दलाई लामा के कार्यक्रम से पहले लौटना पड़ा चीन
६ जनवरी २०१७![Bhutan Mönche Tanz in Bodhgaya 2012](https://static.dw.com/image/17146934_800.webp)
81 साल के तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा बोधगया के कालचक्र में प्रवचन देने वाले हैं. बोधगया में होने वाले इस खास आध्यात्मिक आयोजन के आयोजकों का कहना है कि चीन के दबाव के कारण तिब्बत से आए लोगों को वापस जाना पड़ा है. बोधगया वही जगह है जहां माना जाता है कि 2,000 साल पहले बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. कई सालों बाद होने वाले इस आयोजन में दुनिया भर से हजारों श्रद्धालुओं के इकट्ठा होने की आशा है.
बुधवार को आयोजन समिति के अध्यक्ष कर्मा गेलेक युथोक ने बताया है कि समारोह से पहले ही लगभग 7,000 तीर्थयात्री वापस चीन लौट गए हैं. उनका मानना है कि तिब्बती श्रद्धालुओं ने ऐसा चीनी प्रशासन के दबाव के कारण किया है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए युतोक ने बताया, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, चीन के दबाव के कारण वे वापस चले गए. ऐसे करीब 7,000 लोग हैं." इस आयोजन के साथ ही इन श्रद्धालुओं का तीर्थ पूरा होने वाला था, लेकिन अब वे पहले ही चले गए.
युथोक हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित तिब्बत की निर्वासित सरकार के सदस्य भी हैं. उन्होंने कहा कि कई तीर्थयात्रियों को धमकी दी गई कि अगर वे नहीं लौटे तो चीन में रहने वाले उनके सगे संबंधी खतरे में पड़े जाएंगे. साल 2012 में चीन ने ऐसे हजारों तिब्बती लोगों को हिरासत में ले लिया था, जो बोधगया के कालचक्र से होकर लौटे थे.
बीते महीने रेडियो फ्री एशिया ने समाचार दिया था कि कई तिब्बती तीर्थयात्री जो कालचक्र वाले आयोजन से पहले धर्मशाला पहुंचे हुए थे उन्हें साल खत्म होने से पहले चीन लौटने के आदेश मिले. हालांकि ऐसे किसी आदेश की पुष्टि के लिए जब समाचार एजेंसी एएफपी ने दिल्ली स्थित चीनी दूतावास से संपर्क किया तो उन्होंने इससे साफ इनकार किया.
1959 में विद्रोह के बाद दलाई लामा को भाग कर भारत जाना पड़ा. तिब्बती लोग उन्हें आज भी बहुत मानते हैं. चीन सरकार का कहना है कि चीनी सेनाओं ने 1951 में तिब्बत को "शांतिपूर्ण तरीके से आजाद कराया". चीन नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को अलगाववादी मानता है जो "आध्यात्मिक आतंकवाद" फैलाकर तिब्बत को चीन से अलग करना चाहता है.
हालांकि दलाई लामा कहते हैं कि वे अपनी मातृभूमि के लिए आजादी नहीं बल्कि अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. चीनी प्रशासन पर तिब्बत में धार्मिक दमन और तिब्बती संस्कृति को नष्ट करने के आरोप लगते हैं. कालचक्र 3 जनवरी से शुरू हुआ और यहां अगले हफ्ते से प्रमुख प्रवचन सत्र चलेंगे.
आरपी/एके (एएफपी)