेटो में करीब 15 साल पहले देखा था. लेकिन वो ये नहीं कह सकते कि इनकी शुरुआत किसने की या वुवुजेला का पहली बार उपयोग किसने किया. वो कहते हैं कि ये एक ट्रेंड था जो लोगों की सुरक्षित यात्रा करने की जरुरत के साथ साथ बढ़ता गया. 

हिंसा के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: AFP/R. Bosch

महलालेला का कहना है कि शुरू में 15 पुरुष थे जो उत्तरी मोफोलो में स्वयंसेवी आधार पर गश्त लगाते थे, लेकिन बिना वेतन के ये काम करने में वे निराश जरूर हो जाते थे. आज महलालेला के साथ सिर्फ दो और पुरुष हैं मोहल्ले में गश्त लगाने के लिए. इन्हें कभी कभी इनके काम के लिए चंदा मिल जाता है, पर ज्यादातर ये निःशुल्क ही काम करते हैं. इन तीनों में से किसी के पास भी नौकरी नहीं है. फिर भी ये गश्तों को रोक देने के बारे में नहीं सोचते, भले ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए इन्हें खुद जोखिम उठाना पड़े. 

महलालेला ने बताया कि अगर इन्हें कभी कोई अपराधी किसी को लूटता हुआ नजर आता है तो वे उसे नागरिक हिरासत में ले लेते हैं. कई बार वे उसे पुलिस के आने तक बांधे भी रखते हैं. डॉबसनवील में गश्त लगाने वाले 35-वर्षीय डेविड बलोई कहते हैं, "हमें ये करने में डर लगता है. पर हम पुलिस पर भरोसा नहीं कर सकते. वो कभी गश्त नहीं लगाते और जब हम अपराधियों को उनके हवाले कर देते हैं, हमें वही अपराधी अगले ही दिन सड़क पर फिर से नजर आते हैं."

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2017 से 2018 के बीच, दक्षिण अफ्रीका में महिलाओं की हत्या में 11% वृद्धि हुई. गौटेंग पुलिस सेवा, जिसके तहत जोहानेसबर्ग पड़ता है, की प्रवक्ता ब्रिगेडियर माथापेलो पीटर्स का कहना है कि पुलिस पर्याप्त कार्यवाही नहीं कर रही, इस शिकायत का जवाब देने से पहले पुलिस को और जानकारी चाहिए. लेकिन, उन्होंने व्हाट्सऐप पर बताया, "गश्ती दलों के प्रयासों के सकारात्मक नतीजे हुए हैं जिसका सबूत है चोरी और लूट-पाट की घटनाओं में आई कमी." 

हत्याएं रोकने की मांगतस्वीर: Reuters/S. Hisham

बिना डर सड़क पर

जेंडर एक्टिविस्ट मन्डीसा खनयिले का कहना है कि ये गश्ती दल लिंग-आधारित हिंसा को खत्म करने के आंदोलन में पुरुषों के द्वारा चलाई जा रही एक स्वागत-योग्य पहल है. खनयिले, जो जोहानेसबर्ग स्थित एक अधिकार समूह की संस्थापक हैं, कहती हैं, "काश हम एक ऐसे समाज में रहते जहां महिलाएं सड़कों पर आजादी से चल सकतीं." फोन पर दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "पर इन हालातों में, ये गश्ती दल एक कमाल का, सार्थक और ठोस कदम है जिसके तहत दक्षिण अफ्रिका में लिंग-आधारित हिंसा के खिलाफ लड़ने की जिम्मेदारी पुरुष उठा रहे हैं". 

153 देशों में सुरक्षा का मूल्यांकन करने वाली महिलाएं, शांति और सुरक्षा सूचकांक 2017 के अनुसार 10 में से 3 से भी कम महिलाएं रात को पैदल चलने में सुरक्षित महसूस करती हैं. हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए इसी महीने एक पांच-सूत्री योजना की घोषणा की जिसमें मीडिया अभियान, दंड-न्याय प्रणाली को मजबूत करना और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी और सलाहकारों को प्रशिक्षण देना शामिल है. 

दक्षिण अफ्रीका के लोग इस योजना के कार्यान्वयन का इंतजार कर रहे हैं, पर सोवेटो के गश्ती दल अपने अपने वुवुजेला से लैस आज भी सूर्योदय से पहले उठ रहे हैं. सूर्योदय के साथ अपने घर की तरफ लौटते हुए मोफोलो गश्ती दल के सदस्य इसाक मखूबो मुस्कुराते हुए कहते हैं, "करीब 5% लोग शोर को लेकर शिकायत करते हैं, ये कहते हुए कि हमने उन्हें बहुत जल्दी उठा दिया. पर बाकी सब यही कहते हैं कि ये उन्हें याद दिलाता है कि हम यहीं हैं और वे, कम से कम अभी के लिए, सुरक्षित हैं."

सीके/एमजे (थॉमसन रायटर्स फाउंडेशन)

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