वनी कौशिक का निधन छह साल पहले हुआ था. उसके जाने के बाद उसके माता-पिता ने उसकी याद को एक मुहिम के जरिए जिंदा रखा, जिसने हजारों जिंदगियां बचाई हैं.
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वनी कौशिक इस दुनिया में सिर्फ 116 हफ्ते जीवित रहीं. अपने दूसरे जन्मदिन के कुछ ही दिन बाद वानी को ब्लड कैंसर ने छीन लिया. उसकी मां निधि, पिता विशाल और बड़ी बहन विधि के लिए उसका बीमार होना और फिर चले जाना एक ऐसा सदमा था, जिससे वे आज तक नहीं उबर पाए हैं.
छह साल पुरानी बात याद करते हुए निधि कौशिक कहती हैं, "9 जुलाई से पहले, जिस दिन वानी चली गई, उससे पहले वाली रात को भी हमें अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ हमारे साथ हो सकता है. वह बीमार थी. हम भाग दौड़ कर रहे थे. अस्पताल जाना और उसे संभालना हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था लेकिन ऐसा हो जाएगा, यह हमने सोचा भी नहीं था.”
निधि और विशाल कौशिक ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहते हैं. और अपनी नहीं रही बेटी की याद को एक मुहिम के रूप में जिंदा रखे हुए हैं. वह उनकी बड़ी बेटी विधि मिलकर रक्तदान के लिए लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. वनी के नाम से रेड25 नाम से एक रक्तदान अभियान चलाते हैं और हर साल वनी की पुण्यतिथि 9 जुलाई पर लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करते हैं.
तस्वीरों मेंः अपने स्तनों का ख्याल क्यों नहीं रखतीं महिलाएं
अपने स्तनों का ख्याल क्यों नहीं रखती महिलाएं
जीवन की शुरुआत यहीं से होती है. बच्चा पैदा होते ही सबसे पहले मां का दूध ही पीता है. फिर भी इन्हें उतनी अहमियत नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए. स्तन पूरे शरीर की सेहत का संकेत दे सकते हैं.
तस्वीर: NDR
अचानक बढ़ोतरी
स्तनों के आकार में अचानक हुई बढ़त किसी समस्या का संकेत हो सकती है. हालांकि ऐसा प्रेग्नेंसी, गर्भनिरोधक दवाओं या हॉर्मोनल बदलावों से भी हो सकता है.
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अचानक कमी
स्तन के आकार में अगर अचानक कमी होती है तो यह एस्ट्रोजन लेवल के घटने का संकेत हो सकता है.
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एक्स्ट्रा लार्ज
कुछ अध्ययन लार्ज साइज ब्रा को कैंसर से जोड़कर देखते हैं. हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
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आकार में बदलाव
स्तनपान और उम्र बढ़ने की वजह से त्वचा में लचीलापन कम हो जाता है. इस वजह से आकार बदलता है.
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गांठ
स्तन में गांठ हर बार चिंताजनक नहीं होती. कई बार पीरियड्स के दौरान भी गांठ बन जाती है और इसमें दर्द भी हो सकता है. लेकिन सावधानी जरूरी है.
तस्वीर: Colourbox
बदन दर्द
कंधों में दर्द की बहुत सारी वजह हो सकती हैं लेकिन गलत साइज की ब्रा भी एक वजह है.
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आयरन की कमी
अगर स्तनों में दर्द है तो यह आयरन की कमी का संकेत हो सकता है. 2004 में हुए एक अध्ययन ने दिखाया कि स्तनों में दर्द होने पर आयोडीन की मात्रा बढ़ाई गई तो आराम हुआ.
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निपल्स का आकार
अगर निपल्स के आकार में अचानक बदलाव होता है तो डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए. यह कैंसर का संकेत भी हो सकता है.
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विशाल बताते हैं, "हमारा यह अभियान हर साल 9 जुलाई को शुरू होता है. वनी 116 हफ्ते जीवित रही, इसलिए हम कोशिश करते हैं कि हर साल 116 लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करें. हर साल हमें अपने लक्ष्य से ज्यादा लोगों का सहयोग मिलता है. पिछले साल 152 लोगों ने वनी की याद में रक्तदान किया."
क्या हुआ था वनी को?
16 अप्रैल 2013 को वनी का जन्म हुआ था. वह सिर्फ तीन महीने की थी जब डॉक्टरों ने बताया कि उसे ब्लड कैंसर है. निधि कौशिक बताती हैं, "हमें तो बुरी तरह टूट गए थे. हमें लगता था कि ऐसा सब तो सिर्फ फिल्मों में होता है." वहां से विशाल, निधि और विधि का एक कठिन सफर शुरू हुआ, जो बच्चों के अस्पताल, घर और कीमोथेरेपी के बीच गुजरा.
उस सफर से गुजरना ही इतना दुखदायी था कि तीनों के लिए जिंदगी के मायने ही बदल गए थे. निधि याद करती हैं, "उस दौरान हमने एक अलग ही दुनिया देखी. एक महीने के बच्चे से लेकर 10-12 साल तक के बच्चे इस बीमारी से जूझ रहे थे. वहां रहते हुए हमें अहसास हुआ कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है. हर हफ्ते छह नए बच्चे कैंसर वॉर्ड में भर्ती हो रहे थे."
वनी के लिए यह सफर खत्म हो जाने से पहले भी पहाड़ सा रहा. हर रोज उसका रक्त बदलना पड़ता था. निधि बताती हैं कि सबसे मुश्किल दिन वो होता था जब सही समय पर और सही ग्रूप का ब्लड नहीं मिल पाता था. वह कहती हैं, "जिस दिन उसका खून नहीं बदला जाता था, उस दिन वो एकदम बेजान रहती थी. उस वक्त लगता था कि दुनिया के किसी कोने से भी, कहीं से भी अपने बच्चे के लिए खून ले आएं ताकि आपका बच्चा एक दिन और जी सके."
नौ महीने बाद
नौ महीने के इलाज के बाद डॉक्टरों ने एक दिन कौशिक परिवार को बताया कि उनकी बच्ची ठीक हो चुकी है, कैंसर चला गया है. वह दिन और उसके बाद 2014 का साल इस परिवार के लिए सबसे अच्छा साल था. विशाल बताते हैं कि हमें लगा एक बुरा सपना था जो बीत गया. पर ऐसा बहुत दिन तक नहीं रहा.
वनी के दूसरे जन्मदिन के सिर्फ दो हफ्ते बाद पता चला कि कैंसर लौट आया था. और उसके सिर्फ तीन महीने के भीतर वनी ने इस दुनिया को विदा कह दिया क्योंकि 9 जुलाई 2015 को उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया था. निधि कहती हैं कि आज भी लगता है, वह सच नहीं था. रूंधे हुए गले से वह बताती हैं, "मुझे लगता है जब मैं सोकर उठूंगी तो वनी अपने बिस्तर में होगी. मुझे लगता ही नहीं कि जो हुआ, वह सच था. सपना सा लगता है बस."
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और फिर एक मुहिम
विशाल कौशिक कहते हैं कि वनी के इलाज के दौरान उन्होंने बच्चों को खून की कमी से जूझते देखा. वह कहते हैं कि जैसे वनी गई, वैसे दुनिया का कोई बच्चा ना जाए. वह बताते हैं, "कोई बच्चा खून की कमी से जी ना पाए, यह सोचना भी मुश्किल है. हमने उस दौरान देखा कि कैसे एक-एक यूनिट खून कीमती होता है. आप कितने भी अमीर हों, आपके पास कितने भी संसाधन हों, खून की एक यूनिट के लिए तरसते हैं, क्योंकि आप उसे खरीद नहीं सकते, पैदा नहीं कर सकते. उसके लिए आप बस किसी रक्तदाता पर निर्भर हैं."
देखेंः भारत में बढ़ रहा है कैंसर
बढ़ रहा है भारत में कैंसर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में भारत में कैंसर के मामलों में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अगले पांच साल में मामले 12 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
बढ़ता कैंसर
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार इस समय भारत में कैंसर के लगभग 14 लाख मामले हैं. पिछले चार सालों में इन मामलों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2016 में देश में अनुमानित 12.6 लाख मामले थे.
तस्वीर: picture-alliance/Pixsell/D. Puklavec
रफ्तार बढ़ने की संभावना
कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक अगले पांच साल में कैंसर के मामलों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. 2025 तक देश में 15.7 लाख मामले होने का अनुमान है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna
ज्यादा महिलाएं प्रभावित
पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाएं कैंसर से पीड़ित हैं. 2020 में 6.8 लाख पुरुषों के मुकाबले 7.1 लाख महिलाओं के कैंसर से पीड़ित होने का अनुमान है. 2025 में पुरुषों में कैंसर के 7.6 लाख मामले और महिलाओं में 8.1 लाख मामले होने की आशंका है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
बच्चों में कैंसर
सभी उम्र के कैंसर पीड़ितों की तुलना में 14 साल तक के बच्चों में कैंसर का अनुपात देश के अलग अलग इलाकों में 0.7 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत तक है. ये अनुपात उत्तर भारत में सबसे ज्यादा दिल्ली में है (लड़कों में 4.7 प्रतिशत और लड़कियों में 2.6 प्रतिशत), दक्षिण में हैदराबाद में, पश्चिम में लड़कों में औरंगाबाद और लड़कियों में बर्षि ग्रामीण.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
तंबाकू से नुकसान
कैंसर के सभी मामलों में तंबाकू से होने वाले कैंसरों की संख्या सबसे अधिक (27 प्रतिशत) है. 2020 में कैंसर के 3,77,830 मामलों के पीछे तंबाकू के कारण होने का अनुमान है. 2025 तक इस संख्या के बढ़ कर 4,27,273 हो जाने की आशंका है.
तस्वीर: DW/Sirsho Bandopadhyay
स्तन कैंसर की ऊंची दर
महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे बड़ी संख्या (14.8 प्रतिशत) स्तन के कैंसर की है. 2020 में जहां 2,05,424 स्तन कैंसर के मामले होने का अनुमान है, 2025 तक स्तन कैंसर के मामले बढ़ कर 2,32,832 हो जाने की संभावना है.
तस्वीर: Colourbox
कैंसर से मृत्यु दर
पुरुषों में कैंसर से मृत्यु दर देश के अलग अलग इलाकों में 14.7 प्रतिशत से 71.9 प्रतिशत के बीच है और महिलाओं में 9 प्रतिशत से 63 प्रतिशत के बीच है. सबसे ऊंची मृत्यु दर (67.2 प्रतिशत) महाराष्ट्र के बर्षि ग्रामीण इलाके में की गई है.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
पूर्वोत्तर में बढ़ता संकट
हर 1,00,000 लोगों की आबादी पर पुरुषों में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मिजोरम के आइजॉल जिले में हैं (269.4) और सबसे कम महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड जिलों में हैं (39.5). महिलाओं में आबादी के अनुसार सबसे ज्यादा मामले अरुणाचल प्रदेश के पापुमपारे जिले में हैं (219.8) और सबसे कम महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड जिलों में हैं (49.4).
तस्वीर: Reuters/J. Dey
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और तब इन दोनों ने फैसला किया कि वे लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे. इसके साथ रेड25 मुहिम की शुरुआत हुई, जिसके तहत सैकड़ों लोग रक्तदान कर चुके हैं. निधि बताती हैं कि उनकी बेटी विधि अपने बर्थडे तक पर गिफ्ट के रूप में लोगों से ब्लड डोनेट करने का आग्रह करती है.
वह कहती हैं, "कई बार लोग कहते हैं भूलने की कोशिश करो, मूव ऑन करो, ऐसा नहीं होता. कोई माता-पिता अपने बच्चे को नहीं भूल सकता. हम वनी को नहीं भूल सकते. कोई तसल्ली उसे वापस नहीं ला सकती. हां, वनी हजारों जानें बचा चुकी है, इससे कुछ सुकून जरूर मिलता है."
रक्तदान की जरूरत
ल्युकेमिया के मरीजों को लगातार रक्त की जरूरत पड़ती है. ऑस्ट्रेलिया की ल्युकेमिया फाउंडेशन के मुताबिक औसतन एक मरीज की जरूरत होती है कि एक महीने में 36 यूनिट खून की जरूरत होती है, यानी जरूरी है कि हर महीने कम से कम 18 लोग रक्तदान करें.
रेडक्रॉस के मुताबिक एक आदमी का दान किया हुआ खून तीन जानें बचा सकता है क्योंकि इसका इस्तेमाल प्लैटलेट्स, रेड ब्लड सेल्स और पूर्ण खून के रूप में हो सकता है. सिर्फ ऑस्ट्रेलिया को हर हफ्त 31 हजार रक्तदाताओं की जरूरत होती है.
अमेरिका में रोजाना 36 हजार यूनिट रक्त की जरूरत होती है जबकि फ्रेंड्सटुसपोर्ट नामक संस्था के मुताबिक भारत में हर साल पांच करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है. और भारत में सालाना दस लाख से ज्यादा लोगों को कैंसर होता है, जिनमें से बहुतों कों रक्त की जरूरत होती है.
जानेंः कैंसर के 10 लक्षण
कैंसर के 10 लक्षण
रिसर्च एवं चैरिटी संस्थान कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक आधे से ज्यादा वयस्क ऐसे लक्षणों से गुजरते हैं जो कैंसर से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन वे इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. ये लक्षण होने पर डॉक्टरी सलाह जरूरी है.
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पाचन में दिक्कत
एंडरसन कैंसर सेंटर के डॉक्टर बारथोलोम्यू बेवर्स के मुताबिक अगर आपको खाना पचाने में दिक्कत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
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कफ या गले में खिचखिच
अगर गले में खराश बनी रहती है और खांसने में खून भी आ जाता है, तो ध्यान दें. जरूरी नहीं कि यह कैंसर ही हो, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है. खासकर अगर कफ ज्यादा दिन तक बना रहे.
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मूत्र में रक्त
डॉक्टर बेवर्स के मुताबिक, "अगर मूत्र में रक्त आता है तो ब्लाडर या किडनी का कैंसर हो सकता है. लेकिन यह इंफेक्शन भी हो सकता है."
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दर्द बरकरार
डॉक्टर बेवर्स बताते हैं, "हर तरह का दर्द कैंसर की निशानी नहीं, लेकिन अगर दर्द बना रहे, तो वह कैंसर भी हो सकता है." जैसे कि सिर में दर्द बने रहने का मतलब यह नहीं कि आपको ब्रेन कैंसर ही है, लेकिन डॉक्टर से मिलना जरूरी है. पेट में दर्द अंडाशय का कैंसर हो सकता है.
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तिल या कुछ और
तिल जैसा दिखने वाला हर निशान तिल नहीं होता. ऐसे किसी भी निशान के त्वचा पर उभरने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं. यह स्किन कैंसर की शुरुआत हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/ Alexander Raths
अगर घाव ना भरे
अगर कोई घाव तीन हफ्ते के बाद भी नहीं भरता है तो डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है.
अगर मासिक चक्र के बाहर भी रक्त स्राव नहीं रुकता है तो महिलाओं को ध्यान देने की जरूरत है. यह सरवाइकल कैंसर की शुरुआत हो सकता है.
तस्वीर: Fotolia/absolutimages
वजन घटना
डॉक्टर बेवर्स के मुताबिक, "वयस्कों का वजन आसानी से नहीं घटता." लेकिन अगर आप बिना किसी कोशिश के दुबले होते जा रहे हैं तो जरूर ध्यान देने की बात है. यह कैंसर का संकेत हो सकता है.
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गांठों का होना
कभी भी कहीं भी अगर गांठ महसूस हो तो उसपर ध्यान दें. हालांकि हर गांठ खतरनाक नहीं होती. स्तन में गांठ होना स्तन कैंसर की तरफ इशारा करता है, इसे डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
तस्वीर: picture alliance/CHROMORANGE
निगलने में तकलीफ
गले में कैंसर का एक बहुत अहम संकेत यह भी है. गले में तकलीफ होने पर लोग आमतौर पर नर्म खाना खाने की कोशिश करते हैं, लेकिन डॉक्टर के पास नहीं जाते, जो कि सही नहीं है.