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दुनिया का 'कूड़ेदान' नहीं बनेगा मलेशिया

२० जनवरी २०२०

मलेशिया ने प्लास्टिक कचरे से भरे 150 कंटेनर वापस भेज दिए हैं. पिछले साल की आखिरी तिमाही से मुख्य तौर पर 13 अमीर देशों के कंटेनर उन्हें वापस भेजे गए हैं. सरकार का कहना है कि मलेशिया दुनिया का 'कूड़ेदान' नहीं बनेगा.

Müllsammler in Malaysia Plastikmüll
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

चीन ने 2018 में प्लास्टिक कचरे के आयात पर बैन लगा दिया था. इसके बाद से कई देशों ने अपना अनचाहा कचरा दक्षिणपूर्व एशिया के देशों में भेजना शुरू कर दिया था. लेकिन अब मलेशिया जैसे देश इसके खिलाफ लड़ रहे हैं.

मलेशिया की पर्यावरण मंत्री येओ बी यिन ने कहा है कि इस साल के मध्य तक 110 और कंटेनर वापस भेजे जाने की उम्मीद है. जिन 13 देशों का कचरा अभी तक वापस भेजा गया है उनमें फ्रांस के 43 कंटेनर, यूके के 42, अमेरिका के 17, कनाडा के 11 और स्पेन के 10 कंटेनर शामिल हैं. बाकी कंटेनर हांगकांग, जापान, सिंगापुर, पुर्तगाल, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और लिथुआनिया को भेजे गए. इन 150 कंटेनरों में 3737 मेट्रिक टन कचरा भेजा जा चुका है. पर्यावरण मंत्री ने चेतावनी दी है कि जो देश मलेशिया को दुनिया का कूड़ेदान बना देना चाहते हैं, उनके सपने कभी भी पूरे नहीं होंगे. 

येओ ने यह भी बताया कि इस कचरे को सफलतापूर्वक भेजने के पहले मलेशिया के मुख्य बंदरगाहों पर कचरे की तस्करी रोकी गई और प्लास्टिक को रिसायकल करने वाली 200 से भी ज्यादा अवैध फैक्ट्रियों को बंद किया गया. उनके अनुसार, मलेशिया की सरकार ने कचरे को वापस भेजने पर एक रुपया भी खर्च नहीं किया, बल्कि सारा खर्च कचरे को आयात और निर्यात करने वाली कंपनियों ने और जहाज चलाने वाले कंपनियों ने उठाया. 

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अमेरिकी अधिकारियों से इस साल 60 और कंटेनर वापस लेने के लिए बात चीत चल रही है. कनाडा को भी 15 और कंटेनर लेने हैं और इसके अलावा जापान को 14, ब्रिटेन को 9 और बेल्जियम को 8 कंटेनर वापस लेने हैं. कुल 110 अतिरिक्त कंटेनर मलेशिया ने अपने बंदरगाहों पर रोके हुए हैं. 

येओ ने कहा कि उनकी सरकार अगले महीने प्लास्टिक के अवैध आयात के खिलाफ एक कार्ययोजना की शुरुआत करेगी जिससे इस मुहिम से जुड़ी अलग अलग संस्थाएं एक दूसरे के साथ मिल कर काम कर सकेंगी. इससे कचरे को लौटाने के काम को और तेजी से भी किया जा सकेगा. येओ का कहना है, "हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है. हम बस कचरे को वापस भेजना चाहते हैं और एक सन्देश देना चाहते हैं कि मलेशिया दुनिया के लिए कचरा फेंकने का स्थान नहीं है".

सीके/एके (एपी)

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