दुनिया के लिए यूरोप के साथ लौट आया अमेरिका
१९ फ़रवरी २०२१अमेरिका और यूरोप के सहयोग के रास्ते पर फिर से आगे बढ़ने की उम्मीदें जवान हो गई हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि नाटो के साथ अमेरिका की प्रतिबद्धता "अडिग” है. इसके साथ ही उन्होंने एक सदस्य पर हमले को सारे सदस्यों पर हमले के सिद्धांत पर टिके रहने की बात कही. म्युनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में राष्ट्रपति ने अपने भाषण की शुरुआत में कहा, "अमेरिका लौट आया है.”
बाइडेन ने अपने भाषण से यह संकेत दे दिया है कि अमेरिका उनके दौर में पूर्व राष्ट्रपति की नीतियों से उल्टी राह पर चलेगा. डॉनल्ड ट्रंप ने 30 सदस्यों वाले संगठन नाटो को "गुजरे जमाने का” कहा था और एक वक्त तो ऐसी आशंका भी उठने लगी थी कि अमेरिका इससे बाहर हो जाएगा. ट्रंप ने जर्मनी और दूसरे देशों में रक्षा खर्च को जीडीपी के 2 फीसदी के स्तर पर नहीं ले जाने के कारण कई बार सार्वजनिक रूप से इन देशों की आलोचना की.
यूरोप से संबंधों में सुधार
राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन ने पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया जहां वो यूरोपीय श्रोताओं के सामने थे. म्युनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में जी7 देश के राष्ट्रप्रमुखों के अलावा यूरोपीय संघ के शीर्ष नेता भी ऑनलाइन सम्मेलन में हिस्सा ले रहे है. बाइडेन के भाषण ने यूरोप और अमेरिका के रिश्तों में पिछली सरकार के दौरान आई तल्खियों को घटाने की शुरूआत कर दी है.
जी7 देशों के नेताओं के साथ ऑनलाइन बैठक के बाद सम्मेलन में दिए भाषण में बाइडेन ने कहा, ”मैं जानता हूं कि बीते कुछ साल तनाव भरे रहे हैं जिनमें हमारे अटलांटिक पार रिश्तों की परीक्षा हुई है, लेकिन अमेरिका इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वह यूरोप के साथ फिर सहयोग करेगा, मशविरा लेगा और भरोसेमंद नेतृत्व की स्थिति हासिल करेगा.”
बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी सेना दुनिया भर में अपनी सैन्य स्थिति की समीक्षा कर रही है. हालांकि उन्होंने जर्मनी से सेना की वापसी का फैसला वापस ले लिया है. यह फैसला भी डॉनल्ड ट्रंप का ही था जिसने नाटो सहयोगियों की बेचैनी बढ़ा दी थी. बाइडेन ने यह भी कहा कि उन्होंने जर्मनी में कितनी सेना मौजूद रहेगी इस पर पिछले प्रशासन की लगाई सीमा को भी खत्म कर दिया है.
एकजुट होगा यूरोप
सिर्फ नाटो के साथ अपने रिश्ते पर ही नहीं बाइडेन ने पूरी दुनिया के लिए यूरोप के साथ मिल कर काम करने की प्रतिबद्धता जताई. इनमें कोविड की महामारी निपटने के उपाय से लेकर पेरिस समझौते में वापसी और तमाम ऐसे दूसरे सहयोग के मंच हैं जहां अब तक यूरोपीय देश और अमेरिका कदम से कदम मिला कर चलते रहे हैं.
कॉन्फ्रेंस में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि बाइडेन ने स्वतंत्र देशों के बीच अमेरिका को नेता के रूप में वापस ला दिया है. उनके शानदार कदमों ने पश्चिमी देशों को एकजुट किया है. जॉनसन ने कहा, "जैसा कि आपने पहले देखा और सुना है, अमेरिका बिल्कुल निष्कपट रूप से स्वतंत्र देशों के नेता के तौर पर वापस लौट आया है जो एक शानदार बात है.” ब्रिटिश प्रधानमंत्री का कहना है कि निराशा के दिन खत्म हो गए हैं और अब सारे पश्चिमी देश एक हो कर अपने सामर्थ्य और विशेषज्ञता को एक बार फिर से आपस में जोड़ सकेंगे.
ईरान के साथ समझौते में वापसी
म्युनिख सिक्योरिटी कांफ्रेंस में ही अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु समझौते में वापस लौटने की उम्मीद भी मजबूत हो गई है. कांफ्रेंस में बाइडेन ने कहा, "हमें निश्चित रूप से ईरान की पूरे मध्यपूर्व में अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों से निबटना होगा. हम अपने यूरोपीय और दूसरे सहयोगियों के साथ इस मुद्दे पर आगे काम करेंगे.”
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बाइडेन के इस कदम का स्वागत किया और कहा कि उन्हें उम्मीद है कि समझौते को बचाया जा सकेगा. मैर्केल ने कहा, "अगर हर कोई रजामंद हो तो करार को एक दूसरा मौका दिया जाना चाहिए और तब इसके तरीके ढूंढे जाने चाहिए कि करार कैसे चलता रहे. कम से कम हम बातचीत में नया वेग भर सकते हैं.”
कोरोना के टीके पर सहयोग
कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले रहे जी7 देशों के नेताओं ने दुनिया भर के जरूरतमंद लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने का वादा किया. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से चल रहे वैक्सीन को बांटने के कार्यक्रम में पैसा और वैक्सीन की डोज का सहयोग करेंगे. इन नेताओं पर फिलहाल अपने देशों में ही लोगों को वैक्सीन पहुंचाने की चुनौती है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि वैक्सीन को सही तरीके से बांटने के फैसले में "निष्पक्षता का सवाल सबसे बुनियादी है.” हालांकि उन्होंने साफ किया "जर्मनी में वैक्सीन लगाने के किसी भी अपॉइंटमेंट को खतरे में नहीं पड़ने दिया जाएगा.”
साल की पहली बैठक में नेताओं ने कहा कि वो पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन विकसित करने और उसे लोगों तक पहुंचाने की कोशिशों को तेज करेंगे. उन्होंने सामूहिक रूप से जी-7 देशों की तरफ से 7.5 अरब डॉलर का धन संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रम के लिए देने का एलान किया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने तो एक कदम और आगे बढ़ कर कहा है कि सभी देश पांच फीसदी वैक्सीन गरीब देशों के लिए बाहर निकालें. फ्रांस ने अपनी तरह से ऐसा करने का एलान भी कर दिया है, हालांकि इसके लिए डोज की संख्या या फिर कोई तारीख नहीं बताई गई है. म्युनिख कांफ्रेंस में शामिल जी-7 देशों में फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. इस साल से जी-7 की अध्यक्षता ब्रिटेन के पास आ गई है.
रिपोर्ट: निखिल रंजन (एपी, एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)
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