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दिल्ली रेप कांडः किन्हें मिलेगी सजा

११ सितम्बर २०१३

दिल्ली के सामूहिक बलात्कार कांड में चारों आरोपियों को दोषी करार दिए जाने के बाद अब सजा की बारी है. अदालत आज सजा का एलान कर सकती है.

तस्वीर: AFP/Getty Images

मंगलवार को अदालत ने इस मामले में जिन चार लोगों को दोषी करार दिया है, वे सभी बाहर से दिल्ली आए लोग हैं. वे झुग्गी में रहते थे और पड़ोसियों का कहना है कि उनका रिंगलीडर दारूबाज था, जिसने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली.

इस गैंग के लोग दिल्ली के अनधिकृत कॉलोनी रामदास कैंप में रहते थे और पड़ोसियों के साथ उनके रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे.

राम सिंहः बस का नियमित ड्राइवर राम सिंह इस मामले का प्रमुख आरोपी था, जो तिहाड़ की अति सुरक्षित जेल में अपने कमरे में 12 मार्च को मृत पाया गया. डॉक्टरी जांच के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि उसने खुदकुशी की थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक 32 साल के राम सिंह ने मां बाप के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया था लेकिन अदालत के सामने खुद को बेकसूर बताता रहा. उसने बलात्कार, अपहरण और हत्या के मामलों में शामिल होने से साफ इनकार किया था.

मुकेश सिंहः अपने बड़े भाई राम सिंह के साथ मुकेश भी राजस्थान के एक गांव से दिल्ली आया था. वह अपने भाई के साथ ही बस पर क्लीनर का काम करता था. कभी कभी मजदूरी भी कर लेता था. अपराध के समय वह 29 साल का था और अदालत में वह इससे इनकार करता रहा.

विनय शर्माः अपराध के समय विनय शर्मा की उम्र 20 साल थी. वह अपराध के वक्त बस में होने से ही इनकार करता है. वह एक स्थानीय जिम में काम करता था और उसी इलाके में रहता था, जहां मुकेश और राम सिंह रहते थे. दूसरे दोषी अनपढ़ थे लेकिन विनय शर्मा पढ़ा लिखा था. सुनवाई के दौरान उसने कहा कि वह भारतीय वायु सेना के एक टेस्ट में बैठना चाहता है. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला है.

पवन गुप्ताः बलात्कार कांड में शामिल गुप्ता फल बेचता था और दिसंबर में उसकी उम्र 19 साल थी. वह कभी कभी मजदूर के तौर पर भी काम करता था. शादी ब्याह के मौसम में केटरिंग सर्विस में काम किया करता था. उसे रामदास कैंप के पास से गिरफ्तार किया गया था और वह राम सिंह का जानने वाला था.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने अपने अपराध स्वीकार कर लिए और शर्मा ने कहा कि उसे फांसी दे दी जाए. लेकिन बाद में उनके वकील ने मामले को मोड़ दिया.

अक्षय ठाकुरः दो बच्चों का पिता अक्षय ठाकुर राम सिंह के साथ क्लीनर का काम करता था. अपराध के समय 28 साल की उम्र वाला ठाकुर अपराध के बाद दिल्ली से भागने में कामयाब रहा लेकिन बाद में बिहार में उसके ससुराल से उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उसकी पत्नी पुनीता देवी ने कहा है कि अगर उसका पति दोषी पाया गया, तो उसे "गोली मार देनी चाहिए."

नाबालिग दोषीः 16 दिसंबर, 2012 को उसकी उम्र 17 साल थी. भारतीय कानून के मुताबिक उसका नाम सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है. उत्तर प्रदेश में उसके घर वालों का कहना है कि जब वह 11 साल का था, तो घर छोड़ कर भाग गया. उसकी मां का कहना है कि परिवार के साथ उसका संपर्क नहीं था. वह राम सिंह की बस साफ करता था और सर्दियों में उसी बस के अंदर सोता था. 31 अगस्त को अदालत ने उसे दोषी करार दिया और भारतीय कानून के मुताबिक उसे तीन साल सुधार गृह में रहने की सजा दी गई.

एजेए/एमजी (एएफपी, डीपीए)

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