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दस साल में दुनिया घूमेंगे नूबो

२५ सितम्बर २०१३

चीनी अरबपति हुआंग नूबो दस साल की विश्व यात्रा पर चले हैं और यात्रा की शुरुआत उन्होंने जर्मनी से की. यात्रा विश्व सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के लिए है, लेकिन इरादा कुछ और भी है. डॉयचे वेले ने उनसे ट्रियर में मुलाकात की.

हुआंग नूबो और क्रिस्टॉफ वाइसतस्वीर: Huang Nubo

पश्चिमी जर्मनी के मोजेल नदी के तट पर बसे रोमन शहर ट्रियर ने हुआंग नूबो का स्वागत शरद के एक बारिश वाले दिन किया. रियल स्टेट और पर्यटन उद्योग से धन कमाने वाले चीनी कारोबारी दो हफ्ते से जर्मनी में घूम रहे हैं और इस दौरान 20 जगहों पर विश्व सांस्कृतिक धरोहरों को देखा है. दुनिया भर में इस समय संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनेस्को के तय किए विश्व धरोहरों की संख्या 981 है. जब हम उनसे पार्क प्लाजा होटल की लॉबी में मिले तो वे तरोताजा और अच्छे मूड में दिख रहे थे. 1.9 मीटर लंबे नूबो को ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने का शौक है और वे हर दिन दो घंटे फिटनेस स्टूडियो में गुजारते हैं, भले ही वे दौरे पर क्यों न हों.

होटल की लॉबी में क्रिस्टॉफ वाइस भी चीनी अरबपति का इंतजार कर रहे हैं. वे शौकिया गाइड हैं और हुआंग को कार्ल मार्क्स की जन्म नगरी ट्रियर दिखाएंगे. वैसे हुआंग अपने साथ दुभाषिए, कॉर्डिनेटर और फोटोग्राफर लेकर चल रहे हैं. रोमन काल की इमारतें, शहर का कैथीड्रल और लीबफ्राउएन चर्च, हुआंग के जरूरी कार्यक्रम में हैं, क्योंकि वे विश्व सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं. क्रिस्टॉफ वाइस पेशे से वाइनग्रोवर हैं. वे अपने विनयार्ड से रीजलिंग वाइन की तीन बोतलें लेकर आए हैं, क्वालिटी की गारंटी वाला तोहफा.

डोम और लीबफ्राउएन चर्चतस्वीर: picture-alliance/Bildagentur Huber

हुआंग हंसते हैं, और वाइस का आभार जताते हैं. "क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं कि ऐसा कुछ चीन में होगा? वे मुझे शहर दिखाने अपने मन से आए हैं, हालांकि हम एक दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं हैं. ऐसा कुछ चीन में सोचा भी नहीं जा सकता."

लोगों से मुलाकातें

हुआंग ने विश्व सांस्कृतिक धरोहरों को देखने के लिए दस साल के विश्व भ्रमण की शुरुआत अगस्त में की, लेकिन उनकी दिलचस्पी मुख्य रूप से यह जानने में है कि उन 160 देशों के लोग कितने दोस्ताना स्वभाव हैं, जिनसे वे मिलेंगे. अपनी यात्रा को वे एक प्रोजेक्ट बताते हैं, "मानवीयता के चेहरे." हुआंग नूबो सफल कारोबारी हैं. वे 2.3 अरब यूरो की निजी जायदाद के साथ चीन के धनाढ्यों में 41वें नंबर पर हैं. 2011 में उन्होंने आइसलैंड में एक टूरिज्म प्रोजेक्ट के लिए 300 वर्गकिलोमीटर जमीन खरीदने की विफल कोशिश कर नाम कमाया था.

विश्व भ्रमण के लिए वे समय ले रहे हैं. हर महीने 20 दिन की यात्रा और दस दिन बीजिंग में अपनी झोंगकून कंपनी के दफ्तर में, लेकिन रोजमर्रे के काम से उन्हें ट्रियर में भी फुर्सत नहीं है. बार बार वे अपनी जेब से फोन निकालते हैं, मैसेज पढ़ते हैं, जवाब देते हैं, फोन पर छोटीमोटी बात करते हैं, या फोन को फिर से जेब में रख लेते हैं.

मानवीयता के चेहरेतस्वीर: Huang Nubo

क्रिस्टॉफ वाइस उन्हें ट्रियर का प्रसिद्ध डोम और लीबफ्राउएन चर्च दिखाते हैं. हुआंग चर्च के विशाल हॉल में बीच में रुकते हैं, अपनी हाल में छपी कविता की किताब हाथ में लेते हैं, धीमे से कुछेक पंक्तियां पढ़ते हैं. यह पूरी यात्रा के दौरान तय दस्तूर है. कैमरामैन गाओ यूआन उनकी तस्वीर खींचता है. डोम से निकल कर हुआंग कहते हैं, "देखो, जर्मनों ने अपनी पुरानी दर्शनीय चीजों को कैसे संभाल कर रखा है. दूसरों को इससे कुछ सीखना चाहिए, खासकर चीनियों को. अतीत में हमने कितना कुछ नष्ट कर दिया है, जो हमारे राष्ट्र की बौद्धिक और सांस्कृतिक दौलत का हिस्सा था और अब वापस नहीं आ सकता."

कम्युनिस्ट अरबपति

हुआंग नूबो अरबपति हैं और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य हैं. जब हम कार्ल मार्क्स भवन के सामने पहुंचते हैं तो हुआंग हंसते हैं और कहते हैं, "कम्युनिस्ट पार्टी के जनक का घर." वे अंदर जाते हैं, कमरों पर सरसरी निगाह डालते हैं और सोवेनियर की दुकान पर पहुंच जाते हैं.जब वे बाहर निकलते हैं तो उनके हाथों में मार्क्स की छोटी मूर्ति, मार्क्स की तस्वीर वाला एक कलम और मार्क्स हाउस के निशान वाली रेड वाइन की बोतल है. बाहर निकलने से पहले वे गेस्टबुक में लिखते हैं, "मार्क्सवाद ने मानवता के बिजनेस मॉडलों की बहुलता में योगदान दिया है."

ट्रियर का दूसरी सदी का रोमन पुलतस्वीर: imago/ARCO IMAGES

हुआंग आराम नहीं करते. वे उसी दिन औद्योगिक स्मारक फोएल्कलिंगर हुटे जाते हैं, 1986 में बंद कर दिया गया फोएल्कलिंगेन का आयरन वर्क्स. और हिंत्सर्ट के नाजी यातना शिविर के स्मारक पर भी, जहां कुख्यात नाजी संगठन एसएस का यातना शिवर था. हुआंग अपने गाइड से जर्मनी में नस्लवाद और नवनाजियों की लोकप्रियता के बारे में कुरेद कुरेद कर सवाल पूछते हैं.

शाम के खाने पर बातचीत का माहौल हल्का फुल्का है. क्रिस्टॉफ वाइस पेशेवर अंदाज में वाइन चुनते हैं. मेन कोर्स के बाद हुआंग अपने गाइड को अचंभे में डालते हुए सवाल करते हैं कि क्या वे उनके लिए चीन में काम करना चाहेंगे? ऐसे सवाल की उम्मीद न करने वाले वाइस मना कर देते हैं लेकिन कहते हैं, "ऐसा ऑफर है जिसे मना नहीं किया जा सकता, जानते हैं मैं यहां गहरे तौर पर जुड़ा हूं. मेरी पत्नी को तो इसका पता भी नहीं चलना चाहिए." सभी हंस देते हैं.

अब परेशान होने की बारी हुआंग की है. वे जब वीजा कार्ड से पेमेंट करना चाहते हैं, तो रेस्तरां की मालकिन मना कर देती है और बताती है कि वहां सिर्फ ईसी कार्ड चलता है. हुआंग के पास क्रेडिट कार्डों की कमी नहीं है, लेकिन उनमें ईसी कार्ड नहीं है. अंत में उनकी दुभाषिया नोटों के साथ उनकी मदद को आती हैं. हुआंग जर्मनी में पेमेंट के बारे अपनी राय तय कर लेते हैं, अंडरडेवलप्ड. "इसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी. यहां इस बात का खतरा है कि आपके पास पैसा न होने पर भूखे रहना पड़ सकता है."

रिपोर्ट: यिंग यांग/एमजे

संपादन: निखिल रंजन

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