दफ्तर में हंसिये पर ध्यान से
२७ सितम्बर २०१२जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमर की काटरिन हांसमायर का कहना है कि मजाक करने के लिए आपको अलग तरह से सोचना पड़ता है. आप बिना तर्क की बात करते हैं और यदि सुनने वाला इसकी उम्मीद ना कर रहा हो तो वह हैरान रह जाता है कि आप किसी चीज को मजाक के नजरिए से भी देख सकते हैं. अगर आपका मजाक करना सबको पसंद आता है तो इस से दफ्तर में पूरी टीम को फायदा मिलता है और सब आपस में बिना तनाव के काम कर सकते हैं.
जर्मन लोग संजीदगी से काम करने के लिए जाने जाते हैं. लेकिन संजीदगी भरे माहौल को हंसी मजाक से थोड़ा हल्का कर दिया जाए तो काम और भी बेहतर रूप में हो पाता है. हालांकि इसके लिए इस बात भी ध्यान रखना पड़ता है कि आप किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुंचाएं. हांसमायर कहती हैं, "यह जरूरी है कि आप सामने वाले की अच्छी छवि बनी रहने दें. आप चाहें तो किसी बेहद मेहनती इंसान को मजाक में दफ्तर का हीरो भी कह सकते हैं. यदि सामने वाला आपके मजाक को समझता है तो यह तरीका बहुत अच्छी तरह काम कर सकता है."
करियर सलाहकार रेने गाब्रिएल का कहना है कि मजाक मजाक में माहौल खराब भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि आप अपने सहकर्मियों को अच्छी तरह जानते हों. कुछ मामलों में जबान पर लगाम लगाना जरूरी हो जाता है, नहीं तो दफ्तर का माहौल बिगड़ सकता है. हांसमायर भी मानती हैं कि व्यंग्य से बचना चाहिए. मजाक करने का मतलब मजाक उड़ाना नहीं होना चाहिए. किसी को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उसे किसी बात का ताना दिया जा रहा है.
ऐसा भी हो सकता है कि आपको किसी का मजाक पसंद ना आ रहा हो, जबकि उस व्यक्ति की आपको दुख पहुंचाने की मंशा ना हो. ऐसे में चुप रह कर अपने दिल में उस व्यक्ति के खिलाफ भावनाएं लाने की जगह उस से साफ साफ बात करें. ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आप उसके मजाक का मजाक में जवाब दें जो दोनों ही के लिए दुखद हो सकता है.
इस बात का भी ध्यान रखें कि हर व्यक्ति का स्वभाव अलग होता है. आप किसी से कहें कि आज तो तुम्हारी छुट्टी जल्दी हो गयी, लेकिन मुझे तो अभी काम करना है. इस बात को कोई व्यक्ति मजाक के तौर पर ले कर मुस्कुरा देगा तो कोई और इसे इस बात का ताना समझ लेगा कि वह कम काम करता है या आलसी है. यानी दफ्तर में हंसिये पर ध्यान से!
आईबी/एनआर (डीपीए)