1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दांतों ने की हिटलर की मौत की पुष्टि

जेफरसन चेस
२१ मई २०१८

द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुए सालों बीत गए लेकिन जर्मन नाजी शासक आडोल्फ हिटलर की मौत पर सवाल उठते रहे. कई बार ये संशय व्यक्त किया गया कि हिटलर उस वक्त मरा नहीं था. लेकिन अब दांतो ने मौत के रहस्य से पर्दा उठा दिया है.

Lächelnder Hitler
तस्वीर: Getty Images/AFP

हाल में हुआ एक परीक्षण यह दावा करता है कि हिटलर ने साल 1945 में आत्महत्या कर ली थी. माना जाता है कि अपने जीवनकाल में हिटलर अपने दांतों को लेकर खुश नहीं था. कहा तो यह भी जाता है कि हिटलर के दांत बेहद ही खराब थे. इसलिए शायद अब यही दांत हिटलर के मारे जाने की अटकलों पर विराम लगाते नजर आ रहे हैं.

फ्रेंच पैथोलॉजिस्टों की एक टीम ने मॉस्को में रखे दांतों के एक सेट पर जांच की. यह वही दांतों का सेट था जिसे मई 1945 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन से बरामद किया गया था. पिछले 70 सालों में यह पहला मौका है जब रूसी प्रशासन ने किसी भी जांच दल को दांतों के परीक्षण की अनुमति दी. इस परीक्षण के नतीजे कहते हैं कि ये दांत हिटलर के हैं. इस जांच के मुख्य पैथोलॉजिस्ट फिलिप शार्लिये ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "ये दांत असली हैं और इसके बाद शक की कोई गुजांइश नहीं बचती. हमारा अध्ययन बताता है कि हिटलर साल 1945 में मर गया था."

दांतों का सबूत

इस रिसर्च टीम ने हिटलर के सिर के मिले अवशेषों की भी जांच की ताकि यह पता चल सके कि उसने आत्महत्या भी कैसे की थी. जांचकर्ताओं के मुताबिक दांतों का पूरा ढांचा, हिटलर के डेंटिस्ट से मिली जानकारी से मेल खाता है. साथ ही दांतों से मांस का कोई तत्व नहीं मिला है, जो बताता है कि वह शाकाहारी था.

तस्वीर: picture-alliance/Judaica-Sammlung Richter

ये नए नतीजे कई अटकलों पर विराम लगा सकते हैं. ऐसी अटकलें जिनके मुताबिक नाजी नेता युद्ध के आखिरी दिनों में भागने में सफल हो गया था. शार्लिये कहते हैं, "हमें हिटलर के जीवन से जुड़ी सभी अफवाहों पर विराम लगा देना चाहिए. वह न तो किसी पनडुब्बी से अर्जेंटीना भागकर गया और न ही वह अंटार्कटिका के किसी गुप्त बेस में रहा. इन अटकलों की बजाय कई इतिहासकारों की तरह इस पर विश्वास कर लेना चाहिए कि हिटलर ने अपनी जीवन-लीला बर्लिन के बंकर में आत्महत्या कर खत्म कर ली थी. 

दिमाग के जरिये नाजी पीड़ितों को पहचानने की कोशिश

हिटलर की पहचान

30 अप्रैल, 1945 को रूसी सेना जर्मनी की राजधानी बर्लिन में बंकर में स्थित हिटलर के अंडरग्राउंड कमांड सेंटर के पास पहुंच गई थी. इस वक्त तक हिटलर यह समझ गया था कि उसके हजारों साल तक चलने वाले साम्राज्य का सपना अब टूट गया है. इसी दिन दोपहर को हिटलर ने अपने निजी क्वार्टर में अपनी गर्लफैंड और बाद में पत्नी बनी एफा ब्राउन के साथ मरने की योजना बना ली थी. यहां उन दोनों ने साइनाइड कैप्सूल खाया और खुद को गोली मार ली.

इन दोनों की बॉडी दोपहर करीब 3:15 बजे तक मिली. इतना ही नहीं हिटलर ने अपने पीछे यह निर्देश भी छोड़े थे कि कैसे उसकी और एफा की बॉडी का निपटान किया जाए. इन निर्देशों में कहा गया था कि दोनों के मृत शरीर को बंकर के बाहर ले जाकर जला दिया जाए. करीब 5 मई तक सोवियत संघ की सेना हिटलर के जले हुए शरीर की पहचान नहीं कर सकी थी.

फोरेंसिक का सहारा

फोरेंसिक पैथोलॉजिस्ट मार्क बेनेके ने अपने आर्टिकल में कहा था कि हिटलर के दांत बहुत खराब थे. यहां तक कि उसके खराब दांतों के चलते ही हिटलर की लाश की पहचान की जा सकी थी. मार्क को नेशनल जियोग्राफिक टेलीविजन ने हिटलर के अवशेषों की जांच के लिए नियुक्त किया था. अपने आर्टिकल में मार्क ने कहा कि हिटलर के दांत और उसके मसूड़ों की बीमारी ही हिटलर के मुंह से आने वाली सांस की बदबू के कारण रहे होंगे. रूस ने लाश से मिले दांतों का उस जानकारी से मेल करके देखा जो हिटलर की डेंटल अस्सिटेंट केथ हॉयजरमन से मिली थी. इसके बाद हिटलर के निजी डेंटिस्ट हूगो ब्लास्के ने भी मित्र देशों के सामने इस बात की पुष्टि की थी.

तस्वीर: dpa

युद्ध के वक्त रूस की ओर से बतौर इंटरप्रेटर का काम कर रही एलेना झेव्स्काया की पोती लिबोन सुम कहती हैं कि हिटलर के दांतों का आकार अच्छा नहीं था. यहां तक कि उसके डेंनिस्ट भी उसके साथ बंकर में थे. एक इस्राएली अखबार को लिबोव ने कहा था कि उस वक्त की कुछ तस्वीरें हैं जो देखने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं है.

हिटलर की नई तस्वीरों की नीलामी

रूस की भूमिका

झेव्स्काया को हिटलर के दांतों का सेट सौंपा गया था. झेव्स्काया के मुताबिक, "ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि यह डर था कि कही रेड आर्मी के पुरुष सदस्य शराब के नशे में दांतों के उस सेट को इधर-उधर न कर दें. इसलिए वह उसे अपने साथ मॉस्को ले आईं थी. उस वक्त तक सोवियत संघ को भी विश्वास हो चुका था कि हिटलर मर चुका है. लेकिन स्टालिन ने इस खबर को दबाने के आदेश दिए और हिटलर की मौत को लेकर अनिश्चितता का बीज भी बोया. साथ ही ऐसी अफवाहों को हवा दी कि पश्चिमी खेमे ने हिटलर की भागने में मदद की. झेव्स्काया ने अपने संस्मरण में लिखा कि यहां धोखा देने की मंशा थी. और लाश के मिलने जैसी बात को छुपाने की बेहद ही बेकार कोशिश थी. 1965 में सामने आए ये संस्मरण 2018 में जाकर अंग्रेजी में छपे. इसके मुताबिक रूस ने इस अभियान को "ऑपरेशन मिथ" का नाम दिया था.

इतिहासकार एंथनी बीवर ने अपनी किताब, बर्लिन-द डाउनफॉल: 1945, में लिखा है कि स्टालिन की नीति बहुत ही स्पष्ट थी, वह नाजीवाद को ब्रिटेन और अमेरिका के साथ जोड़कर सामने रखना चाहता था. इस बात को और भी हवा दी साल 1976 में आई फिल्म "द बॉयज फ्रॉम ब्राजील ने" जिसमें हिटलर की वापसी का प्लॉट भी शामिल किया गया था.

एक दुखी अंत

कल्पनाएं जितनी वाहियात थीं, असलियत उससे भी कहीं दर्दनाक. इंटरप्रेटर का काम करने वाली झेव्स्काया आगे चलकर एक लेखिका बन गई. लेकिन स्टालिन की मौत के बाद ही वह अपनी कहानी दुनिया के सामने ला सकीं. वहीं हिटलर की डेंटल अस्सिटेंट केथ हॉयजरमन को युद्ध में शामिल होने के चलते सजा काटनी पड़ी. माना गया कि उसने हिटलर के दांतों का इलाज किया, और उसने युद्ध के जारी रहने में भूमिका निभाई.

झेव्स्काया ने लिखा की हॉयजरमन कुछ नहीं बस एक प्रतिबद्ध नाजी थी लेकिन उसने अपने घर में एक यहूदी डेनिस्ट को छुपाया था. द्वितीय विश्वयुद्ध के इतिहास में एक छोटी सी भूमिका में सामने आई हॉयजरमन का साल 1995 में देहांत हो गया.

एए/एमजे

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें