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दमदार है भारतीय बॉक्सरों का दावा

ओंकार सिंह जनौटी (संपादन: एस गौड़)७ सितम्बर २०१०

कॉमनवेल्थ खेलों में 5 अक्तूबर से 13 अक्तूबर तक मुक्के बरसेंगे. नौ दिन तक मजबूत बांहे और बरसते दस्ताने 10 स्वर्ण पदक झटकना चाहेंगे. मुक्केबाजी में भारत को पदक जीतने की खासी उम्मीदें हैं.

विजेंदर कुमारतस्वीर: AP

भारत के पास कॉमनवेल्थ खेलों और ओलंपिक में पदक जीतने वाले मुक्केबाज हैं. इस साल कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत ने पांच गोल्ड मेडल झटके. दिल्ली में भी यही नजारा दोहराया जा सकता है. नजर डालते हैं दमदार भारतीय मुक्केबाजों पर, जो दिल्ली में सोने के तमगों पर नॉकआउट पंच मार सकते हैं.

विजेंदर कुमार

2008 में बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर कुमार कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की बड़ी ताकत हैं. विजेंदर 2006 से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीतते रहे हैं. वह मिडिल वेट यानी 75 किलोग्राम वर्ग में मुक्केबाजी करते हैं. साल भर पहले मिलान में हुई वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियशिप में भी उन्होंने कांस्य पदक जीता और बता दिया कि उनके प्रदर्शन में कोई गिरावट नहीं आई है.

विजेंदर को बीजिंग ओलंपिक में क्यूबा के इमिलो कोरिया ने हराया. वहीं मिलान में वह उजबेकिस्तान के एबॉल एटोएव से हारे. क्यूबा और उजबेकिस्तान कॉमनवेल्थ देशों में नहीं आते, लिहाजा विजेंदर की राह दिल्ली में कुछ आसान दिखाई पड़ती है.

तस्वीर: AP

अखिल कुमार

56 किलोग्राम में भिड़ने वाले अखिल कुमार से भी अपनी धरती पर बढ़िया प्रदर्शन की उम्मीद है. 1999 से अब तक अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अखिल ने 18 पदक जीते हैं, जिनमें नौ गोल्ड मेडल हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अखिल कुमार का दावा कितना तगड़ा है. बीजिंग ओलंपिक में वह बढ़िया प्रदर्शन करने के बावजूद पदक नहीं जीत पाए.

लेकिन इस बार दिल्ली में उनके पास तिरंगा लपेटने का मौका है. अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में 2002 में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाले अखिल ने 2005 में पहली बार कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियनशिप का स्वर्ण झटका. अगले साल भी उन्हें अपना दमदार प्रदर्शन जारी रखा और सोना चूमा.

इसके बाद बारी आई ओलंपिक की. बीजिंग ओलंपिक में भी उन्होंने जादुई प्रदर्शन किया. अखिल ने रूस के वर्ल्ड चैंपियन बॉक्सर सरगे वोदोप्यानोव को धोकर रख दिया. हालांकि अंत में हुए एक कड़े मुकाबले में अखिल मॉल्दोवा के मुक्केबाज से हार गए, लेकिन अपने प्रदर्शन से उन्होंने भारत के लिए भविष्य में पदक जीतने की उम्मीदें चमका दी.

दिनेश कुमार

पदक जीतने की तीसरी उम्मीद का नाम दिनेश कुमार है. 22 साल के दिनेश भी विजेंदर और अखिल कुमार के पड़ोसी हैं और हरियाणा के भिवानी जिले से ही उनका नाता है. 81 किलोग्राम वर्ग में मुक्केबाजी करने वाले दिनेश फिलहाल कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियन हैं. युवा दिनेश के बारे में उनके कोच का कहना है कि वह अब पदक जीतने के लिए पक चुके हैं.

इन त्रिदेवों के अलावा अन्य मुक्केबाजों से भी भारत को काफी उम्मीदें हैं. भारतीय मुक्केबाजी टीम इस प्रकार है: अमनदीप सिंह (49 किलोग्राम), सुरंजॉय सिंह (52 किलोग्राम), अखिल कुमार (56 किलोग्राम), जय भगवान (60 किलोग्राम), मनोज कुमार (64 किलोग्राम), दिलबाग सिंह (69 किलोग्राम), विजेंदर सिंह (75 किलोग्राम), दिनेश कुमार (81 किलोग्राम), मनप्रीत सिंह (91 किलोग्राम), परजीत समोता (91 किलोग्राम).

भारतीय बॉक्सरों के जर्मन कोच मिर्को वोल्फ का कहना है कि कॉमनवेल्थ की टीम में शामिल किए गए नए युवा बेहद प्रतिभाशाली हैं. कुछ युवा बॉक्सरों को तो सिंहासन का दावेदार बताया जा रहा है. पूर्व बॉक्सर कहने लगे हैं कि भारत बॉक्सिंग का क्यूबा यानी सबसे बड़ी ताकत बनने जा रहा है. जाहिर है कॉमनवेल्थ खेलों में इस दावे की एक अहम परीक्षा होगी.

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