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दत्त निकालेंगे स्पेन फुटबॉल की काट

३१ जनवरी २०१३

जर्मनी ने 1996 की यूरोपीय चैंपियनशिप और क्लबों ने बायर्न की 2001 की चैंपियंस ट्रॉफी के बाद अब तक कोई खिताब नहीं जीता है. जर्मन फुटबॉल संघ के खेल निदेशक रॉबिन दत्त किशोरों को प्रोत्साहन देकर इस स्थिति को बदलना चाहते हैं.

तस्वीर: AP

भारतीय मूल के फुटबॉल ट्रेनर रॉबिन दत्त छह महीने से राष्ट्रीय फुटबॉल संघ के खेल प्रमुख हैं. अब 48 वर्षीय दत्त ने जर्मनी में फुटबॉल को प्रोत्साहन देने की अपनी नीति का खुलासा किया है. वे बच्चों और किशोरों को प्रोत्साहन देने की एक नई अवधारणा के साथ फुटबॉल को आगे बढ़ाना चाहते हैं और राष्ट्रीय टीम तथा फुटबॉल क्लबों के अंतरराष्ट्रीय टाइटिल जीतने के सपने को पूरा करना चाहते हैं.

दत्त की नई फुटबॉल नीति का नाम है "सबके लिए कामयाबी." इस नीति में बहुत नया कुछ भी नहीं है, क्योंकि पैसे और संसाधनों की हर जगह कमी है. नया यह है कि दत्त राष्ट्रीय संगठन और प्रांतीय संगठनों तथा क्लबों के बीच संवाद को बेहतर बनाना चाहते हैं. दत्त ने कहा, "अगर हम इस पूरी जानकारी को एक साथ ला सकें, उन्हें इकट्ठा कर सकें तो हम क्वालिटी की गति पा सकेंगे. तब कोई हमसे आगे नहीं बढ़ पाएगा. तब शायद हमारे पास स्पेन की स्वर्णिम पीढ़ी को तोड़ने का मौका भी होगा."

रोबिन दत्ततस्वीर: Reuters

रॉबिन दत्त को उम्मीद है कि तब संभवतः जर्मन फुटबॉल का स्तर ऐसा होगा कि टाइटल जीतने को नहीं रोका जा सकेगा. फ्राइबुर्ग और बायर लेवरकूजेन के ट्रेनर रह चुके दत्त का कहना है कि जर्मन फुटबॉल बहुत अच्छी हालत में है. "साथ ही बड़ा टाइटल जीतने की ललक भी बड़ी हो गई है." वे दुनिया के सबसे बड़े खेल संगठन के ढांचे की तारीफ करते हैं लेकिन साथ ही चेतावनी भी देते हैं कि फ्रांस, जापान और पाराग्वे जैसे देश बेहतर हो रहे हैं. "यदि हम इस अच्छे स्तर पर काम करते हैं और कुछ नहीं बदलते हैं तो ज्यादा समय नहीं लगेगा कि 10 से 12 मुल्क बड़े टूर्नामेंटों में सेमी फाइनल में पहुंचने के लिए संघर्ष करेंगे."

रॉबिन दत्त यू21 जैसे युवा टूर्नामेंटों में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा की ओर ध्यान दिलाते हैं. 2009 में जर्मनी यू21 टीम यूरोप चैंपियन बनी लेकिन 2000 से 2012 के बीच जर्मन फुटबॉल लीग डीएफबी की सिर्फ आधी टीमें अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए क्वालिफाई कर पाई. वे कहते हैं, "इससे मुझे चिंता होती है, यह हमारे दावे से नीचे हैं. हम खिताब के लिए खेलना चाहते हैं." दत्त की चिंता जर्मनी के फुटबॉल क्लबों की भी चिंता है. इसीलिए पिछले साल जर्मनी की पहली और दूसरी लीग के क्लबों ने किशोर खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए युवा केंद्रों पर 10 करोड़ यूरो का निवेश किया है.

2009 में जर्मनी यू21 ने इंगलैंड को हरायातस्वीर: picture-alliance/ dpa

रॉबिन दत्त का मानना है कि जर्मनी में फुटबॉल से संबंधित प्रचुर जानकारी है. लेकिन उसे एक साथ लाए जाने की जरूरत है. प्रतिभा केंद्रों, एलीट स्कूलों, प्रांतीय संगठनों की नीचे से लेकर ऊपर तक की सांगठनिक संरचना किसी और देश में नहीं है. "हमें जर्मन फुटबॉल संघ डीएफबी में एक टीम की जरूरत है जो उन चीजों पर ध्यान दे जिसके लिए क्लबों के पास समय नहीं है." रॉबिन दत्त का कहना है कि उनकी नई योजना संवाद की योजना है जो बताता है कि फुटबॉल कैसे खेलना है.

कुछ ऐसा ही जर्मन फुटबॉल संघ के अध्यक्ष वोल्फगांग नीयर्सबाख भी सोचते हैं. वे अपने संगठन को आदेश देने वाली राष्ट्रीय संस्था से बदल कर सर्विस सेंटर के रूप में बदलना चाहते हैं, जो प्रांतीय संगठनों और क्लबों की मदद करने वाली संस्था होगी. डीएफबी के स्पोर्ट कंपीटेंस सेंटर में ट्रेनर, कर्मचारी और प्रशिक्षक हफ्ते के शुरू में खेलों का मूल्यांकन करेंगे और दूसरे हफ्ते में क्लबों के खिलाड़ियों और अधिकारियों से मिलेंगे.

अपनी पहली योजना पेश करने से पहले रॉबिन दत्त ने पिछले छह महीनों में फुटबॉल क्लबों और खिलाड़ियों से बात कर उनके सुझावों को इकट्ठा किया है. दूसरी ओर वे सभी लीगों में ट्रेनर रह चुके हैं और फुटबॉल को उसके सभी रूपों में जानते हैं. अब वे और इंतजार नहीं करना चाहते. कहते हैं, "हमें कुछ बदलने के लिए किसी टूर्नामेंट में हार का इंतजार नहीं करना चाहिए."

एमजे/एएम (डीपीए)

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