दक्षिण सूडान में 'हजारों की मौत'
२५ दिसम्बर २०१३संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के शीर्ष अधिकारी मंगलवार को दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा पहुंचे. टोबी लांजर के मुताबिक मध्य दिसंबर से शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं. पहले यह संख्या 500 से ज्यादा बताई जा रही थी. लांजर ने कहा, "निश्चित तौर पर इसमें कोई शक नहीं है कि हजारों लोग" मारे गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शामादासिनी के मुताबिक बेन्तीऊ कस्बे में जांचकर्ताओं को एक सामूहिक कब्र मिली है, जिसमें 14 शव हैं. कस्बे के बाहर एक और कब्र में 20 शव मिले हैं. 75 लोग लापता हैं, आशंका है कि वो सब मारे गए हैं. हिंसा में भारत के तीन शांतिसैनिकों की भी मौत हुई है.
जातीय हिंसा की जड़
बेन्तीऊ में मारे गए ज्यादातर लोग दिंका समुदाय के है. लापता लोगों में सभी सेना के जवान हैं और दिंका समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राष्ट्रपति सल्वा कीर भी दिंका समुदाय के हैं. कीर का आरोप है कि पूर्व उप राष्ट्रपति रीक मसार देश में तख्ता पलट करना चाह रहे हैं. नुर समुदाय के मसार को जुलाई में उप राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया था. विद्रोही नेता मसार आरोपों से इनकार कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने दोनों पक्षों से बातचीत की अपील की है. लेकिन मसार की मांग है कि राजनीतिक कैदियों की रिहाई के बाद ही वे सरकार से बातचीत करेंगे. उन्होंने राष्ट्रपति का इस्तीफा भी मांगा है. इसके जवाब में राष्ट्रपति ने बातचीत के लिए तो हामी भरी है लेकिन किसी शर्त को मानने से इनकार किया है.
राजनीतिक गतिरोध की वजह से हिंसा लगातार भड़क रही है. देश के नौ राज्य बुरी तरह इसकी चपेट में हैं. सेना ने जहां बोर शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया है, वहीं बेन्तीऊ अब भी विद्रोहियों के कब्जे में है. दूसरे बड़े शहरों में लड़ाई जारी है.
पेट्रोलियम खनिजों की बहुतायत वाले दक्षिण सूडान की अर्थव्यवस्था पर भी जातीय हिंसा की मार पड़ी है. पेट्रोलियम मंत्री स्टीफन घिऊ दाव के मुताबिक तेल उत्पादन गिरकर 45,000 बैरल प्रतिदिन हो गया है.
इस जातीय हिंसा ने जुलाई 2011 में सूडान से अलग होकर नया देश बने दक्षिण सूडान के भविष्य पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं. 22 साल के गृहयुद्ध से जूझने के बाद सामने आई हिंसा बता रही है कि देश जातीय पहचान को लेकर किस कदर संवेदनशील है. गृहयुद्ध के दौरान वहां 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे.
दोगुने शांति सैनिक
ताजा जातीय हिंसा की वजह से अब तक 80,000 लोगों को संयुक्त राष्ट्र के राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी एकमत से दक्षिण सूडान में शांति सेना की संख्या बढ़ाने का फैसला किया. फिलहाल वहां 7,000 शांति सैनिक मौजूद हैं. इस संख्या को बढ़ाकर 12,500 किया जा रहा है. बुधवार को सैनिकों की नई टुकड़ियां को वहां के लिए रवाना करने का काम शुरू हुआ. टुकड़ियां पड़ोसी देशों कांगो गणतंत्र, आइवरी कोस्ट, लाइबेरिया और आबयेई से भेजी जा रही हैं. संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय पुलिस अफसरों की संख्या भी 900 से बढ़ाकर 1,300 कर दी है.
ओएसजे/एमजे (एएफपी, एपी, डीपीए)