मुंबई की सघन आबादी वाली झुग्गी बस्ती धारावी में कोविड-19 ने दस्तक दे दी है. कोरोना वायरस के संक्रमण से धारावी को बचाने के लिए प्रशासन मुस्तैद हो गया है.
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विश्व की बड़ी झुग्गी बस्तियों मे से एक धारावी में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की मौत के बाद प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. सघन बस्ती होने के कारण यहां संक्रामण के फैलने की आशंका अधिक है. धारावी मे सोशल डिसटेंसिंग जैसे कदमों को अपनाने में आ रही दिक्कतों ने भी राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है.
पिछले 72 घंटों में कोरोना वायरस के 3 मामले सामने आने और एक मौत होने के बाद पूरे धारावी को विशेष निगरानी वाले क्षेत्र मे रखा गया है. संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए धारावी बस्ती की कुछ जगहों को सील कर दिया गया है.
पुलिस सतर्कता बढ़ी
स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता की बात यह भी है कि धारावी के जिस शख्स की मौत हुई है, वह कभी विदेश भी नहीं गया था. ऐसी आशंका है मृतक को किसी स्थानीय व्यक्ति से संक्रमण हुआ होगा। यही आशंका प्रशासन की परेशानी भी बढ़ा रही है. धारावी में रहने वाले चार ऐसे लोगों का पता चला है कि जो दिल्ली में तबलीगी जमात में शामिल हुए थे. अब यह जांच भी की जा रही है कि कहीं धारावी की इस मौत का संबंध तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम से तो नहीं है.
इसी बीच झुग्गी बस्ती का एक डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. केस कंफर्म होने के बाद डॉक्टर और उसके परिजनों को क्वॉरंटीन कर दिया गया है. इस बीच प्रशासन, डॉक्टर के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुट गया है. इसके पहले धारावी में तैनात बीएमसी कर्मी भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. स्थानीय विधायक और राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ का कहना है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है.
बृह्नमुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी ऐसे लोगों की सूची बना रही है जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं और उन्हें श्वास संबंधी दिक्कतें हैं. इन सभी की जांच की जाएगी.
बड़ा सवाल: कोरोना से बचें कि पेट भरें
मेक्सिको में बहुत सारे लोग पटरी पर दुकान लगाकर अपना और अपने परिवार की रोजीरोटी चलाते हैं. कोरोना महामारी ने उनके लिए परेशानी पैदा कर दी है. जान बचाएं कि पेट पालें.
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मेक्सिको सिटी
मेक्सिको की सरकार ने 1 अप्रैल को हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी और कोरोना वायरस को रोकने के लिए सख्त कदमों की घोषणा की. इसका असर मेक्सिको सिटी पर भी हुआ है, जो पर्यटकों में बहुत लोकप्रिय है.
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टेपिटो बाजार
इस बाजार को टेपिटो इलाके में बसा होने के कारण खतरनाक माना जाता है. मजदूरों की ये इलाका कभी अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब इसे चोरों और ड्रग डीलरों का अड्डा माना जाता है.
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ऐतिहासिक केंद्र
टेपिटो बाजार चार गलियों में बने बाजारों से बना है. यह मेक्सिको सिटी के ऐतिहासिक केंद्रीय इलाके के पास ही है. इसलिए यह पर्यटकों में भी लोकप्रिय है. सिर्फ इस इलाके में वही जाते हैं जो संभल कर जा सकें.
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बाजार लगाने की तैयारी
यहां एक स्थानीय दुकानदार अपनी दुकान लगाने की तैयारी कर रहा है. इलाके में कम आय वर्ग के लोगों को किफायती सामान मिल जाता है. भारत में भी बड़े शहरों में इस तरह के बाजार देखे जा सकते हैं.
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रेहड़ी वालों की मुश्किल
अलफांसो रेमिरेज पिछले 50 साल से रेहड़ी लगाकर रोजी रोटी कमाते रहे हैं. अब वे राजधानी में डीवीडी बेचते हैं. कोरोना वायरस को रोकने के लिए उठाए गए कदमों ने उनकी दुकानदारी ठप्प करा दी है.
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कोई नहीं आता पॉलिश करवाने
अलफांसो जैसा ही हाल मानुएल खेमिनेज का है. वे तीस साल से मेक्सिको सिटी में जूतों की पॉलिश कर रहे हैं. लेकिन लॉकडाउन के जमाने में कोई जूते पॉलिश करनावे नहीं आ रहा.
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परेशान हैं ये दुकानदार
मार्ता दे लोपेज मेक्सिको सिटी के प्लाजा सान खुआन इलाके में हाथ से बनाए गए सामान बेचती है. लेकिन जब से ग्राहक नहीं आ रहे हैं, उसकी कमाई नहीं हो रही है.
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क्या करें रेहड़ी वाले
सराई और उसके पति का तो और बुरा हाल है. वे पटरी पर जड़ी बूटियां और हर्बल चीजें बेचते हैं. ये भी अभी नहीं बिक रहा. कुछ चीजें तो जल्दी खराब होने वाली भी हैं. उनके चार बच्चे भी हर दिन काम पर उनके साथ होते हैं.
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पुलिस बंद करवा रही हैं दुकानें
पटरियों पर सामान बेचने वालों को अब पुलिस अपने घरों में भेज रही है. नोरा और उसकी मां वेलेंसिया अभी भी अपनी रेहड़ी लगा रहे हैं, लेकिन खरीदार अपने घरों में बंद हैं तो उनकी दुकान पर कोई सामान खरीदने नहीं पहुंच रहा.
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धारावी महामारी का आसान शिकार
धारावी को दुनिया के सबसे सघन रिहाइशी इलाकों में गिना जाता है. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 550 एकड़ में फैली इस झुग्गी बस्ती में करीब दस लाख लोग रहते हैं. स्पष्ट है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां छोटी सी जगह में कई लोग रहते हैं. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी सोशल डिसटेंसिंग का धारावी मे पालन हो पाना एक बड़ी चुनौती है. यहां का जनसंख्या वितरण, झुग्गियों के बीच न के बराबर दूरी और बेहिसाब गंदगी स्वास्थ्य कर्मियों की नींद उड़ाने के लिए काफी है.
ब्रिटिश काल में मजदूरों के लिए बसाया गया यह स्लम आज भी कम खर्च में सिर के ऊपर छत चाहने वालों का आसान ठिकाना है. यहां लाखों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर और छोटे कारोबारी रहते हैं. इन लोगों मे शिक्षा का स्तर संतोषजनक नहीं है. स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी यहां काफी कम है. किसी भी महामारी के लिए ऐसे क्षेत्र बिलकुल मुफीद होते हैं. धारावी बस्ती में रहने वाले और चमड़े का कारोबार करने वाले अजीम वीरानी कहते है कि यहां कोई भी बीमारी आसानी से फैल सकती है.
झुग्गी बस्तियों और चालों पर खतरा
धारावी के अलावा भी मुंबई में कई झुग्गी बस्तियां है. धारावी से पहले मुंबई की ही एक अन्य झुग्गी बस्ती वर्ली कोलिवाड़ी में कोरोना वायरस का संक्रमण पहुंच चुका है. यहां की एक महिला के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद वर्ली कोलिवाड़ी इलाके को भी सील किया जा चुका है. इसके अलावा सघन आबादी वाले चालों मे भी बीएमसी का स्वास्थ्य विभाग निगरानी बनाए हुए है. बोरीवली के एक चॉल में रहने वाले महेंदर शर्मा कहते हैं कि संकरी गलियों में दूरी बना पाना आसान नहीं है फिर भी लोग कोशिश तो कर ही रहे हैं. झुग्गी बस्तियों में सोशल डिसटेंसिंग का पालन हो पाना मुश्किल है. प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है. इसे देखते हुए यहां लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस गश्त लगा रही है.
दुनिया के 206 देश एक ऐसे दुश्मन से जंग लड़ रहे हैं जिसको अभी के हालात में हरा पाना मुश्किल लग रहा है. यह अब तक 53 हजार जिंदगियां लील चुका है. एक नजर डालते हैं किस देश में कैसे कोरोना वायरस से युद्ध लड़ा जा रहा है.
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फिलीपींस
फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने वालों को गोली मारने के आदेश दिए हैं.
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नाइजीरिया
घर पर रहने के आदेश को नहीं मानने पर सैनिक ने एक शख्स को गोली मार दी, शख्स की मौत हो गई. नाइजीरिया ने कोरोना वायरस को लेकर कठोर नियम बनाए हैं.
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दक्षिण अफ्रीका
केपटाउन में 21 दिनों के लॉकडाउन को लागू कराने के लिए सैनिक सड़कों पर उतर आए हैं. दक्षिण अफ्रीका में 27 मार्च को लॉकडाउन लागू हुआ.
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अल सल्वाडोर
कोरोना वायरस के कारण अल सल्वाडोर में 21 मार्च से ही एक महीने का लॉकडाउन लागू है. राजधानी सन सल्वाडोर में लॉकडाउन की घोषणा होते ही लोग घरों से बाहर जरूरी सामान इकट्ठा करने के लिए जुट गए थे.
तस्वीर: Reuters/J. Cabezas
कोलंबिया
राजधानी बगोटा में गश्त लगाते सेना के जवान. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए उन्होंने चेहरे पर मास्क और दस्ताने पहन रखे हैं. लातिन अमेरिका में कोलंबिया तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है.
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इटली
कोरोना वायरस के कारण इटली में सबसे अधिक मौतें हुई हैं. यहां पर भी सेना सख्ती से काम ले रही है. कैटेनिया में बीच सड़क पर तैनात इटली के सैनिक.
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दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया में सेना के जवानों को इमारतों को कीटाणुमुक्त करने के काम पर लगाया गया है. कोरोना वायरस के बढ़ते मामले के बाद ऐसा किया गया.
तस्वीर: Reuters/Kim Kyung-Hoon
फ्रांस
यूरोपीय देशों की सीमाएं सील हैं, इटली और फ्रांस की सीमा पर इटली के जवान तैनात हैं. फ्रांस से आने वाली एक महिला सैनिकों से इटली में दाखिल होने की इजाजत मांगती हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/V. Hache
भारत
भारत में तीन हफ्तों का लॉकडाउन चल रहा है. कई बार पुलिस समझाने की कोशिश करती है और जान बूझ कर उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो रही है.