चीन के अखबार का दावा है कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में परेशानी खड़ा कर रहा है. चीन ने कहा है कि अमेरिकी नौसैनिक पोत का इस इलाके में आना चीन को अपनी सैन्य क्षमता मजबूत करने के लिए मजबूर करता है.
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चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बीते हफ्ते अमेरिकी नौसैनिक पोत यूएसएस होपर, चीन की बिना इजाजत हुंयागयान द्वीप के 12 नॉटिकल मील अंदर तक पहुंच गया था. इस द्वीप को स्कारबॉरो शोल भी कहते हैं. इस द्वीप पर फिलीपींस भी अपना दावा करता रहा है. चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली में लिखा गया, "जब दक्षिण चीन सागर में स्थिति सुधर रही है तो अब वहां अमेरिका दखल दे रहा है. यह साफ दिखाता है कि अमेरिका इस क्षेत्र का सैन्यकरण करना चाहता है." अखबार के मुताबिक, "शांति और सहयोग जैसे माहौल के बीच अमेरिकी जहाज का दखल बेवजह परेशानी और दिक्कत खड़ी कर सकता है."
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि चीन इससे बेहद ही अंसतुष्ट है और वह अपनी रक्षा के लिए कदम उठाएगा. बयान में कहा गया है कि अगर अमेरिका इस क्षेत्र में तनाव पैदा करने की कोशिश करता है तो चीन भी इस मामले में तुरंत कार्रवाई करेगा. चीन ने साफ किया है कि दक्षिण चीन सागर में शांति बहाली के लिए चीन अपनी क्षमताओं और निर्माण में तेजी लाएगा. चीन के विदेश मंत्रालय का यह बयान अखबार के "वॉयस ऑफ चाइना" कॉलम में छापा गया है. इस कॉलम में अखबार विदेश नीतियों पर चर्चा करता है.
दक्षिण चीन सागर विवाद में उलझे देशों की ताकत
दक्षिण चीन सागर विवाद में चीन समेत सात देश उलझे हुए हैं. एक नजर इन सातों देशों की नौसैनिक ताकत पर.
चीन के पास अपना एक विमानवाही पोत है. दूसरे का निर्माण चल रहा है. बीजिंग की नौसेना के पास 53 पनडुब्बियां, 78 बड़े युद्धपोत, 27 छोटे युद्धपोत, 180 गश्ती नावें, 52 एयरक्राफ्ट और 523 कोस्ट गार्ड नावें हैं. नौसैनिकों की संख्या 2,35,000 है.
तस्वीर: Reuters/Stringer
इंडोनेशिया
इलाके में चीन के बाद इंडोनेशिया सबसे बड़ी नौसैनिक शक्ति है. उसके बेड़े में दो पनडुब्बियां, 12 बड़े विध्वंसक पोत, 27 छोटे युद्धपोत, 19 टैंक लैंडिंग पोत और 43 कोस्ट गार्ड वेसल्स हैं. लेकिन यह भी सच है कि इंडोनेशियाई नौसेना का साजो सामान इलाके में सबसे पुराना है.
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सिंगापुर
सिंगापुर की नौसेना के पास 3,000 सैनिक हैं. देश के पास चार पनडुब्बियां, 6 बड़े युद्धपोत, 6 छोटे युद्धपोत, 29 गश्ती नावें और 102 तटरक्षक नावें हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Drake
थाइलैंड
विवाद में थाइलैंड सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं, लेकिन भौगोलिक नक्शे के चलते वह भी इस विवाद में शामिल हो जाता है. 44,000 सैनिकों वाली थाइलैंड की नौसेना के पास एक हैलीकॉप्टर कैरियर है. 9 बड़े युद्धपोत है. सात छोटे युद्धपोत है. इसके अलावा 77 गश्ती नावें और 94 कोस्ट गार्ड वेसल्स हैं.
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फिलीपींस
24,000 नौसैनिकों वाले फिलीपींस को इस विवाद का सबसे कमजोर खिलाड़ी माना जाता है. देश के पास चार बड़े विध्वंसक युद्धपोत हैं. 10 पुराने और छोटे युद्धपोत हैं. 66 पेट्रोलिंग नावों के साथ फिलीपींस के पास 72 कोस्ट गार्ड शिप हैं.
तस्वीर: Reuters/Maritime Staff Office of the Defense Ministry of Japan
वियतनाम
वियतनाम बीते कुछ सालों से अपनी नौसेना को मजबूत कर रहा है. 40,000 सैनिकों वाली वियतनामी नौसेना के पास 7 रूसी पनडुब्बियां हैं. 2 विध्वंसक और सात युद्धपोत हैं. देश के पास 61 पेट्रोलिंग बोट्स और 78 कोस्ट गार्ड शिप भी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Russian Look
मलेशिया
देश के पास दो पनडुब्बियां, 10 विध्वंसक, चार जर्मन मेड युद्धपोत 33 पेट्रोलिंग बोट्स और 317 कोस्ट गार्ड शिप हैं. मलेशिया की नौसेना में 14,000 सैनिक हैं.
तस्वीर: Getty Images/R. Roslan
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चीन के अन्य अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि दक्षिण चीन सागर में चीन का प्रभुत्व बढ़ रहा है, साथ ही चीन की सेना का आकार और इसकी गुणवत्ता में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अखबार मु्ताबिक देश अधिक नौसैनिक जहाजों को भेजने में सक्षम है और द्वीपों के सैन्यकरण जैसे कदम उठा सकता है.
स्कारबॉरो शोअल, फिलीपींस के 200 नॉटिकल मील के भीतर आने वाला विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है. साल 2016 में दिए अपने फैसले में अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने कहा था कि यह एक पारंपरिक मत्स्य क्षेत्र है जिसे इस्तेमाल करने का हक किसी एक देश के पास नहीं है.
वहीं अमेरिकी सेना ने कहा है कि उसके पास दुनिया भर में "नेवीगेशन की स्वतंत्रता"(फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन) है. साथ ही उन क्षेत्रो में भी जहां उसके सहयोगी दावा करते हैं और जो राजनीतिक चीजों से अलग है. हालांकि पेंटागन ने इस मामले में सीधा कोई बयान नहीं दिया है लेकिन यह जरूर कहा है कि ये ऑपरेशन एक नियमित प्रक्रिया है.
चीन की सैन्य ताकत
हाल में चीन ने अपना रक्षा बजट बढ़ाया है. यह फैसला दक्षिणी चीन सागर में मतभेदों को ध्यान में रखते हुए लिया गया. चीन का सालों से मकसद रहा है कि उसकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार के रास्तों पर पकड़ हो.
तस्वीर: Reuters
लाखों सैनिक
करीब 20 लाख जवानों के साथ चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. इसके अलावा हर साल करीब 1.9 करोड़ युवा सेना में अनिवार्य सेवा की आयु को पहुंचते हैं. इस तरह चीन में सैनिकों की कमी का मसला कभी नहीं रहा, बल्कि समस्या है उनका कम अनुभवी होना. अनुभव के लिए चीन अब अपने जवानों को संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन पर दुनिया भर में भेजने लगा है.
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जेट
इस समय चीनी वायु सेना के पास 2,500 लड़ाकू विमान हैं. ये विमान रूसी लड़ाकू जेट सुखोई सू-27 और सू-33 के मॉडल के आधार पर चीन में ही तैयार किए गए हैं. लेकिन चीन ने हाल ही में स्टेल्थ फाइटर जे-31 यानि रडार से बच निकलने वाले विमान का निर्माण किया है. इसके बाद कई एशियाई देश अमेरिका से स्टेल्थ एफ-35 खरीदने की सोच रहे हैं.
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रॉकेट लॉन्चर
चीन की सेना के पास रॉकेट लॉन्चर सिस्टम 1770 और 6000 आर्टिलरी कैनन उपलब्ध हैं. 400 रॉकेट लॉन्चर के अलावा चीन के पास 20 अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक मिसाइलें हैं.
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बख्तरबंद वाहन
रूस के बाद चीन दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जिसके पास सबसे ज्यादा बख्तरबंद युद्धक वाहन है. इसकी संख्या करीब 10,000 बताई जाती है. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टैंकों में शामिल टाइप 99 नाम का युद्धक टैंक अब चीन के भी पास है.