दिल्ली दंगों में छात्र नेता की गिरफ्तारी पर विवाद
२ अप्रैल २०२०![Indien Neu Delhi | Unruhen durch Proteste für und gegen neues Gesetz zur Staatsbürgerschaft](https://static.dw.com/image/52554068_800.webp)
एक अभूतपूर्व महामारी से लड़ाई के बीच फरवरी में दिल्ली में हुए दंगे सुर्खियों से गायब हो चुके हैं. लेकिन दंगों की जांच के सिलसिले में बुधवार, 1 अप्रैल को हुई एक गिरफ्तारी पर विवाद खड़ा हो गया है. दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एक पीएचडी के छात्र को दंगों में उसकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार कर लिया है.
गिरफ्तार किए गए छात्र का नाम मिरान हैदर है और वह एक राजनीतिक कार्यकर्ता भी है. हैदर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के युवा मोर्चा का दिल्ली अध्यक्ष है. आरजेडी और जामिया समन्वय समिति ने कहा है कि हैदर को रात को सिर्फ दो घंटे के लिए जांच में मदद करने के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें धोखे से हिरासत में ले लिया गया.
हैदर तालाबंदी लागू होने के बाद से दिल्ली में जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में लग गया था. दिल्ली पुलिस ने अभी तक हैदर की गिरफ्तारी के बारे में कोई वक्तव्य नहीं दिया है और अपनी स्थिति साफ नहीं की है.
दंगे 23 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके में शुरू हुए थे और बहुत जल्दी आस पास के कई इलाकों में फैल गए थे. कम से कम तीन दिन तक हिंसा का दौर चला जिसमें 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए. सैकड़ों घर, दुकानें और वाहन जला दिए गए और हजारों लोग अपने घरों से बेघर हो गए. उसके बाद भी कई दिनों तक हिंसा की छुटपुट वारदातें होती रहीं.
दिल्ली पुलिस ने जांच के सिलसिले में 690 केस दायर किए हैं और कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है. लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि दंगे मुख्यतः मुस्लिम-विरोधी थे और अब पुलिस अधिकतर मुसलामानों को ही गिरफ्तार भी कर रही है. इसके पहले पुलिस ने आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद ताहिर हुसैन को गिरफ्तार किया था और उसके खिलाफ इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित सक्सेना की हत्या के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी. हुसैन की एक फैक्ट्री का मैनेजर तारिक रिज्वी भी गिरफ्तार है. इसके अलावा चांद बाग के दो निवासी लियाकत और रियासत भी गिरफ्तार हैं.
इसके विपरीत बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ दंगा भड़काने वाले भाषण देने की शिकायतों पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, बावजूद इसके कि इन नेताओं के भाषणों के वीडियो क्लिप सार्वजनिक रूप से मौजूद हैं और सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए थे.
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