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बना हुआ है ऑक्सीजन का संकट

चारु कार्तिकेय
३० अप्रैल २०२१

दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट शुरू हुए कम से कम 10 दिन हो चुके हैं और राजधानी अभी भी ऑक्सीजन के संकट से जूझ रही है. यहां तक कि कई अस्पतालों में बार बार आपात स्थिति बन जा रही है.

Corona-Pandemie Indien | Neu Delhi Mangel an Sauerstoff
तस्वीर: ADNAN ABIDI/REUTERS

20 अप्रैल को पहली बार मीडिया रिपोर्टों में सामने आया था कि दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझ रहे हैं. उसके बाद अस्पतालों और दिल्ली सरकार ने आधिकारिक बयान जारी कर ऑक्सीजन के संकट को स्वीकारा. कुछ अस्पतालों को तो मजबूर हो कर सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ा, जहां उन्होंने आपात संदेश डाले और मदद की गुहार लगाई. कई अस्पतालों से ऑक्सीजन की कमी की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों के मारे जाने की खबर भी आई.

इस संकट को शुरू हुए कम से कम 10 दिन बीत चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं. अभी भी कई अस्पतालों को बार बार आपात संदेश भेजने पड़ रह हैं और फिर जैसे तैसे उनके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम हो पा रहा है.

दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में इस समय प्रतिदिन कम से कम 704 मीट्रिक टन (एमटी) ऑक्सीजन की जरूरत है जब कि केंद्र द्वारा सिर्फ 490 एमटी की आपूर्ति की अनुमति है. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इसे बढ़ा कर 976 एमटी किया जाए. इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है और अदालत ने भी केंद्र को दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने पर अपना जवाब देने को कहा है.

शहर में अभी भी चिंताजनक स्थिति बनी हुई है. तालाबंदी लागू हुए 11 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी भी जांच किए गए हर 100 सैंपलों में से 30 पॉजिटिव आ रहे हैं. मरने वालों की संख्या भी कम होने का नाम नहीं ले रही है. बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती करने और ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में लोग अपने अपने संपर्कों और सोशल मीडिया पर निर्भर हैं.

कई लोग और निजी संस्थान लोगों को अस्पताल पहुंचाने, ऑक्सीजन और दवाएं दिलाने में लगे हुए हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसके पुलिसकर्मी भी लोगों और अस्पतालों की मदद करने में लगे हुए हैं.

इस बीच भविष्य में इस तरह के संकट से निपटने के लिए आवश्यक नीतिगत कदमों पर भी विचार किया जा रहा है. मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने देश के सभी चिकित्सा कॉलेजों को आदेश दिया है कि वो छह महीनों के अंदर अपने अपने परिसरों में ही ऑक्सीजन बनाने के संयंत्र लगाएं.

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