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दिलों तक पहुंचने के लिए मीलों चलाः कैलाश खेर

अशोक कुमार ३० जुलाई २००८

कैलाश खेर आज ऐसा नाम है, जिसका अंदाज खुद अपनी पहचान है. पाकिस्तानी के महान गायक नुसरत फतेह अली खान से प्रेरित कैलाश की आवाज रुहानियत का अहसास कराती है. इसीलिए बॉलिवुड में भी उन्हें खूब कामयाबी मिली है.

कैलाश खेरतस्वीर: AP

फिल्म 'ऐसा भी होता है' के गाने 'अल्लाह के बंदे हंस दे' ने पहली बार कैलाश को पहचान दिलाई. प्लेबैक सिंगिंग के अलावा आज वह का अपना बैंड भी चला रहे हैं कैलाशा. तो चलिए करते हैं मुलाकात कैलाश खेर से ही.

कैलाश जी, आपकी आवाज अलग तरह की है, एक अलग असर करती है. इस तरह की आवाजों की कितनी कदर हो पाती है बॉलिवुड में?

जी, इसकी कदर खूब होती है. मैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हूं क्योंकि मैं तो बहुत काम करता हूं बॉलिवुड में और बॉलिवुड के बाहर भी. इस तरह की आवाजों की कदर पूरे संसार में होती है क्योंकि किसी एक आदमी के लिए गाना और पूरे ब्रह्मांड के लिए गाते हैं, तो फर्क तो पड़ता है.

खासकर बॉलिवुड में रोमांटिक आवाजों का चलन रहा है, लेकिन आपकी रूहानी आवाज को उस इमेज में तो बांधकर नहीं रखा जा सकता?

एक ही जैसी बात है. अगर सभी एक तरह का डिजाइन बनाएंगे और मैं कुछ अलग तरह का डिजाइन बनाऊंगा किसी चीज का, तो बेशक उसमें कुछ तो आकर्षण होगा ही.

माधुरी दीक्षित की आजा नचले में भी गा चुके हैं कैलाशतस्वीर: AP

आपकी आवाज आज सबसे दिलों के करीब है. दिलों तक पहुंचने का सफर कितना मुश्किल रहा?

जी, दिलों तक का सफर तय करने के लिए मीलों तक चलना पड़ा. और इस सफर में काफी 'सफर' भी होना पड़ा. उसके बाद, अभी भी ऐसा ही है. मुझे नहीं लगता कि जिंदगी कुछ ज्यादा बदल गई है. जिंदगी हर इंसान के लिए एक यात्रा है. यात्रा में कहीं स्पीडब्रेकर भी होते हैं, गड्ढे भी होते हैं, अगर गाड़ी जर्मनी न चला रहे हों. तो जिंदगी में काफी चीजें उतार चढ़ाव वाली होती हैं.

आपने मुश्किल सफर के जरिए पहचान बनाई. लेकिन आजकल लोग शॉर्टकट के जरिए आ रहे हैं संगीत की दुनिया में, टैलंट हंट शोज़ जरिए. किस तरह देखते हैं आप इस नए चलन को?

मुझे तो इसके बहुत ज्यादा फायदे ही दिखाई देते हैं. मुझे इसमें कोई नुकसान तो नहीं दिखाई देता. जो टैलंट हंट हो रहे हैं, वे सबके लिए बहुत ही फायदेमंद हैं. हमारे वक्त में तो ऐसी चीजें थी नहीं. अभी दो तीन साल से ये चलन शुरू हुआ है और इसके सबको फायदे हो रहे हैं. बहुत अच्छी बात है. लेकिन इसके बाद में थोड़ी मेहनत खुद भी करनी चाहिए. तभी आप टिके रह सकते हैं.

खासकर कुछ नाम कुछ दिनों तक तो चर्चा में रहते हैं, उसके बाद वे एकदम से गायब हो जाते हैं.

हां, क्योंकि एक प्लेटफॉर्म मिल गया, एक पहचान मिल गई. उसका यह मतलब तो नहीं कि जिंदगी तय हो गई पूरी. जिंदगी तो पड़ी रहती है. हर दिन एक नया सफर होता है. समझ लीजिए, इंसान को हर दिन कुआं खोदना है और पानी पीना है. दुनिया जितने लोग भी बड़े लोग हुए, कामयाब हुए हैं, उनकी जिंदगी को अगर देखें तो वे लोग तमाम कामयाबी पा लेने के बाद भी अपनी मेहनत में कमी नहीं करते हैं. बल्कि वे इसे और बढ़ाते हैं. लेकिन अपने यहां कई बार उल्टा होता है. अब अगर आप मेहनत बंद देंगे तो फिर कैसे टिके रह सकते हो. दरअसल यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें एकरूपता नहीं होनी चाहिए क्योंकि यहां प्रतियोगिता बहुत है. ऐसे में कुछ न कुछ नया करने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी.

कैलाश, आपकी कामयाबी का सफर कहां से शुरू हुआ?

हमारी कामयाबी का सफर मुंबई से ही शुरू हुआ. हम लोग एक एलबम पर काम कर रहे थे नरेश परेश के साथ, तब हमारी आवाज लोगों ने सुनी. फिर टीवी रेडियो के लिए उन्होंने जिंगल गवाए. वहां से आवाज बाहर आई तो लोगों को और अच्छा लगा और काम बढ़ा. अपने आप ही काम बढ़ता गया. मैं कभी काम मांगने नहीं गया, यह मेरे लिए एक अलग यात्रा रही है.

ये बताइए कि आवाज कितनी ईश्वर की देन है और कितना आपने इसे तराशा है?

ज्यादा तो मैं कहूंगा कि भगवान की ही देन है लेकिन थोड़ा गाने से भी फर्क पड़ता होगा. क्योंकि हम बहुत गाते रहे हैं और इन दिनों भी काफी गा रहे हैं. तो मुझे लगता प्रैक्टिस मेक्स थिंग्स परफेक्ट वाली बात है.

सूफी संगीत के शौकीन हैं कैलाशतस्वीर: AP

आपके पसंदीदा गायक कौन कौन से हैं?

मुहम्मद रफी, किशोर कुमार.

और आज के दौर में?

सोनू निगम, हरिहरन, ए.आर. रहमान, सुखविंदर. आज का दौर असल में बदल गया है. जो चीजें पहले थीं वे अब नहीं है और जो अब हैं वे पहले नहीं थीं. आज के दौर में बहुत सारी चीजें होती हैं. कितने ही अच्छे गायकों के कुछ गाने अच्छे लगते हैं, जबकि कुछ लस्सी लगते हैं. उनती गंभीरता से काम नही हो रहा है. असल में सबको बहुत जल्दी है. जब बहुत ज्यादा काम होता है तो उनकी क्वॉलिटी पर असर पड़ सकता है.

मेरे ख्याल से यही वजह है कि आजकल लोग कहते हैं कि अब पहले जैसे गाने नहीं बनते. गायक की कम आवाज आती है, संगीत कम सुनने को मिलता है वह भी कंप्यूटर से तैयार संगीत.

जी, मैं इन बातों से सहमत नहीं हूं कि आज पहले जैसे गाने नहीं बनते हैं. आज पहले जैसे इंसान ही नहीं बनते तो आप गानों की क्यों बात करते हो. पहले जैसे मौसम नहीं रहे, पहले जैसे पेड़ नहीं रहे, पहले जैसी सड़के नहीं रही, पहले जैसी इमारत नहीं रही, पहले जैसे समुद्र नहीं रहे. तो फिर आप पहले जैसे गानों के पीछे ही क्यों पड़े हैं.

यानी बदलाव प्रकृति का नियम है.

तो यह तो मूर्खता है इंसान की कि पहले जैसा यह नहीं रहा, पहला जैसा वह नहीं रहा. भई हमारा दादा दोबारा क्यों नहीं पैदा हुआ. अब पोता पैदा होगा. दादा निकल ले पतली गली से.

बड़ी अच्छी बात कही आपने. अब आपसे जानना चाहता हूं कि जब भी कोई गाना आपके पास आता है तो आप उसे कौन सी कसौटी पर कसते हैं?

मैं बस यही देखता हूं कि उस गाने का फिल्म में और फिल्म से अलग कितना असर पड़ेगा. यानी रेडियो पर अगर हम वो गाना सुने तो वह लोगों को कितना अच्छा लगेगा. साथ ही उसमें कितनी प्रेरणा है कितना संदेश है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि कुछ भी बातें बेमतलव और मजा कर रहे हैं बस. यही चीजें देखने लायक होती हैं.

कैलाश जी आज आप एक कामयाब गायक हैं, आपने अपना एक मकाम बनाया है. लेकिन कोई ऐसा ऐसा सपना है जिसे आप पूरा करना चाहते हैं?

जी, अभी मकान तो नहीं बना पाया हूं. क्योंकि मुंबई में मकान कम बनते हैं, यहां फ्लैट बनते हैं.

मैंने कहा मकाम...

जी, मैं समझ गया. आप मकाम की बात कर रहे हैं. मैं मकान की बात कर रहा हूं. यही सपना है कि एक मकान बनाया जाए. हम दिल्ली से आए हैं. वहां तो मकान बनाए जाते हैं. सोच रहा हूं कि यहां कोई ऐसी जगह मिल जाए. जहां मकान बनाया जा सके.

तो यह बताइए संगीत में जो लोग किस्मत आजमाना चाहते हैं. उनके लिए आप क्या कहना चाहेंगे?

यहीं कहना चाहेंगे कि किस्तम आजमाते रहे, अल्लाह का लेकर नाम. अपने आप आगे की यात्रा तय होती जाएगी.

कैलाश जी, आपको बहुत बहुत शुक्रिया. आपने हमारे लिए वक्त निकाला. आने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए शुभकामनाएं.

बहुत बहुत धन्यवाद.

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