भारतीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर आठ मिनट पर एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है. आखिर विवाहित पुरुषों में पनप रही आत्महत्या की इस प्रवृत्ति की वजह क्या है?
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कानपुर में एक युवा आईपीएस अधिकारी ने पारिवारिक कलह की वजह से जहर खाकर जान दे दी. इससे पहले बिहार के एक आईएएस अधिकारी ने गाजियाबाद में बीते साल रेल से कट कर जान दे दी थी. ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. आखिर क्यों आत्महत्या कर रहे हैं युवा अधिकारी?
ऐसी विभिन्न घटनाओं की जो वजह सामने आ रही हैं उनमें एक समान बात यह है कि प्रशासनिक अधिकारी होने की वजह से खासकर बिहार व यूपी में शादी के बाजार में करोड़ों का भाव मिलने की वजह से लड़के के माता-पिता दहेज के लालच में अकसर बेमेल विवाह कर रहे हैं.
ऐसे में लड़का तो सामान्य परिवार का होता है लेकिन करोड़ों का दहेज लाने वाली लड़की हाई-फाई व पैसे वाले घर की. नतीजतन कुछ दिनों बाद ही खटपट शुरू हो जाती है जो आगे चल कर किसी एक की मौत के साथ खत्म होती है. इन घटनाओं की वजह से अब पुरुषों के लिए भी राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर एक आयोग बनाने की मांग उठने लगी है. दहेज प्रथा ही इन घटनाओं के मूल में है.
कहां किस उम्र में कर सकते हैं शादी
कहां किस उम्र में कर सकते हैं शादी
दुनिया के हर देश में शादी को लेकर अपने अलग नियम कानून हैं. भारत में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 21 और महिलाओं के लिए 18 तय की गई है लेकिन दुनिया के अन्य देशों में यह अलग है. एक नजर.
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चीन
शादी की न्यूनतम उम्र चीन में पुरूषों के लिए 22 साल और महिलाओं के लिए 20 साल तय की गई है.
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पाकिस्तान
न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 16 साल है. लेकिन तमाम कानूनों के बावजूद बाल विवाह एक बड़ी समस्या है.
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बांग्लादेश
यहां कानूनन शादी की न्यूनतम उम्र महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरूषों के लिए 21 साल है, लेकिन बाल विवाह इस देश की बड़ी समस्या है.
तस्वीर: bdnews24.com
अफगानिस्तान
यहां शादी के लिए महिलाओं की न्यूनतम उम्र 16 साल और पुरूषों की न्यूनतम आयु 18 साल तय की गई है.
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भूटान
भारत के पड़ोसी देश में लड़के और लड़कियों दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है.
तस्वीर: dapd
म्यांमार
यहां भी कानून मुताबिक शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है. लेकिन यहां बाल विवाह बहुत होते हैं.
तस्वीर: Reuters/Soe Zeya Tun
इंडोनेशिया
इस देश में महिलाओं के लिए न्यूनतम उम्र 16 साल है और लड़कों के लिए 19 साल. लेकिन लड़कियों की यहां जल्द शादी कर दी जाती है.
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मलेशिया
मलेशिया में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 16 साल तय की गई है. शरिया कोर्ट की इजाजत से लड़कियों की शादी जल्द भी की जा सकती है.
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उत्तर कोरिया
अलग-थलग रहने वाले उत्तर कोरिया में शादी की न्यूनतम उम्र पुरूषों के लिए 18 साल और महिलाओं के लिए 17 साल तय की गई है.
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ईरान
इस्लामी गणतंत्र में महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 13 साल है. लेकिन अदालत और लड़की के पिता की अनुमति होती है तो नौ साल में भी लड़कियों की शादी कर दी जाती है.
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इराक
कानूनन देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है. लेकिन अगर मां-बाप की इजाजत हो तो शादी 15 साल की उम्र में भी हो सकती है.
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इस्राएल
इस देश में शादी की न्यूनतम आयु 18 साल रखी गई है लेकिन इसमें कुछ रियायतें भी हैं.
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जापान
यहां पुरूषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कियों के लिए 16 साल तय की गई है.
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ऑस्ट्रेलिया
यहां पुरूष और महिलाओं दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल निर्धारित की गई है.
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ऑस्ट्रिया
इस यूरोपीय देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल तय की गई है.
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बोलिविया
यहां शादी की न्यूनतम उम्र महिलाओं के लिए 14 साल और लड़कों के लिए 16 साल है.
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ब्राजील
इस देश में यूं तो शादी की उम्र कानूनन 18 साल है लेकिन यूनिसेफ के आंकड़े जल्दी शादी को बड़ी समस्या बताते हैं.
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कनाडा
उत्तरी अमेरिका के इस देश में शादी की न्यूनतम उम्र 16 साल रखी गई है.
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क्यूबा
अमेरिका के करीब स्थित इस समाजवादी देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है.
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फ्रांस
यहां कानूनन शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. लेकिन यहां बसे एशियाई और अफ्रीकी समुदाय के बीच बाल विवाह प्रचलित है.
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जर्मनी
जर्मनी में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. जबरन विवाह कराना यहां एक कानूनी अपराध है जिसके लिए पांच साल की सजा है.
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ग्रीस
शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है. आधिकारिक आंकड़ों मुताबिक बाल विवाह यहां बसे रोमानियाई मूल के लोगों के बीच प्रचलित है.
शीत युद्ध की समाप्ति से पहले समाजवादी रहे इस देश में शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है.
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स्पेन
स्पेन सरकार ने साल 2015 में शादी की न्यूनतम उम्र को 14 साल से बढ़ाकर 16 साल किया है.
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एस्टोनिया
यूरोप में शादी की न्यूनतम उम्र इस देश में सबसे कम है. अभिभावकों की अनुमति से यहां किशोर 15 साल की उम्र में शादी कर सकते हैं.
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दहेज प्रथा है जिम्मेदार
तमाम कानूनों के बावजूद खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में अब भी शादी के बाजार में प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की भारी मांग है. पैसे वाले लोग अपनी बेटियों के लिए आईएएस या आईपीएस वर पाने के लिए करोड़ों की रकम देने के लिए तैयार रहते हैं. इसके पीछे मंशा यह होती है कि उनकी बेटी आजीवन राज करेगी. लेकिन समाज में लगातार घटती सहिष्णुता की वजह से अब ऐसे कई मामलों में नतीजे घातक साबित हो रहे हैं.
हाल के दिनों में ऐसी कम से कम छह घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इनमें सबसे ताजा मामला बलिया के रहने वाले आईपीएस अधिकारी सुरेंद्र कुमार दास का है. उन्होंने बीते सप्ताह सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जान दे दी. अब यह बात साफ हो चुकी है कि बेमेल विवाह की पेचीदगियों ने ही इस युवा अधिकारी को अत्महत्या की मानसिकता में पहुंचा दिया था.
पत्नी के रवैये से परेशान उक्त अधिकारी पहले भी एक बार आत्महत्या की कोशिश कर चुके थे. कहा जा रहा है कि सुरेंद्र दास मानसिक अवसाद से पीड़ित थे. लेकिन आखिर उनको इस हालत में किसने पहुंचाया, इस सवाल का जवाब तो पूरे मामले की जांच के बाद ही होगा.
इन देशों में मुश्किल है तलाक
इन देशों में मुश्किल है तलाक
शादी का बंधन दो लोगों को आपस में जोड़ने का प्रतीक माना जाता है लेकिन अगर कोई व्यक्ति इससे निकलना चाहे तो वह उसकी पसंद होना चाहिए. लेकिन दुनिया में अब भी ऐसे कुछ देश हैं जहां शादी तोड़ना आसान नहीं है.
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फिलीपींस
यह एशियाई देश दुनिया का इकलौता ऐसा मुल्क हैं जहां तलाक पर प्रतिबंध है. लेकिन लंबी कोशिशों के बाद तलाक से जुड़ा एक विधेयक देश की संसद में पेश किया गया है जिसके पारित होने पर संशय बरकरार है. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी विदेशी से विदेशी धरती पर तलाक लेता है तो वह दोबारा शादी कर सकता है. लेकिन अगर कोई देसी जोड़ा देश के बाहर तलाक लेता है, तब भी उसे शादीशुदा ही माना जाएगा.
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माल्टा
यूरोपीय देश माल्टा भी तलाक को कानूनी रूप से लागू करने में काफी पीछे रहा है. देश के संविधान में तलाक को गैरकानूनी करार दिया गया था. लेकिन साल 2011 में इसमें बदलाव किया गया और तलाक के कानून को पहली बार लागू किया गया. नए कानून के तहत पति-पत्नी दोनों या इनमें से कोई एक अब तलाक के लिए अर्जी दे सकता है.
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चिली
चिली में तलाक लिया तो जा सकता है लेकिन उसके लिए जरूरी है कि पति-पत्नी 1 से 3 साल तक अलग रह रहे हों. साथ ही तलाक लेने का उनके पास कोई कारण हो. मसलन उन्हें सामने वाले के आचरण में दुर्व्यवहार, धोखा जैसे बातों को साबित करना पड़ता है.
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मिस्र
मिस्र में बिना-गलती (नो-फॉल्ट) तलाक साल 2000 में लागू किया गया था. लेकिन अब भी देश की महिलाओं के लिए अदालतों तक पहुंचना आसान नहीं है. मौजूदा कानून के मुताबिक मुस्लिम पुरूष अपनी पत्नियों को बिना किसी कानूनी मशविरे के तलाक दे सकते हैं. लेकिन मुस्लिम महिलाएं अपने पति की सहमति से अदालत में जाकर ही तलाक ले सकती हैं.
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जापान
जापान में अधिकतर तलाक सीधे-सीधे होते हैं. यहां शादीशुदा जो़ड़ों को बिना अदालत जाए एक पेज के फॉर्म पर दस्तखत कर तलाक तो मिल जाता है लेकिन जापान के कानून में बच्चे की कस्टडी से जुड़ा कोई प्रावधान नहीं है. यहां तक कि औरत को अगली शादी के लिए तलाक के छह महीने बाद तक का इंतजार करना पड़ता है लेकिन पुरुषों पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है.
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इससे पहले बीते साल बिहार के बक्सर में जिलाशासक रहे मुकेश कुमार पांडेय ने गाजियाबाद जाकर रेल की पटरी पर जान दे दी थी. आत्महत्या करने से पहले बनाए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा था कि पत्नी से उनकी जरा भी पटरी नहीं बैठ रही है. मुकेश ने कहा था कि उसके माता-पिता और पत्नी के बीच हमेशा झगड़ा होता रहता था और वह और उनकी पत्नी स्वभाव में एक-दूसरे से अधिक विपरीत थे. इस वजह से उनकी जिंदगी नरक हो गई थी और इसी वजह से उन्होंने अपना जीवन खत्म करने का फैसला किया.
2012 बैच के उक्त अधिकारी की शादी नवंबर 2013 में पटना के एक बड़े व्यापारी की पुत्री आयुषी से हुई थी. पांडेय के माता-पिता असम की राजधानी गुवाहाटी में मध्यवर्ग से ताल्लुक रखते थे. बाद में साफ हुआ था कि पांडेय को उनके ससुराल के लोग हमेशा अपमानित करते रहते थे.
समाज की बढ़ती चिंता
लगार बढ़ती ऐसी घटनाओं ने अब समाजविज्ञानियों को चिंता में डाल दिया है. उनका कहना है कि दहेज ही इन घटनाओं की जड़ है. ऐसे कई मामलों में लड़के के माता-पिता भी दोषी होते हैं. मधय्वर्ग का कोई लड़का जब हाड़-तोड़ मेहनत से सिविल सेवा की परीक्षा पास कर लेता है, तो उसके घर लड़कीवालों की लाइन लग जाती है.
लड़के के माता-पिता अकसर ऐसे मामलों में उसकी कामयाबी को भुनाते हुए पैसे के लालच में उसका रिश्ता किसी हाई-फाई पैसे वाले के घर तय कर देते हैं. दो अलग-अलग संस्कृति व पृष्ठभूमि के लड़के-लड़की में शुरुआत में कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहता है लेकिन बाद में खटपट शुरू हो जाती है. ज्यादातर मामलों में लड़की के घरवाले भी अपनी पुत्री का ही पक्ष लेते हैं.
भारतीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर आठ मिनट पर एक विवाहित पुरुष आत्महत्या करता है. आखिर विवाहित पुरुषों में पनप रही आत्महत्या की इस प्रवृत्ति की वजह क्या है? दरअसल इस सवाल का जवाब हिंदू वैवाहिक व्यवस्था और भारतीय दंड संहिता में छुपा है.
कहां होते हैं सबसे ज्यादा तलाक
हिंदू व्यवस्था में विवाह एक संस्कार है और इसे तोड़ा नहीं जा सकता है. ऐसे में पति और पत्नी से यह अपेक्षा की जाती है कि वे जीवन भर इन संबंधों को निभाएं. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत हिंदू पति या पत्नी को अलग होने का अधिकार है. लेकिन इसके लिए क्रूरता, व्यभिचार, धर्म परिवर्तन, असाध्य रोग जैसे ठोस और मजबूत आधार का होना अनिवार्य है.
पति-पत्नी की आपसी सहमित से भी तलाक का प्रावधान है. लेकिन ऐसे लगभग सभी मामलो में दोनों पक्षों में सहमित नहीं बन पाती. ऐसे में बरसों तलाक का मुकदजमा लड़ना पड़ता है. इसके अलावा इस मामले में कानून भी महिलाओं का साथ देता है. नतीजतन ऐसे कई मामलों में पुरुष आत्महत्या का रास्ता चुन लेते हैं.
इस समस्या का सबसे दुखद पहलू यह है कि जो मां-बाप पालते हैं, वही अपने बेटे की बोली लगाते हैं. वह उस पर धौंस जमाते हैं कि हमने पाला-पोसा और पढ़ाया-लिखाया. दहेज के लिए होने वाले बेमेल विवाह समाज का सबसे खतरनाक पक्ष बनते जा रहे हैं.
क्या है उपाय
समाजशास्त्रियों का कहना है कि तमाम कानूनों के बावजूद दहेज प्रथा पर अब तक अंकुश नहीं लग सका है. इसकी वजह से होने वाले बेमेल विवाह ही इन समस्याओं को जन्म दे रहे हैं. उक्त दोनों मामलों में यही बात सामने आई है. समाजशास्त्री प्रोफेसर मनतोष चटर्जी कहते हैं, "इसके लिए समाज में जागरूकता अभियान चलाना जरूरी है. दहेज के लालच में होने वाले बेमेल विवाहों को रोकने के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है."
एक अन्य समाजविज्ञानी देवेश्वर गोहाईं कहते हैं, "इस मामले में सरकारें कुछ नहीं कर सकती हैं. इन पर अंकुश लगाने के लिए सामाजिक और गैर-सरकारी संगठनों को ही आगे आना होगा. लोगों को इन घटनाओं से सबक लेते हुए लालच त्यागना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि लड़के या लड़की की शादी अपनी बराबरी की हैसियत वालों के घर ही करें."
क्यों होता है तलाक?
क्यों होता है तलाक?
भारत में केवल एक फीसदी, जर्मनी में एक तिहाई तो अमेरिका में लगभग आधी शादियों का अंत तलाक में होता है. दुनिया की कुछ जगहों पर तलाक के लिए कई अजीब नियम हैं. यहां देखें...
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किसी और पर दोष मढ़ना
इस कानून में पति या पत्नी के अलावा किसी तीसरे व्यक्ति को उनकी शादी टूटने का जिम्मेदार पाए जाने पर भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है. न्यू मेक्सिको और मिसीसिपी समेत अमेरीका के सात राज्यों में लागू इस कानून में धोखा खाई पार्टी को तथ्यों के साथ यह साबित करना होता है कि अमुक व्यक्ति के कारण उसकी शादी टूटी.
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शर्त जीतने को शादी
शादी कोई हंसी-खेल की बात तो है नहीं, लेकिन अमेरिका के डेलवेयर में अगर आप ऐसा कर बैठें तो कानून आपके साथ है. अगर कोई जोड़ा "मजाक" या "जोश" में शादी कर बैठा हो तो वह तलाक के लिए आवेदन दे सकता है. ऐसे कई मामले हैं जिनमें लोगों ने शराब के नशे में दोस्तों के साथ बाजी लगाई और मजाक मजाक में शादी कर ली जिसे बाद में रद्द करना पड़ा.
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पार्टनर का मानसिक असंतुलन
न्यूयॉर्क में अगर आप सिद्ध कर सकें कि आपका पार्टनर पागल है तो इस आधार पर आपका तलाक हो सकता है. शर्त है कि शादी के दौरान कम से 5 सालों तक पार्टनर की मानसिक हालत खराब रही हो. तलाक के बाद भी पति या पत्नी को अपने पार्टनर का ख्याल रखना पड़ता है.
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किसी और से शादी
ऑस्ट्रेलिया के अबोरिजिनल मूल निवासियों में महिलाओं के पास तलाक लेने की कई सारी वजहें हैं. एक तरीका तो यह है कि वह भागकर किसी और से शादी कर ले. इसी के साथ उसकी पहली शादी रद्द हो जाती है. यह तरीका आसान तो है, लेकिन अगली शादी का टूटना भी इतना ही आसान होगा.
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तलाक है गैरकानूनी
फिलिपींस में कुछ मुस्लिम फिलिपीनो के अलावा बाकी लोगों के लिए तलाक गैरकानूनी है. इसके अलावा 98 प्रतिशत कैथोलिक ईसाई आबादी वाले माल्टा में भी तलाक गैरकानूनी है. 1997 से पहले तक कई यूरोपीय देशों में भी ऐसी ही स्थिति थी जो अब बदल चुकी है.
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दूर दूर रहने से
जब एस्किमो लोग तलाक लेने का मन बना लेते हैं तो सबसे पहले एक दूसरे से अलग रहना शुरु कर देते हैं. उनमें अलग अलग रहने का मतलब ही तलाक होता है.
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तलाक का जश्न
न्यूयॉर्क और अमेरिका के दूसरे बड़े शहरों में ऐसे लोगों की तादाद बढ़ रही है जो तलाक पार्टी आयोजित कराते हैं. कई बार बेहद तड़क भड़क वाली तो कभी कभी काफी शांत तलाक पार्टियां भी होती हैं, जिनमें तलाक लेने वाली महिला या पुरूष साथ देने के लिए दोस्तों का शुक्रिया अदा करते हैं. लास वेगास, लास एंजिलिस और न्यूयॉर्क जैसे शहर ऐसी पार्टियों का गढ़ हैं.
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पुरुषों के बढ़ते उत्पीड़न का हवाला देते हुए एक गैर-सरकारी संगठन ने तो अब राष्ट्रीय महिला आयोग की तर्ज पर पुरुषों के लिए भी एक आयोग के गठन की मांग उठाई है. वर्ल्ड्स राइट्स इनीशिएटिव फॉर शेयर्ड पैरेंटिंग (क्रिस्प) के संस्थापक कुमार जागीरदार एनसीआऐरबी के आंकड़ों के हवाले से इस मांग को उचित ठहराते हैं. वह कहते हैं, "ऐसे मामलों में देश के कानून पुरुषों के प्रति पूर्वाग्रहग्रस्त हैं. हर साल दहेज संबंधी विवादों के चलते कई पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं. लेकिन हाई प्रोफाइल नहीं होने तक ऐसे मामले सुर्खियां नहीं बन पाते."
मनोतष चटर्जी कहते हैं, "हाल की घटनाओं से साफ है कि पानी अब सिर के ऊपर से गुजरने लगा है. अगर इस समस्या पर अंकुश लगाने की दिशा में जल्दी ही ठोस पहल नहीं की, तो इसके नतीजे घातक हो सकते हैं."