दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट शुरू हुए कम से कम 10 दिन हो चुके हैं और राजधानी अभी भी ऑक्सीजन के संकट से जूझ रही है. यहां तक कि कई अस्पतालों में बार बार आपात स्थिति बन जा रही है.
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20 अप्रैल को पहली बार मीडिया रिपोर्टों में सामने आया था कि दिल्ली के अस्पताल ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझ रहे हैं. उसके बाद अस्पतालों और दिल्ली सरकार ने आधिकारिक बयान जारी कर ऑक्सीजन के संकट को स्वीकारा. कुछ अस्पतालों को तो मजबूर हो कर सोशल मीडिया का सहारा लेना पड़ा, जहां उन्होंने आपात संदेश डाले और मदद की गुहार लगाई. कई अस्पतालों से ऑक्सीजन की कमी की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों के मारे जाने की खबर भी आई.
इस संकट को शुरू हुए कम से कम 10 दिन बीत चुके हैं लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं. अभी भी कई अस्पतालों को बार बार आपात संदेश भेजने पड़ रह हैं और फिर जैसे तैसे उनके लिए ऑक्सीजन का इंतजाम हो पा रहा है.
दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली में इस समय प्रतिदिन कम से कम 704 मीट्रिक टन (एमटी) ऑक्सीजन की जरूरत है जब कि केंद्र द्वारा सिर्फ 490 एमटी की आपूर्ति की अनुमति है. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि इसे बढ़ा कर 976 एमटी किया जाए. इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है और अदालत ने भी केंद्र को दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति बढ़ाने पर अपना जवाब देने को कहा है.
शहर में अभी भी चिंताजनक स्थिति बनी हुई है. तालाबंदी लागू हुए 11 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी भी जांच किए गए हर 100 सैंपलों में से 30 पॉजिटिव आ रहे हैं. मरने वालों की संख्या भी कम होने का नाम नहीं ले रही है. बड़ी संख्या में लोगों को अस्पतालों में भर्ती करने और ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है. ऐसे में लोग अपने अपने संपर्कों और सोशल मीडिया पर निर्भर हैं.
कई लोग और निजी संस्थान लोगों को अस्पताल पहुंचाने, ऑक्सीजन और दवाएं दिलाने में लगे हुए हैं. दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसके पुलिसकर्मी भी लोगों और अस्पतालों की मदद करने में लगे हुए हैं.
इस बीच भविष्य में इस तरह के संकट से निपटने के लिए आवश्यक नीतिगत कदमों पर भी विचार किया जा रहा है. मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने देश के सभी चिकित्सा कॉलेजों को आदेश दिया है कि वो छह महीनों के अंदर अपने अपने परिसरों में ही ऑक्सीजन बनाने के संयंत्र लगाएं.
वायरस के आगे हारती जिंदगी
भारत में कोरोना वायरस के संकट का सबसे अधिक प्रभाव देश के कब्रिस्तानों और श्मशान घाटों में महसूस किया जा रहा है. लाशों का अंतिम संस्कार भी लोग सही ढंग से नहीं कर पा रहे हैं. कब्रिस्तान और श्मशान में जगह कम पड़ रही है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP/dpa/picture alliance
अंतिम संस्कार
देश के कई बड़ों शहरों के श्मशान घाटों में लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. लोग शव को अस्पताल से सीधे श्मशान घाट लाते हैं और फिर वहीं उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. बस कुछ ही लोग अंतिम दर्शन कर पाते हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
यह कैसी मौत
कोरोना से जिन लोगों की मौत हो जाती है, अस्पताल प्रशासन शव को परिजन को सौंप देता है. उसके बाद परिजन सीधे उसे कब्रिस्तान या श्मशान घाट ले जाते हैं. प्रशासन की तरफ से अंतिम संस्कार के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का पालन करना होता है.
तस्वीर: Mukhtar Khan/AP Photo/picture alliance
अभूतपू्र्व संकट
भारत इस वक्त अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है. देश ने कभी सोचा नहीं था कि उसके कांधे पर इतना बड़ा दुखों का पहाड़ आ जाएगा. बच्चे, बुजुर्ग और जवान कोरोना वायरस के शिकार हो रहे हैं.
दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान के कर्मचारी मोहम्मद शमीम कहते हैं कि महामारी के बाद से 1,000 लोगों को यहां दफनाया गया है. वे कहते हैं, "पिछले साल की तुलना में कई और शवों को दफनाने के लिए लाया जा रहा है. जल्द ही यह जगह कम हो जाएगी."
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
लाचार अस्पताल
अस्पतालों में हालात जस के तस हैं. डॉक्टर मरीजों को देख-देख थक चुके हैं. संक्रमण की इस लहर में अस्पतालों में नए मरीजों का आना जारी है. कई बार रोगियों के रिश्तेदारों को चिकित्सा उपकरण और दवाएं खरीदने में बहुत कठिनाई होती है. इन उपकरणों और दवाओं को बाजार में बहुत अधिक कीमत पर अवैध रूप से बेचा जा रहा है.
तस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS
ऑक्सीजन के लिए भटकते परिजन
अस्पतालों में जिन मरीजों को ऑक्सीजन के सहारे रखा गया है, कई बार उनके रिश्तेदारों को ही अस्पताल की तरफ से ऑक्सीजन का इंतजाम करने को कहा जाता है. परिवार के सदस्य और दोस्त सुबह से लेकर शाम तक कतार में खड़े रहते हैं ताकि ऑक्सीजन सिलेंडर भरा जा सके. कई बार वे मायूस होकर लौटते हैं और अस्पताल में प्रियजन ऑक्सीजन की कमी से दुनिया को अलविदा कह देता है.
भारत से जैसी तस्वीरें पिछले कुछ दिनों में आई हैं वैसी शायद कभी नहीं आई होंगी. देर रात तक श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार हो रहा है और कब्रिस्तानों में भी सुबह से लेकर रात तक कब्र खोदी जा रही हैं और शवों को दफनाया जा रहा है. कई परिवारों में कोरोना के कारण एक से ज्यादा मौतें हुई हैं.