दलाई लामा पर मंगोलिया को चीन की धमकी
२७ जनवरी २०१७मंगोलिया को इशारों इशारों में धमकी देते हुए चीन ने कहा कि, उम्मीद है कि अब मंगोलिया दलाई लामा को न्योता नहीं देगा. बौद्ध बहुल आबादी वाले मंगोलिया ने बीते साल नवंबर में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को न्योता देकर बुलाया था. इस न्योते से चीन बिफर पड़ा. मंगोलिया को सबक सिखाने के लिए बीजिंग ने कई तरह के आर्थिक कदम उठाए.
बीजिंग ने मंगोलिया से आने वाले सामान पर टैक्स बढ़ा दिया. इतना ही नहीं उत्तरी चीन से मंगोलिया जाने वाले विदेशी सामान पर अतिरिक्त ट्रांजिट टैक्स भी वसूला. आर्थिक रूप से कमजोर मंगोलिया इस कड़े कदमों से काफी प्रभावित हुआ.
अब चीन ने एक बार फिर मंगोलिया को उन टैक्सों की याद दिलाई है. मंगोलिया के विदेश मंत्री तसेंद मुंख-ओरगिल से टेलिफोन पर बात करते हुए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, "दलाई लामा के चुपचाप मंगोलिया दौरे ने चीन और मंगोलिया के रिश्तों में नकारात्मक असर डाला." विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर बयान जारी करते हुए यह भी कहा गया कि, "हमें उम्मीद है कि मंगोलिया ने इस नतीजे को पक्के तौर पर याद कर लिया होगा." बीजिंग ने उम्मीद जताते हुए कहा कि, "शायद अब मंगोलिया कभी दलाई लामा को न्योता न देने का वादा निभाएगा."
मंगोलिया भी चीन के दबाव के आगे झुकता नजर आ रहा है. मंगोलिया के विदेश मंत्री ने कहा, "मंगोलिया एक चीन नीति का पुरजोर तरीके से समर्थन करता है. वह इस बात को मानता है कि तिब्बत चीन का अभिन्न अंग है और तिब्बत चीन का आंतरिक मामला है." मंगोलिया सरकार के मुताबिक दलाई लामा को न्योता सरकार ने नहीं बल्कि बौद्ध समुदाय ने दिया था.
चीन के खिलाफ हुए विद्रोह के बाद 1959 में दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए. तब से वह भारत में ही रहते हैं. भारत में हजारों तिब्बती शरणार्थी भी रहते हैं. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर से तिब्बत की निर्वासित सरकार भी चलाई जाती है.
चीन दलाई लामा का अंतरराष्ट्रीय मंच पर विरोध करता रहा है. चीन उन्हें अलगाववादी मानता है. वहीं दलाई लामा कहते हैं कि वह चीन से आजादी नहीं बल्कि तिब्बत के लिए स्वायत्ता मांग रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों व विदेशों में रह रहे तिब्बतियों का आरोप है कि चीन तिब्बत में धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता को कुचलता है. बीजिंग इन आरोपों का खंडन करता है.
(इन मुद्दों से परेशान रहता है चीन)
ओएसजे/एमजे (रॉयटर्स)