कोरोना: कोरियाई कंपनी को भारत में दवा के परीक्षण की अनुमति
११ अगस्त २०२०
दक्षिण कोरिया की दवा कंपनी देवूंग को भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए उसकी एक दवा के परीक्षण की अनुमति मिल गई है. देवूंग नई दिल्ली-स्थित दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा के साथ साझेदारी में दवा का परीक्षण करेगी.
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दक्षिण कोरिया की दवा कंपनी देवूंग फार्मा ने कहा है कि उसे भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए उसकी एंटी-पैरासाइटिक दवा निक्लोसमाइड के परीक्षण की अनुमति मिल गई है. भारत में दवाओं की नियामक संस्था सीडीएससीओ ने कंपनी को शुरूआती चरण के मानव ट्रायल की अनुमति दे दी है. ट्रायल का पहला चरण इसी महीने शुरू हो जाएगा और इसमें दवा कितनी सुरक्षित है ये जांच करने के लिए 30 स्वस्थ लोग भाग लेंगे.
देवूंग नई दिल्ली-स्थित दवा कंपनी मैनकाइंड फार्मा के साथ साझेदारी में दवा का परीक्षण करेगी. मैनकाइंड फार्मा फिर दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में कोरोना वायरस से मध्यम स्तर और गंभीर संक्रमण के मरीजों की जांच करेगी.
देवूंग ने कहा कि भारत में होने वाले इन परीक्षणों के नतीजों का इस्तेमाल यूरोप और अमेरिका में निर्यात पर्मिट लेने के लिए किया जाएगा. कंपनी के संचार कार्यालय में वाइस-प्रेसिडेंट नेथन किम ने रॉयटर्स को बताया कि कंपनी दक्षिण कोरिया में एक और अलग, पहले चरण के ट्रायल की अनुमति की भी प्रतीक्षा कर रही है.
कंपनी ने जून में जानवरों में इस दवा के तीन महीन के ट्रायल पूरे कर लिए थे और पाया था कि दवा के असर से जानवरों के फेफड़ों में कोरोना वायरस पूरी तरह से खत्म हो गया. दुनिया में तीन और कंपनियां कोरोना वायरस के इलाज के लिए निक्लोसमाइड को लेकर परीक्षण कर रही हैं, लेकिन सिर्फ देवूंग ही ऐसी कंपनी है जो दवा के एक ऐसे किस्म को तैयार कर रही है जिसे मरीज को मुंह से नहीं लेना पड़ेगा.
कोविड-19 के पुख्ता इलाज के लिए अभी तक किसी भी दवा की पुष्टि नहीं हुई है. दुनिया भर की दवा बनाने वाली कंपनियां महामारी के इलाज के लिए दवा बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं. कई एंटी-वायरल दवाओं के मानव ट्रायल के निर्णायक नतीजे नहीं आए हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण से अभी तक दुनिया में 7,39,000 लोग मारे जा चुके हैं.
कोविड-19 से फैली महामारी से छुटकारा दिलाने वाले टीके या सटीक दवा का इंतजार हर किसी को है. लेकिन इस बीच कुछ ऐसी नई और पुरानी दवाएं पेश की गई हैं जो कोरोना वायरस से लोगों की जान बचा सकती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Narinder Naru
कोरोनील
पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव कोविड-19 के लिए देश की पहली आयुर्वेदिक दवा 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' ले आए हैं. इसे गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण बताया जा रहा है. निर्माताओं का दावा है कि इससे 14 के अंदर कोरोना ठीक हो जाएगा. ट्रायल के दौरान करीब सत्तर फीसदी लोगों के केवल तीन दिन में ही ठीक होने का दावा किया गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Narinder Naru
फेबीफ्लू
ग्लेनमार्क फार्मा की दवा फेवीपीरावीर गोली के रूप में खाई जा सकने वाली एंटी-वायरल दवा है. इसे कोविड-19 के हल्के या मध्यम दर्जे के संक्रमण वाले मामलों में दिया जा सकता है. करीब सौ रूपये प्रति गोली के दाम पर यह गोली भारतीय बाजार में फेबीफ्लू के नाम से मिलेगी. विश्व भर में इसके टेस्ट से अच्छे नतीजे मिले हैं. मरीजों में वायरल लोड कम हुआ और वे जल्दी ठीक हो पाए.
तस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/GettyImages
डेक्सामेथासोन
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 के लिए स्टीरॉयड ‘डेक्सामेथासोन’ का बड़े स्तर पर निर्माण करने की अपील की है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने इसका परीक्षण करीब 2,000 बेहद गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर किया. इसके इस्तेमाल से सांस के लिए पूरी तरह वेंटिलेटर पर निर्भर मरीजों की मौत को 35 फीसदी तक कम किया जा सका. यह बाजार में 60 साल पहले आई थी.
तस्वीर: Getty Images/M. Horwood
कोविफोर
भारत के हैदराबाद की हीटेरो लैब ‘कोविफोर’ दवा ला रही है. यह असल में एंटीवायरस दवा ‘रेमडेसिविर’ ही है जिसे नए नाम से पेश किया जा रहा है. कंपनी ने इसे बनाने और बेचने के लिए भारतीय ड्रग रेगुलेटर संस्था से अनुमति हासिल कर ली है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/Gilead Sciences
एविफाविर
इस दवा को रूस में इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई है. ट्रायल के दौरान इंफ्लुएंजा की इस दवा से कोविड-19 के मरीजों में हालत में जल्दी सुधार आता देखा गया है. यही कारण है कि रूस ने ट्रायल पूरा होने से पहले ही देश के सभी अस्पतालों में इसका इस्तेमाल करने को कहा है.
तस्वीर: AFP/U. Perrey
सिप्ला की सिप्रेमी
सिप्ला कंपनी भी वही जेनेरिक एंटीवायरस दवा ‘रेमडेसिविर’ अपने ब्रांड सिप्रेमी के नाम पर लाई है. अमेरिका की ड्रग्स रेगुलेटर बॉडी, यूएस एफडीए ने कोविड के मरीजों में इमरजेंसी की हालत में इसके इस्तेमाल की अनुमति दी है.
तस्वीर: imago Images/Science Photo Library
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन
मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली यह दवा भारत में ही विकसित हुई थी. पहले उम्मीद की जा रही थी कि इससे कोविड-19 मरीजों को भी मदद मिल सकती है और अमेरिका ने भारत से इसकी बड़ी खेप भी मंगाई थी. लेकिन इससे खास फायदा नहीं होने के कारण फिलहाल कोरोना में इसे प्रभावी नहीं माना जा रहा है. ब्रिटेन और अमेरिका में इसका ट्रायल भी बंद हो गया है.