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नाजी जर्मनी के हमले के लिए पोलैंड मांगेगा मुआवजा

२ सितम्बर २०२२

दूसरे विश्वयुद्ध में देश पर नाजी जर्मनी के हमले और उसे कब्जे में रखने का पोलैंड को मुआवजा चाहिए. पोलैंड के एक शीर्ष राजनेता ने कहा है कि उनका देश जर्मनी से 1300 अरब डॉलर के बराबर की रकम मांगेगा.

पोलैंड के 60 लाख नागरिकों की मौत हुई जिनमें 30 लाख यहूदी थे
नाजी जर्मनी के हमले में पोलैंड ने भारी तबाही देखीतस्वीर: akg-images/picture alliance

दूसरा विश्वयुद्ध शुरू होने की 83वीं वर्षगांठ के मौके पर सत्ताधारी पार्टी के नेता यारोस्लाव काचिंस्की ने नाजी जर्मनी के कब्जे में देश को हुए नुकसान के बारे में एक रिपोर्ट जारी करते हुए इस बड़े मुआवजे की बात रखी. काचिंस्की पोलैंड की सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी के नेता हैं. इस रिपोर्ट का लंबे समय से पोलैंड में इंतजार था. यारोस्लाव काचिंस्की ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा, "हमने ना सिर्फ रिपोर्ट तैयार की है बल्कि आगे के कदमों के बारे में भी फैसले किये हैं. हम मुआवजे पर बातचीत के लिए जर्मनी के पास जायेंगे. एक दिन हमें सफलता मिलेगी."

काचिंस्की ने इस बात पर भी जोर दिया कि "सत्य" पर आधारित यह कदम "सही मायने में पोलिश जर्मन समन्वय" को स्थापित करेगा. पोलिश राजनेता का यह भी कहना है कि जर्मन अर्थव्यवस्था इस मुआवजे को चुकाने में सक्षम है.

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जर्मनी का दावा मामला खत्म

जर्मनी की दलील है कि पूर्वी हिस्से के देशों को युद्ध के सालों के लिए मुआवजा दिया गया था. जर्मनी का कहना है कि सीमा तय करते समय पूर्व में पोलैंड के खोये इलाकों को लौटाने के साथ ही जर्मनी ने युद्ध के पहले अपने कब्जे में रहे कुछ हिस्सों को भी मुआवजे के तौर पर पोलैंड को दिया था. जर्मनी के मुताबिक यह मामला वहीं खत्म हो चुका है.

यारोस्लाव काचिंस्की पोलैंड की मुख्य सत्ताधारी पार्टी के नेता हैंतस्वीर: Michal Dyjuk/AP Photo/picture alliance

जर्मनी के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि इस मामले में सरकार का "रुख नहीं बदला है" और "मुआवजे की बात खत्म हो चुकी है." मंत्रालय ने इस बारे में ईमेल से पूछे सवाल के जवाब में कहा है, "बहुत पहले 1953 में ही पोलैंड ने और मुआवजे की बात खत्म कर दी थी और उसके बाद कई मौकों पर इस बात की पुष्टि की गई है. आज की यूरोपीय व्यवस्था का यही प्रमुख आधार है. जर्मनी दूसरे विश्वयुद्ध को लेकर अपनी राजनीतिक और नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करता है."

उधर पोलैंड की सरकार ने 1953 में जारी संयुक्त घोषणापत्र को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि यह घोषणा पत्र तब के साम्यवादी नेताओं ने सोवियत संघ के दबाव पर जारी किया था जिसमें जर्मनी से और मुआवजे नहीं मांगने पर सहमति जताई गई थी. पोलैंड के विपक्षी नेता जेगोर्स शेटिना का कहना है कि "यह रिपोर्ट बस अंदरूनी राजनीति का एक खेल है" और इस बात पर जोर दिया है कि पोलैंड को जर्मनी के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने की जरूरत है.

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पोलैंड को हुए नुकसान पर रिपोर्ट

पोलैंड की दक्षिणपंथी सरकार की दलील है कि उनका देश दूसरे विश्वयुद्ध का पहला पीड़ित था और पड़ोसी देश जर्मनी ने उसे पूरा मुआवजा नहीं दिया. हालांकि आज दोनों देश यूरोपीय संघ में प्रमुख साझीदार हैं. काचिंस्की का कहना है, "जर्मनी ने पोलैंड के खिलाफ अपने अपराधों को सचमुच कभी स्वीकार नहीं किया." उनका यह भी दावा है कि बहुत से जर्मन जिन्होंने युद्ध अपराध किये थे युद्ध के बाद जर्मनी में सजा से मुक्त रहे. काचिंस्की और प्रधानमंत्री मातेउस मोरावित्स्की समेत कई शीर्ष नेता वारसॉ के रॉयल कासल में रिपोर्ट जारी करने के कार्यक्रम में मौजूद थे.

नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर 1 सितंबर 1939 को हमला किया थातस्वीर: United Archives/TopFoto/picture alliance

1 सितंबर 1939 को नाजी जर्मनी ने पोलैंड पर बमबारी और हमला शुरू किया था. इसके बाद अगले पांच साल से ज्यादा के दौर में यहां नाजियों का क्रूर कब्जा रहा. इस साल इस घटना की वर्षगांठ के मौके पर सरकार का पूरा ध्यान तीन खंडों वाली इस रिपोर्ट पर था.

रिपोर्ट बनाने वाली टीम के प्रमुख अर्काडियुस मुलार्चिक का कहना है कि जर्मन कब्जे के दौरान करीब 52 लाख लोगों की मौत की आर्थिक कीमत लगा पाना असंभव है. इन लोगों की मौत के लिए नाजी जर्मनी को दोषी माना जाता है. उन्होंने पोलैंड को हुए नुकसान में बुनियादी ढांचे, उद्योग, खेती, संस्कृति, जबरन मजदूरी के लिए जर्मनी में लोगों को लेकर जाना और पोलिश बच्चों को जर्मन में बदलने जैसी बातों को शामिल किया है.

30 से ज्यादा अर्थशास्त्रियों, इतिहासकारों और विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट को तैयार करने में हिस्सेदारी की है और इस पर 2017 में काम शुरू हुआ था. इस मुद्दे ने दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा कर दी है.

विश्वयुद्ध में पोलैंड बना पीड़ित

राष्ट्रपति आंद्रेइ डूडा ने ग्दांस्क के पास एक स्मृति दिवस कार्यक्रम में कहा कि जंग हमारे इतिहास की सबसे भयानक आपदा में से एक थी. नाजी कब्जे के लिए सबसे पहले जहां हमले हुए उनमें यह जगह भी शामिल थी. डूडा ने कहा, "सिर्फ इसलिए नहीं कि इसने हमसे हमारी आजादी छीनी, हमारा देश छीना बल्कि इसलिए क्योंकि लाखों पोलिश नागरिक इस जंग के शिकार हुए और हमारे देश और हमारे राष्ट्र को ऐसी क्षति हुई जिसे कभी भरा नहीं जा सकेगा."

पोलैंड में नाजी जर्मन सैनिकों की परेडतस्वीर: Edisto Images/Newscom/picture alliance

जर्मनी और पोलैंड के बीच सहयोग के लिए जिम्मेदार जर्मन अधिकारी डीटमार नीटान ने एक बयान जारी कर कहा है कि 1 सितंबर, "जर्मनी के लिये एक गलती और शर्म का दिन रहेगा जो जर्मनी के किए अपराधों की बार बार याद दिलाता है. वह हमारे इतिहास का काला पन्ना है" जो अब भी द्विपक्षीय संबंधों पर असर डाल रहा है.

पोलैंड में युद्ध के दौरान चली गोलियों के निशान वहां के घरों पर हाल तक देखे जा सकते थे. हाल ही में हुए एक सर्वे ने दिखाया कि पोलिश लोगों की मुआवजे के मुद्दे पर राय लगभग बराबर रूप से बंटी हुई है. बहुत से परिवारों के दिल में आज भी उन अपने लोगों की याद ताजा है जिन्हें उन्होंने युद्ध के दौरान खो दिया. पोलैंड ने युद्ध में अपने 60 लाख नागरिकों को खोया जिनमें 30 लाख यहूदी थे. इनमें से कुछ ने पूर्व की तरफ से सोवियत रेड आर्मी के हमले में भी जान गंवाई.

एनआर/एमजे (एपी)

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