दुनिया भर में तीन गुना बढ़े चेचक के मामलेः डब्लूएचओ
१४ अगस्त २०१९
विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए आंकड़ों के अनुसार चेचक के मामले तीन गुना तेजी से बढ़े हैं. जर्मनी में मार्च 2020 से बच्चों के लिए चेचक का टीकाकरण अनिवार्य करने की योजना है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कहा है कि पिछले साल के मुकाबले 2019 के पहले सात महीने में दुनिया भर में चेचक के मामले करीब तीना गुना बढ़े हैं. स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2018 के पहले सात महीने में चेचक के 1,29,239 मामले सामने आए थे, जो इस साल सात महीनों में बढ़कर 3,64,808 हो गए हैं. डब्लूएचओ के क्रिस्टियान लिंडमायर ने कहा है कि 2006 के बाद से यह आंकड़ा सबसे अधिक है. लिंडमायर ने हाल ही में टीकाकरण दरों में गिरावट पर चिंता व्यक्त की थी.
डब्लूएचओ ने कहा कि सबसे अधिक मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, मेडागास्कर और यूक्रेन में दर्ज किए गए हैं. कोपनहेगन स्थित संस्था ने कहा कि यूरोपीय क्षेत्र में पिछले साल 84,462 मामले दर्ज किए गए थे, जो इस साल बढ़कर 90 हजार हो गए.
नए आंकड़े जर्मन सरकार की उस योजना को संभवतः सही ठहरा रहे हैं जिसमें अगले साल मार्च से जर्मन किंडरगार्टन और स्कूलों के बच्चों तथा कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य किया जा रहा है. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने पिछले सप्ताह कहा था, "इससे कोई मतलब नहीं कि आप इसे कैसे देखते हैं, सच्चाई यह है कि यह अभी भी मौजूद है. जर्मनी में काफी कम बच्चों को चेचक का टीका लगाया गया है. ऐसे में कई सारे बच्चों को इससे प्रभावित होने का खतरा बना हुआ है."
जर्मन स्वास्थ्य बीमाकर्ता बारमेर के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने यह बयान दिया. इसके आंकड़ों में दिखाया गया है कि टीकाकरण की दर में काफी ज्यादा अंतर हो गया है. बारमेर ने पाया कि 2017 से अपनी स्कूल की पढ़ाई शुरु करने वाले बच्चों के बीमा का प्रतिशत दर 90 से कम है. जर्मनी की अनिवार्य टीकाकरण योजनाओं के तहत, डे केयर या स्कूल में बच्चों को भेजने से पहले माता-पिता को टीकाकरण का प्रमाणपत्र दिखाना होगा. ऐसा नहीं करने पर 2,500 यूरो तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
आरआर/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स)
'कैंसर' एक ऐसा शब्द है जिसे सुनते ही डर लगने लगता है. एक बार शरीर में कैंसर पहुंच जाए, तो वह शरीर के अलग अलग हिस्सों में फैल सकता है. जानिए कुछ सबसे खतरनाक कैंसर के बारे में.
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ब्रेस्ट कैंसर
स्तन का कैंसर महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है. हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री एंजेलीना जोली को ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के कारण अपने स्तन हटवाने पड़े थे.
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पैंक्रियास का कैंसर
पेट के पीछे छोटी सी पाचक ग्रंथि होती है, जो पाचन प्रक्रिया में हमारी मदद करती है. एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स को पाचक ग्रंथि का कैंसर था. आठ साल तक इससे लड़ने के बाद उनकी जान चली गयी.
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फेफड़ों का कैंसर
धूम्रपान के कारण होने वाला सबसे आम कैंसर फेफड़ों का है. प्रदूषित हवा में सांस लेने से भी इसका खतरा बढ़ता है. बच्चों में इसका खतरा ज्यादा होता है क्योंकि वे बड़ों की तुलना में सांस के साथ अधिक हवा शरीर में लेते हैं.
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खून का कैंसर
फिल्म 'आनंद' में राजेश खन्ना को एक खास किस्म का खून का कैंसर था. इस फिल्म ने लोगों का ध्यान इस बीमारी की ओर खींचा जिसके बारे में पहले बहुत बात नहीं हुआ करती थी.
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ब्रेन ट्यूमर
आम तौर पर सिगरेट और शराब को कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जाता है लेकिन ज्यादातर मामलों में दिमाग के कैंसर की यह वजह नहीं होती. इसमें दिमाग की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं.
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कोलन कैंसर
आंत का कैंसर अधिकतर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखा जाता है. आंतों में असामान्य रूप से गांठें बनने लगती हैं, जो सालों तक वहां रह सकती हैं लेकिन आखिरकार कैंसर का रूप ले लेती हैं.
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प्रोस्टेट कैंसर
अमेरिका में पुरुषों के कैंसर में सबसे आम प्रोस्टेट ग्रंथि का है. इसी ग्रंथि में शुक्राणु होते हैं. इस कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण नहीं होते, इसलिए जब तक इसके बारे में पता चलता है, इलाज काफी मुश्किल हो जाता है.
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लीवर का कैंसर
लीवर यानि यकृत के कैंसर की सबसे बड़ी वजह है शराब. यह सबसे आम किस्म का कैंसर है. कई बार कैंसर शरीर में कहीं और शुरू होता है और फिर लीवर तक पहुंचता है.