दिल्ली के यूएन हेरिटेज बनने का मौका बाकी
१२ जुलाई २०१५मनमोहक ऐतिहासिक इमारतों और पुरातत्विक महत्व के कई स्थलों को समेटे हुए भारतीय राजधानी दिल्ली को यूनेस्को के विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने की बहुत पहले से उम्मीद की जाती रही है. लेकिन इस बार जर्मनी के बॉन शहर में 28 जून से 8 जुलाई के बीच जिन नामों पर विचार हुआ उनमें दिल्ली नहीं थी. दिल्ली की वर्तमान आम आदमी पार्टी की सरकार ने इस प्रतिष्ठित उपाधि को दिल्ली के नाम करने में दिलचस्पी दिखाई भी थी. इस प्रक्रिया में निर्णायक मोड़ तब आया जब केन्द्र सरकार ने कुछ महीने पहले ही दिल्ली का नामांकन वापस लेने का निर्णय लिया. इसका कारण यह बताया गया कि दिल्ली को विश्व धरोहर का दर्जा मिलने पर "कई तरह के प्रतिबंधों" का सामना करना पड़ सकता है, जिससे दिल्ली में ढांचागत विकास के प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में समस्या आ सकती है.
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज इंटेक की दिल्ली शाखा के संयोजक एजीके मेनन ने पीटीआई से बातचीत में कहा, "दिल्ली भले ही इस साल दौड़ में ना हो लेकिन हमें विश्वास है कि दिल्ली ने पूरी तरह से मौका नहीं खोया है. तकनीकी तौर पर दिल्ली का नामांकन 'वापस' नहीं लिया गया बल्कि केवल 'स्थगित' किया गया है. इसलिए हमें आशा है कि अगले साल हम फिर रेस में शामिल हो सकेंगे. अंत में इससे फर्क पड़ता है कि केन्द्र सरकार इस बारे में कितनी सक्रियता दिखाती है."
मेनन ने जनवरी 2014 में केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली के नामांकन के लिए भेजे गए दस्तावेजों को तैयार करने पर काम किया था. दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार ने शुरु से ही दिल्ली को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने में रूचि दिखाई है. 3 जून को दिल्ली सचिवालय में हुई एक बैठक में केजरीवाल ने केन्द्र सरकार के नामांकन वापस लेने पर "आश्चर्य" जताया था. यूनेस्को की विश्व धरोहरों की अगली सूची इस्तांबुल में 10 से 20 जुलाई 2016 की बैठक के बाद सामने आएगी.
यूनेस्को दुनिया भर से विश्व इतिहास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों को चुनती है. इससे इन स्थलों के संरक्षण में मदद मिलती है.
आरआर/एमजे (पीटीआई)