अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने खबर दी है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को खरीदना चाहते हैं. अभी डेनमार्क ग्रीनलैंड का मालिक है. अमेरिकी राष्ट्रपति जल्द डेनमार्क जाएंगे.
विज्ञापन
वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपने स्टाफ से कहा है कि वह ग्रीनलैंड को खरीदने की संभावनाओं को तलाशें. उन्होंने कई बार अपने सलाहकारों से पूछा है कि क्या अमेरिका दुनिया के इस सबसे बड़े द्वीप को खरीद सकता है. ग्रीनलैंड का तीन चौथाई हिस्सा हमेशा बर्फ की चादर में लिपटा रहता है.
राष्ट्रपति ट्रंप सितंबर की शुरुआत में डेनमार्क का दौरा करने वाले हैं. हालांकि इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि ग्रीनलैंड को खरीदने का मुद्दा डेनमार्क के अधिकारियों से उनकी बातचीत के एंजेंडे में होगा.
मेक्सिको के कोजिमेल द्वीप के हार्बर में सात क्रूज शिप लंगर डाल सकते हैं. पर्यटक यहां सागर का नीला पानी और अद्भुत कोरल रीफ देखने आते हैं. लेकिन पर्यटकों की बड़ी संख्या से प्रकृति बदहाल है.
तस्वीर: C. Roman
सैलानियों का आकर्षण
कोजुमेल क्रूज पर्यटकों के सबसे लोकप्रिय ठिकानों में शामिल है. यही वजह है कि यहां का हार्बर बहुत ही बड़ा है. यहां क्रूज जहाजों के लंगर डालने के लिए सात एंकर हैं. ये जहाज 100,000 से भी कम आबादी वाले इस द्वीप पर हर साल 50 लाख सैलानियों को लेकर आते हैं.
तस्वीर: A. Warnstedt
एक जहाज 4000 सवार
कोजुमेल आने वाले ज्यादार पर्यटक अमेरिका से आते हैं. यहां आने वाले बड़े बड़े जहाजों पर 4,000 लोगों के लिए जगह है. गोदी का नाम पुएर्ता माया है. इसे यहां आने वाले क्रूज शिप पर्यटकों के लिए शॉपिंग मॉल की तरह डिजाइन किया गया है.
तस्वीर: C. Roman
बड़ा कारोबार
कोजुमेल द्वीप पर रहने वाले ज्यादातर लोग किसी न किसी रूप में क्रूज शिप पर्यटन पर निर्भर हैं. जब 50 लाख लोग बाहर से आएं तो उनकी जरूरतें भी होंगी और वे कुछ न कुछ खरीदेंगे भी. पर्यटकों के बिना इस द्वीप की कल्पना करना भी अब मुश्किल है.
तस्वीर: C. Roman
दूसरा सबसे बड़ा रीफ
कोरल रीफ मेसोअमेरिकन बैरियर रीफ का हिस्सा है जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रीफ है. क्रूज जहाजों के नियमित परिवहन के बावजूद वह अब भी अच्छी अवस्था में है. पानी के अंदर दूर दूर तक देखना संभव है. वहां मछलियों और कोरल की 300 विभिन्न प्रजातियां हैं.
तस्वीर: A. Warnstedt
प्रमुख आकर्षण डाइविंग
मेक्सिको का यह द्वीप डाइविंग के लिए भी लोकप्रिय है. डाइविंग टीचर रेमुंडो रेमिरेज का कहना है कि बहुत कम पर्यटक कोरल रीफ वाले इको सिस्टम में सही बर्ताव करना जानते हैं. वे पानी के नीचे सिर्फ छोटे दलों को लेकर जाते हैं. और उन्हें बताते हैं कि ऐसा व्यवहार करें कि मूंगों को नुकसान न पहुंचे.
तस्वीर: C. Roman
कला और इतिहास
कोजुमेल के निवासी क्रूज पर्यटन के केंद्र के रूप में द्वीप की छवि को लेकर बंटे हुए हैं. क्रूज पर्यटक अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी हैं लेकिन वे यह भी चाहते हैं कि ऐसे डेली पर्यटक आएं जो द्वीप के माया काल के इतिहास और उसकी संस्कृति में दिलचस्पी रखते हैं.
तस्वीर: C. Roman
6 तस्वीरें1 | 6
वॉल स्ट्रीट जनरल का कहना है कि डेनमार्क को खरीदने के मुद्दे पर ट्रंप की गंभीरता कम या ज्यादा दिखती रही है, लेकिन इस बारे में वह बात करते रहे हैं. अमेरिकी अखबार को नाम ना जाहिर करने की शर्त पर राष्ट्रपति के एक सलाहकार ने बताया कि ग्रीनलैंड के प्राकृतिक संसाधनों और उसकी भूराजनैतिक महत्ता को देखते हुए उसमें अमेरिका की दिलचस्पी है. ग्रीनलैंड अभी डेनमार्क का एक स्वायत्त क्षेत्र है.
अखबार कहता है कि संभव है कि अमेरिकी राष्ट्रपति आर्कटिक क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाना चाहते हों. थुले एयर बेस इस समय अमेरिका का सबसे उत्तरी सैन्य ठिकाना है. समाचार एजेंसी एपी ने भी ट्रंप के एक गुमनाम सहयोगी का हवाला देते हुए लिखा है कि ट्रंप ने इस बारे में बात की है लेकिन वह इस पर गंभीर नहीं हैं.
यह पहला मौका नहीं है जब कोई अमेरिकी नेता ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कर रहा है. इससे पहले 1946 में अमेरिका ने डेनमार्क के सामने प्रस्ताव रखा था कि वह 10 करोड़ डॉलर में ग्रीनलैंड को बेच दे. इसके बदले अलास्का में जमीन देने की बात भी उस वक्त चली थी.
उत्तरी अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित ग्रीनलैंड मुख्य रूप से स्वशासित इलाका है. डेनमार्क सिर्फ वहां की विदेश नीति, रक्षा और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है. बीस लाख वर्ग किलोमीटर में फैले ग्रीनलैंड में सिर्फ 57 हजार लोग रहते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग स्थानीय इनूट समुदाय से संबंध रखते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्रीनलैंड जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को झेल रहा है. इसकी तीन किलोमीटर मोटी बर्फ की चादर पिघल रही है. इससे एक दिन दुनिया के तटीय इलाकों के डूबने का खतरा है. जुलाई के महीने में वहां अभूतपूर्व रूप से बर्फ की चादर पिघली, जब 12 अरब टन बर्फ समंदर में तैरती दिखाई दी.
असम के जोरहाट जिले में ब्रह्मपुत्र के बीच स्थित दुनिया का सबसे बड़ा नदी का द्वीप माजुली संकट से गुजर रहा है. माजुली संस्कृति में समृद्ध है लेकिन यह द्वीप बह जाने के खतरे से घिरा है.
तस्वीर: DW/B. Das
संकट में स्वर्ग
माजुली नदी में बना दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है. यह असम राज्य में स्थित है लेकिन यह अनोखा द्वीप जल्द ही नक्शे से मिट सकता है. क्योंकि नदी लगातार द्वीप के किनारे काट रही है.
तस्वीर: DW/B. Das
सांस्कृतिक हॉट स्पॉट
यह द्वीप एक लाख सत्तर हजार लोगों का घर है. साथ ही यहां कई मठ भी हैं. नए वैष्णव धर्म के लोग यहां बड़ी संख्या में रहते हैं. वैष्णव धर्म हिंदू धर्म से ही निकली एक शाखा है.
तस्वीर: DW/B. Das
सिकुड़ती जमीन
माजुली द्वीप ब्रह्मपुत्र नदी के बीचों बीच स्थित है. कटाव के कारण धीरे धीरे द्वीप अपनी जमीन खो रहा है. एक समय में द्वीप 1,250 वर्ग किलोमीटर में फैला था लेकिन वक्त के साथ द्वीप घट कर अपने मूल आकार का एक तिहाई ही बचा है.
तस्वीर: DW/B. Das
नई जगह बसने को मजबूर
एक जमाने में द्वीप में 65 मठ हुआ करते थे. लेकिन मिट्टी के कटाव के कारण 28 मठों को द्वीप से शहरों में जाना पड़ा.
तस्वीर: DW/B. Das
शापित भाग्य
1950 में आए एक भूकंप के बाद माजुली की किस्मत बदल गई. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 8.9 मापी गई थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि उसके बाद से द्वीप शापित हो गया. नदी ने अपना रास्ता बदल लिया और उसके बाद से ही नदी द्वीप के चारों ओर की मिट्टी काट रही है.
तस्वीर: DW/B. Das
सालाना बाढ़
यहां बहुत से लोग खेती, मछली पालन और हस्तशिल्प से जुड़े हैं. लेकिन हर मानसून में द्वीप पर बाढ़ आ जाती है. जिस कारण जान और माल का नुकसान होता है. लोगों को द्वीप छोड़कर भी जाना पड़ता है.
तस्वीर: DW/B. Das
सरकार की निष्क्रियता
स्थानीय लोग सरकार से नाराज हैं जो तटबंध बनाने में विफल रही. तटबंधों के कारण द्वीप के नागरिकों को थोड़ी राहत मिल सकती है. अपना घर खो चुके पीड़ितों को दोबारा बसाने और मुआवजा देने में भी सरकार सुस्त नजर आती है.
तस्वीर: DW/B. Das
पर्यावरण को नुकसान
पर्यावरण के विशेषज्ञों का कहना है कि कटाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन पर्यावरण की दुर्दशा भी इसके लिए जिम्मेदार है. बड़े पैमाने पर हुए कटाव की वजह से ऊपरी मिट्टी नरम पड़ गई है जिस कारण बड़ी मात्रा में जमीन का नुकसान हो रहा है.