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दक्षिण अफ्रीका में प्रवासियों पर हमले

फ्रिया एसेलबोर्न१९ मई २००८

दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े शहर जोहानिसबर्ग में प्रवासियों पर हमले आज भी जारी रहे. खून खराबे में अब तक 22 लोगों को अपनी जान गँवानी पढ़ी है.

मदद की उम्मीदतस्वीर: AP

दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े शहर जोहानिसबर्ग में स्थिति गृहयुद्ध जैसी बन गई है. खासकर ग़रीब इलाकों में कारें जल रहीं हैं और पुलिस को हमलावरों और लुटेरों को रोकने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पढ़ा. पुलिस की ओर से रबर की गोलियाँ भी दागी गई . बीस से भी ज़्यादा लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी है और सैंकड़ों घायल हुए हैं. अपनी हताशा में आप्रवासी चर्चों, थानों और भवनों में शरण ले रहे हैं.

हिंसा शुक्रवार को भड़की थी. निशाना ज़िंबाब्वे, नाईजीरिया, मालावी, मोज़ामबिक या कॉंगो जैसे अफ्रिकी देशों के आप्रवासियों को बनाया जा रहा है. दक्षिण अफ्रीका को दूसरे अफ़्रीकी देशों की तुलना में काफ़ी अमीर माना जाता है. पिछले 5 सालों में अर्थव्यवस्था में लगातार करीब पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस लिए करीब पांच करोड़ की आबादी वाले दक्षिण अफ्रिका में लगभग 50 लाख प्रवासी बस गए हैं. खासकर पिछले महिनों में राष्ट्रपति चुनावों के बाद़ बड़की हिंसा के कारण जिंबाब्वे से हज़ारों लोगों ने दक्षिण अफ्रिका में शरण ले रखी थी. अनुमान है कि उनकी संख्या तीन हज़ार हो सकती है.

खासकर ऐसे इलाकों में जहां से पहले काफ़ी बेरोज़गारी थी और लाखो दक्षिण अफ्रीकी लोग झोपड़-पट्टी में रह रहे हैं, वहां उनके मुताबिक दूसरे देशों से आए लोग पहले से ही नाज़ुक स्थिति को और भी मुशकिल बना रहे हैं. जोहानिसबर्ग में बेरोज़गारी 30 प्रतिशत की दर को छू चुकी है. कई गुनहगारों को पुलिस ने ग़िरफ्तार भी किया है. उनपर लोगों की हत्या, बलात्कार और लूटमार का आरोप है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि जोहानिसबर्ग और आस पास की बस्तियों में इतनी क्रूर और बर्बर हिंसा अपार्टहाईड के अंत के बाद नहीं देखी गई थी.

राष्ट्रपति थाबो म्बेकी की सरकार के पास भी हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त माध्यम नहीं हैं क्योंकि नागरिकों को रोज़गार देने और उन्हें ग़रीबी से निकालने के अतीत में कई कार्यक्रम असफल रहे हैं. दुनियाभर में दक्षिण अफ़्रीका में अपराधों की संख्या सबसे ऊंची है. पिछले साल में बावन हज़ार बलात्कार और करीब 20000 हत्या के मामले दर्ज कराए गए हैं. आशंका है कि हिंसा पूरे देश में फैल सकती है और अन्य अफ़्रीकी देशों से आए लोगों के अलावा दूसरे प्रवासी भी निशाना बन सकते हैं. दक्षिण अफ़्रीका में करीब 10 लाख भारतीय मूल के लोग भी रहते हैं.

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