भारतीय राज्य हरियाणा के फरीदाबाद में दो दलित बच्चों की हत्या के सिलसिले में सात पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है. हरियाणा सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने की बात की है.
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दलितों पर हमले से नाराज लोग फरीदाबाद में प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने दिल्ली जाने वाले एक हाइवे को जाम भी कर रखा है. मंगलवार को भी प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम किया और मांग रखी कि जब तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता, ना रास्ते खुलेंगे और ना ही बच्चों का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
इस मामले पर राजनीति भी गरमा रही है. लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट किया है, "मैंने मोदी व गुरु गोलवलकर की दलित विरोधी किताब जलाने की मांग की थी पर इनके राज में तो दलितों को ही जिंदा जलाया जाने लगा."
वहीं राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे. जब एक पत्रकार ने उनसे यह सवाल किया कि क्या वे केवल तस्वीरें खिंचवाने पहुंचे हैं, तो राहुल भड़क उठे. उन्होंने इसे अपमानजनक बताते हुए कहा, "इस देश में चारों ओर लोग मारे जा रहे हैं, कहीं किसी को पीटा जा रहा है. मैं बार बार इन लोगों से मिलने पहुंचूंगा."
यह घटना दिल्ली से सटे हुए फरीदाबाद के बल्लभगढ़ स्थित सुनपेड़ गांव की है. पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार मंगलवार सुबह 2.30 बजे गांव के एक दलित परिवार के घर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाई गयी. इस हमले में ढाई साल का वैभव और उसकी ग्यारह महीने की बहन दिव्या की जान गयी. 28 वर्षीय मां रेखा आग में झुलस गयीं, उनका दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है.
31 वर्षीय पिता जीतेंद्र ने घटना के बारे में बताया, "हम सो रहे थे, जब उन लोगों ने खिड़की से पेट्रोल फेंका. पेट्रोल की गंध से मेरी नींद टूटी. मैंने अपनी पत्नी को जगाया, पर तब तक आग लग चुकी थी. उन लोगों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था. मेरे दोनों बच्चे आग में मारे गए." रोते बिलखते जीतेंद्र ने बताया कि राजपूत समुदाय के लोगों ने उसे धमकी दी थी, "उन्होंने कहा था कि गांव वापस मत आना, मैं अब नहीं आऊंगा लेकिन मेरे बच्चे मुझे लौटा दो."
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ चर्चा की है. मामले की जांच शुरू कर दी गयी है और सात पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. साथ ही गांव के 11 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गयी है. इन सब पर हत्या और हिंसा फैलाने के आरोप लगे हैं. दो लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.
हरियाणा के डीजीपी यश पाल सिंगल ने पत्रकारों को बताया कि इसी गांव में पिछले अक्टूबर में तीन राजपूतों की हत्या हुई थी और उस समय आरोप दलितों पर लगा था. उसके बाद कई दलित गांव छोड़ कर चले गए. जीतेंद्र का परिवार पुलिस द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद गांव में रुका. रिपोर्टों के अनुसार जीतेंद्र के घर के बाहर सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात थी, उसके बावजूद यह घटना घटी.
आईबी/आरआर (पीटीआई)
गौहत्या पर हत्या कितनी जायज?
दादरी में गोमांस रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने एक व्यक्ति का कत्ल कर डाला. इस घटना पर हमने लोगों से पूछी उनकी राय. जवाब परेशान करने वाले हैं.
तस्वीर: AP
50 साल के मोहम्मद अखलाक की जान एक अफवाह के कारण गयी, जो वॉट्सऐप के जरिए फैली. वॉट्सऐप संदेशों में लिखा गया कि उसने गाय को काटा है. फेसबुक पर कई लोगों ने इस हत्या को जायज बताया है. हालांकि कुछ ऐसे समझदार भी मिले जो मिलजुलकर रहने का आग्रह कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Stringer
योगेंद्र पांडेय ने लिखा है, "दादरी मे जो कुछ हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज मे स्वीकार्य नहीं है, पर क्या यह सच्चाई नहीं है कि इसी तरह ईशनिंदा की अफवाह उड़ाकर हर साल सैकड़ों निर्दोष पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब मुल्कों में मौत के घाट उतार दिए जाते हैं? क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती ही है."
तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman
फरीद खान ने लिखा है, "इन कट्टरवादी ताकतों का मुकाबला मिलजुल कर और आपसी ऐतेमाद कायम करके ही किया जा सकता है. आजकल जिस तरह उकसावे की राजनीति करके मुसलमानों के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह ना तो किसी प्रकार उचित है, न ही इस देश की एकता व अखंडता के लिए शुभ संकेत है. कल को अगर यही मजलूम मुसलमान मजबूर होकर हथियार उठा ले, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?"
तस्वीर: S. Rahman/Getty Images
कुलदीप कुमार मिश्र ने बीफ के निर्यात की ओर ध्यान दिलाते हुए सवाल किया है, "गोमांस के निर्यात में भारत ने विश्व रिकार्ड बना डाला! ब्राजील को पीछे छोड़ कर पहले स्थान पर कब्जा! (2015 का आंकड़ा दिया जा रहा है!) और देश में गाय का मांस खाने पर प्रतिबंध लगता है."
तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman.
अजय राज सिंह ठाकुर की टिप्पणी, "भीड़ ने जो किया, वह निश्चित ही बहुत गलत और असभ्य था. कुछ भी करने से पहले उस बात कि सच्चाई को जानना चाहिए था. गौ माता और नारियां, दोनों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए. ऐसा व्यवहार बहुत ही खेदजनक और शर्मनाक है!!"
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कमलकिशोर गोस्वामी लिखते हैं, "हजारों बार देखा है मैंने भारतीय लोकतंत्र को तार तार होते. सत्तर बरस की आजादी लाखों बरस की सभ्यता और ऐसा जंगलीपन. सौ लोगों की भीड़ जो अब कई गांवों में तब्दील हो गई है. सोशल मिडिया पर लोग इतना गंद लिख रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ पर कुछ नहीं हो रहा. क्या कहें ऐसे लोकतंत्र पर और क्या कहें उन महानुभवों को जिन्होंने हमें ऐसे लोकतंत्र का तोहफा दिया."
तस्वीर: DW
हरिओम कुमार का कहना है, "जिन देशों की आबादी ज्यादा होती है उन देशो में लोकतंत्र काम नहीं करता. खासकर जिन देशों की एक बहुत बड़ी आबादी अनपढ़ हो." इसी तरह रली रली ने लिखा है, "लगाया था जो उसने पेड़ कभी, अब वह फल देने लगा; मुबारक हो हिन्दुस्तान में, अफवाहों पे कत्ल होने लगा." गोपाल पंचोली ने एक अहम बात कही, "गाय और सूअर, फिर आ गई अंग्रेजों वाली राजनीति!"