दिल्ली में महीने भर से जारी ऑक्सीजन की आपूर्ति का संकट अब कम हो रहा है, लेकिन दूसरे कई राज्यों में स्थिति अभी भी खराब है. गोवा के एक अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से दो दिनों में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई.
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दिल्ली में रोजाना सामने आने वाले संक्रमण के नए मामलों में लगातार गिरावट आ रही है जिससे राष्ट्रीय राजधानी की हालत कुछ सुधर रही है. इससे अस्पतालों पर दबाव भी कम हुआ है और ऑक्सीजन का संकट भी थम गया है. उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जानकारी दी है कि पिछले एक महीने में जब दिल्ली में संक्रमण की ताजा लहर अपने चरम पर थी तब दिल्ली में रोज 700 मेट्रिक टन (एमटी) ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन अब यह गिर कर 582 एमटी पर आ गई है.
दिल्ली में गुरुवार 13 मई को 73,675 सैंपलों की जांच की गई जिनमें से 10,489 सैंपल कोविड पॉजिटिव पाए गए. पाजिटिविटी दर 14.24 प्रतिशत दर्ज की गई और 308 लोगों की मौत हो गई. लहर के चरम पर 80,000 सैंपलों की जांच की गई थी, जिनमें से करीब 27,000 सैंपल पॉजिटिव पाए गए थे. पॉजिटिविटी दर 36 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. हालांकि देश के सभी हिस्सों की हालत ऐसी नहीं है. कई राज्यों में ताजा लहर अभी भी थमी नहीं है और अस्पतालों में बिस्तरों, दवाओं और ऑक्सीजन की उपलब्धता का भारी संकट जारी है.
कई राज्यों में ऑक्सीजन का संकट
गोवा के सबसे बड़े कोविड अस्पताल जीएमसीएच में गुरूवार को ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से 13 मरीजों की मौत हो गई. इसके दो दिन पहले इसी अस्पताल में 26 मरीजों की मृत्यु हुई थी और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि संभव है ये जानें ऑक्सीजन की कमी होने से गई हों. यह सब तब हो रहा है जब बम्बई हाई कोर्ट में गोवा के ऑक्सीजन संकट को लेकर सुनवाई चल रही है. एक ही दिन पहले अदालत ने राज्य सरकार को हिदायत दी थी कि वो सुनिश्चित करे कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी की जान ना जाए.
गोवा के अलावा और भी कई राज्यों में ऑक्सीजन का संकट बना हुआ है. इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल जैसे दक्षिण भारत के राज्य शामिल हैं. तमिलनाडु में सरकार ने ऑक्सीजन के नपे-तुले इस्तेमाल के दिशा-निर्देश जारी किए हैं. केरल के मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से राज्य का ऑक्सीजन कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है. तमिलनाडु और आंध्र ने भी केंद्र सरकार से मदद मांगी है.
टीकाकरण सुधारने की कोशिश
इस बीच टीकों की भी उपलब्धता बढ़ाने के लिए अलग अलग उपायों पर विचार किया जा रहा है. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने अपने टीके के बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए उसका फॉर्मूला दूसरी कंपनियों के साथ साझा करने के सुझाव को मान लिया है. एक समाचार वार्ता में पॉल ने बताया कि इस टीके को बनाने के लिए सिर्फ बायो सुरक्षा स्तर 3 (बीएसएल 3) प्रयोगशालाओं का ही इस्तेमाल होता है और ऐसी प्रयोगशालाएं सभी कंपनियों के पास नहीं हैं. उन्होंने टीका बनाने की इच्छुक कंपनियों को खुला निमंत्रण दिया और उन्हें आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार कंपनियों को साथ मिल कर टीका बनाने में पूरा सहयोग देगी.
कहीं मदद, कहीं मुनाफाखोरी: त्रासदी के दो चेहरे
भारत में कोरोना की ताजा लहर ने भयावह स्थिति उत्पन्न कर दी है. सरकारी तंत्र नाकाम हो चुका है और आम लोग सरकार की जगह मददगार नागरिकों के भरोसे हैं. ऐसे में त्रासदी में मुनाफाखोरी के अवसर ढूंढने वालों की भी कमी नहीं है.
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS
हाहाकार
कोरोना की ताजा लहर ने पूरे देश पर कहर बरपा दिया है. रोजाना संक्रमण के 3,00,000 से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं और रोज 3,000 से ज्यादा कोविड मरीजों की मौत हो जा रही है. दवाओं, अस्पतालों में बिस्तर और यहां तक कि ऑक्सीजन की भी भारी कमी हो गई है. अस्पतालों में भर्ती मरीज कोविड-19 से तो मर ही रहे थे, अब वो ऑक्सीजन की कमी से भी मर रहे हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
नाकाम तंत्र
चारों ओर फैले इस हाहाकार ने देश में सरकारी तंत्र के खोखलेपन और महामारी से लड़ने की तैयारों में कमी को उजागर कर दिया है. हालत ऐसे हो चले हैं कि आम लोगों के अलावा अस्पतालों को ऑक्सीजन हासिल करने के लिए सोशल मीडिया पर एसओएस संदेश डालने पड़ रहे हैं.
तस्वीर: Raj K Raj/Hindustan Times/imago images
सोशल मीडिया बना हेल्पलाइन
सरकारी तंत्र की विफलता को देखते हुए कुछ लोग आगे बढ़ कर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. लोग सोशल मीडिया पर अपनी जरूरत डाल रहे हैं और मदद करने वाले किसी तक दवा पहुंचा रहे हैं, किसी तक ऑक्सीजन और किसी तक प्लाज्मा. इनके व्यक्तिगत नेटवर्क से अस्पतालों में रिक्त बिस्तरों की जानकारी भी मिल रही है. इनमें कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ता, कुछ फिल्मी सितारे तो कुछ धर्मार्थ संगठन.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
ऑक्सीजन लंगर
सबसे भयावह कमी है ऑक्सीजन की. ऐसे में कुछ लोगों और कुछ धर्मार्थ संगठनों ने ऑक्सीजन मुहैया करवाने का बीड़ा उठाया है. कुछ लोग घरों तक भी ऑक्सीजन सिलिंडर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर पहुंचा दे रहे हैं, तो कुछ ने सार्वजनिक स्थलों पर ऑक्सीजन देने का इंतजाम किया है. यह महामारी के लिहाज से खतरनाक भी है, लेकिन लोग इस तरह की सेवाएं लेने को लाचार हैं.
लेकिन इस विकट परिस्थिति में भी मानव स्वभाव के दो चेहरे सामने आए हैं. एक तरफ अपनी जान जोखिम में डाल कर दूसरों की मदद करने वाले लोग हैं, तो दूसरी तरफ ऐसे भी हैं जिन्हें इस त्रासदी में भी जमाखोरी और मुनाफाखोरी सूझ रही है. आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी हो रही है और उन्हें 10 गुना दाम पर बेचा जा रहा है. कई मामले ऐसे ही सामने आए हैं जहां लोगों ने दवा का 10 गुना दाम भी वसूल लिया और दवा भी नकली दे दी.
मानवीय त्रासदी में भी लोग अमानवीय व्यवहार से बाज नहीं आ रहे हैं. एम्बुलेंस सेवाओं में भी ठगी के कई मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों या उनके परिवार वालों से चंद किलोमीटर के कई हजार रुपए वसूले गए हैं.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
ऑक्सीजन "डकैती"
ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां ठगों ने ऑक्सीजन के लिए दर दर भटकते लोगों को ऑक्सीजन सिलिंडर बता कर आग बुझाने वाले यंत्र बेच दिए. पुलिस इन मामलों में सख्ती से पेश आ रही है और ऐसे लोगों के अवैध धंधों का भंडाफोड़ कर उन्हें हिरासत में ले रही है.