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दुनिया भर में फेसबुक के 50 करोड़ सदस्य

२२ जुलाई २०१०

सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के सदस्यों का आंकड़ा बुधवार को 50 करोड़ तक पहुंच गया. मतलब ये कि दुनिया के हर चौदह में से एक आदमी फेसबुक का सदस्य है.

तस्वीर: facebook

फेसबुक बनाने वाले मार्क ज़ुकरबर्ग ने इस मौके पर लोगों को बधाई दी है और उन्हें शुक्रिया कहा है. ज़ुकरबर्ग का कहना है कि छह साल पहले जब उन्होंने फेसबुक की शुरूआत की तो उन्हें उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी संख्या में लोग इस साइट से जुड़ेंगे. इस सफलता को ज़ुकरबर्ग ने फेसबुक के फीचर और प्राइवेसी सुरक्षित रखने की नीतियों की आलोचना का जवाब कहा है. फेसबुक ने हाल ही में आलोचना के बाद प्राइवेसी की नीति में कई बदलाव भी किए हैं.

सबसे लोकप्रिय सोशल नेटरवर्किंग साइटतस्वीर: AP

फेसबुक के सदस्य इसका इस्तेमाल दिलचस्प और नायाब जानकारियों को लोगों तक पहुंचाने में करते हैं. सूचना किसी तस्वीर या वीडियो के रूप में भी हो सकती है. सदस्यता का रिकॉर्ड बनाने के मौके पर फेसबुक ने एक नया एप्लिकेशन लॉन्च किया है जिसके जरिए फेसबुक इस्तेमाल के दिलचस्प किस्सों को सदस्यों के साथ बांटा जा सकेगा. अब नैटो के महासचिव आंदर्स फो रासमुसेन को ही देख लीजिए. रासमुसेन जब डेनमार्क के प्रधानमंत्री थे तो वो अपने फेसबुक फैन्स के साथ जॉगिंग करते थे इसी तरह अमेरिका की एक महिला ने ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने के लिए फेसबुक का सहारा लिया. इस तरह की आपके पास कोई कहानी या अनुभव है तो आप इसे फेसबुक पर शेयर कर सकते हैं.

फेसबुक के लिए अमेरिका में ख़ासतौर से बहुत दीवानगी है. पिछले हफ्ते हुए एक सर्वे में पता चला कि यहां कई लोग तो सुबह जगने के बाद बाथरूम जाने से पहले फेसबुक का पेज खोलते हैं. हालांकि एक और रिसर्च में ये बात भी सामने आई कि ग्राहकों को संतुष्ट करने के मामले में फेसबुक एयरलाइन कंपनियों और केबल नेटवर्क के साथ सबसे नीचे के पायदान पर है.

फेसबुक के विरोधी भी कम नहींतस्वीर: picture alliance / dpa

जानकारों का मानना है कि फेसबुक का इसलिए भी विस्तार हो रहा है क्योंकि लोगों के पास इसका कोई विकल्प नहीं है. फेसबुक छोड़ने का मतबल है कि आपको अपनी प्रोफाइल के साथ फोटो और वीडियो लगाने के लिए किसी और नेटवर्क की तलाश करनी होगी और फिर अपने दोस्तों से उसकी सदस्यता लेने के लिए आग्रह करना होगा. बहुत सारे लोग इसलिए फेसबुक से जुड़ते हैं क्योंकि उनके दोस्त यहां हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः महेश झा

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