क्या है चीन का "वन बेल्ट, वन रोड" प्रोजेक्ट
900 अरब डॉलर की लागत से चीन कई नए अंतरराष्ट्रीय रूट बनाना चाहता है. वन बेल्ट, वन रोड नाम के अभियान के तहत बीजिंग ये सब करेगा
क्या है चीन का "वन बेल्ट, वन रोड" प्रोजेक्ट
900 अरब डॉलर की लागत से चीन कई नए अंतरराष्ट्रीय रूट बनाना चाहता है. वन बेल्ट, वन रोड नाम के अभियान के तहत बीजिंग ये सब करेगा.
चीन-मंगोलिया-रूस
जून 2016 में इस प्रोजेक्ट पर चीन, मंगोलिया और रूस ने हस्ताक्षर किये. जिनइंग से शुरू होने वाला यह हाइवे मध्य पूर्वी मंगोलिया को पार करता हुआ मध्य रूस पहुंचेगा.
न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज
इस योजना के तहत चीन यूरोप से रेल के जरिये जुड़ चुका है. लेकिन सड़क मार्ग की संभावनाएं भी बेहतर की जाएंगी. 10,000 किलोमीटर से लंबा रास्ता कजाखस्तान और रूस से होता हुआ यूरोप तक पहुंचेगा.
चाइना-पाकिस्तान कॉरिडोर
56 अरब डॉलर वाला यह प्रोजेक्ट चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को कश्मीर और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा.
चाइना-सेंट्रल एंड वेस्ट एशिया कॉरिडोर
सदियों पुराने असली सिल्क रूट वाले इस रास्ते को अब रेल और सड़क मार्ग में तब्दील करने की योजना है. कॉरिडोर कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान, ईरान, सऊदी अरब और तुर्की को जो़ड़ेगा.
दक्षिण पूर्वी एशियाई कॉरिडोर
इस कॉरिडोर के तहत चीन की परियोजना म्यांमार, वियतनाम, लाओस, थाइलैंड से गुजरती हुई इंडोनेशिया तक पहुंचेगी.
चाइना-बांग्लादेश-इंडिया-म्यांमार कॉरिडोर
इस परियोजना के तहत इन चार देशों को सड़क के जरिये जोड़ा जाना था. लेकिन भारत की आपत्तियों को चलते यह ठंडे बस्ते में जा चुकी है. अब चीन बांग्लादेश और म्यांमार को जोड़ेगा.
चाइना-नेपाल-इंडिया कॉरिडोर
म्यांमार के अलावा चीन नेपाल के रास्ते भी भारत से संपर्क जोड़ना चाहता है. इसी को ध्यान में रखते हुए चीन ने नेपाल को भी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट में शामिल किया है.
प्रोजेक्ट का मकसद
वन बेल्ट, वन रूट जैसी योजनाओं की बदौलत चीन करीब 60 देशों तक सीधी पहुंच बनाना चाहता है. परियोजना के तहत पुल, सुरंग और आधारभूत ढांचे पर तेजी से काम किया जा रहा है. निर्यात पर निर्भर चीन को नए बाजार चाहिए. बीजिंग को लगता है कि ये सड़कें उसकी अर्थव्यवस्था के लिए जीवनधारा बनेंगी.
अमेरिका नहीं, चीन
डॉनल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के चलते दुनिया भर के देशों को अमेरिका से मोहभंग हो रहा है. चीन इस स्थिति का फायदा उठाना चाहता है. बीजिंग खुद को अंतरराष्ट्रीय व्यापार की धुरी बनाने का सपना देख रहा है. इसी वजह से इन परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है.