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दिमागी उलझनों को सुलझाता नृत्य

२७ अगस्त २०१०

जर्मनी के बॉन शहर में एक निजी यूनिवर्सिटी यूरिद्मी का एक कोर्स करा रही है. यूं तो यह अनजान सी कला है, लेकिन अब थेरेपी बनती जा रही है. जानिए, क्या और कैसे करती है यूरिद्मी...

तस्वीर: AP

सुबह आठ बजे...जब बाकी स्टूडेंट्स अपनी सुबह की शुरुआत कर रहे होंगे, दक्षिण कोरिया की रहने वालीं जी यंग का तन और मन लय में आ चुका होगा. लेकिन वह सिर्फ नाच नहीं रही हैं...सफेद पोशाक में लिपटीं परी सी दिखतीं जी यंग अपने पंजों के सहारे पूरे कमरे इधर से उधर इस तरह और इस खूबसूरती से जा रही हैं कि लगता है वह हवा में लहरा रही हैं.

खास कोर्स

जर्मन शहर बॉन में आल्फ्टर की अलानुस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालीं यंग दक्षिण कोरिया से आई हैं. और इसकी वजह है यूनिवर्सिटी का यह खास कोर्स...यूरिद्मी. दरअसल जर्मनी में बाकी जगहों पर आपको यूरिद्मी सीखनी हो तो निजी तौर पर ही सीख सकते हैं. लेकिन यह एक यूनिवर्सिटी हैं जहां यूरिद्मी को बाकायदा कोर्स के तौर पर पढ़ाया जाता है.

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पर यूरिद्मी असल में है क्या...बीसवीं सदी की शुरुआत में ऑस्ट्रिया के एक फिलॉस्फर रूडॉल्फ श्टाइनर ने इस अद्भुत कला का इजाद किया. ग्रीक भाषा के इस शब्द का अर्थ है बहुत ही खूबसूरत तरीके से लय में होना...और यूरिद्मी में यही होता है...लय में लहराता हुआ शरीर शब्दों या संगीत के साथ तारतम्य बिठाकर एक अद्भुत प्रभाव पैदा कर देता है. और इसे जानने वाले कहते हैं कि यह सीधा आत्मा पर असर डालता है. यंग बताती हैं, "यूरिद्मी में मैं बिल्कुल ठहर जाती हूं. उस वक्त क्या होता है, इसे में शब्दों में नहीं बता सकती. उस समय अपने भीतर और अपने आसपास कुछ ऐसा महसूस होता है जिसे मैं और करीब से जानना चाहती हूं. सबके भीतर भावुक खालीपन होता है और यूरिद्मी के जरिए इसे भरा जा सकता है. उलझनें सुलझाई जा सकती हैं. मुझे इससे काफी मदद मिली है."

यूरिद्मी का यह प्रभाव ही है जो इसे कला के साथ साथ एक थेरेपी भी बना देता है.

थेरेपी सा काम

मनोवैज्ञानिक परेशानियों से गुजर रहे लोगों के लिए कुछ मामलों में तो यह जादू का सा काम करता है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मानव मन में पैदा होने वाली खलबली को शांत करके यूरिद्मी के जरिए इलाज भी किया जा सकता है. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से शिकार बच्चों के लिए भी यह काफी मददगार है. यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली योहाना कहती हैं, "हर शख्स का एक निश्चित चरित्र होता है, जिसे हमें पहचानना होता है. और बीच बीच में यह अतीत में चला जाता है, तो इसे समझना होता है कि यह अभी वर्तमान में है या अतीत में है."

और यही वजह है कि यूरिद्मी अब एक पेशे के तौर पर चर्चित हो रही है. अलानुस यूनिवर्सिटी में यूरिद्मी का चार साल का कोर्स होता है. और स्टूडेंट्स इसे लेकर इतने उत्साहित हैं कि कई बार तो अन्य कोर्सों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स भी बाद में इस कोर्स को जॉइन कर रहे हैं. आंद्रिया आइदेकोर्न बताती हैं, "एक पेशे के तौर पर दुनियाभर में अच्छे मौके तलाशना काफी आसान हो गया है. कला के तौर पर भी और एक थेरेपी में भी. और अब तो यह और भी बढ़ेगा. यानी हमारे पास मौके ज्यादा होंगे और यूरिद्मी के जानकार ग्रैजुएट्स कम होंगे."

तस्वीर: AP

कई प्राइवेट स्कूल

दुनियाभर में अब कई जगह यूरिद्मी के प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं. इन स्कूलों में मरीजों को थेरेपी दी ही जा रही है, साथ ही लोग इसे मन की शांति पाने के लिए और अपने व्यक्तित्व को मजबूत बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं. अलानुस यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले टीचर्स तो कहते हैं कि यूरिद्मी के स्टूडेंट्स चार साल में बिल्कुल बदल जाते हैं. उनकी शख्सियत में अद्बुत बदलाव आते हैं. आंद्रिया कहती हैं, "चार साल में आप पूरी तरह बदल जाते हैं. बाकी कलाओं में और यूरिद्मी में यही एक जैसी बात है. लेकिन यहां इंस्ट्रूमेंट हम खुद ही हैं. दूसरे कोर्सों में पढ़ने वाले बच्चे भी यूरिद्मी पढ़ने आते हैं क्योंकि वे कहते हैं कि हम भी बदलना चाहते हैं, हम भी सही हो जाना चाहते हैं. खूबसूरत दिखना चाहते हैं."

मन की बहुत सी उलझनें हैं जिन्हें कोई समझ नहीं सकता. उन्हें बस मन ही सुलझा सकता है और इसमें दवाएं काम नहीं करतीं. हां, यूरिद्मी जैसे कुछ तरीके हो सकते हैं जो मन के तारों को छेड़कर इसके भीतर छिपीं ताकतों को जगा दें और उलझनों को सुलझा दें.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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