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आतंकवाद

देश छोड़ने वाला पाकिस्तानी पत्रकार स्वीडन में ट्रेन से गायब

एस खान, इस्लामाबाद
७ अप्रैल २०२०

पाकिस्तान से भागकर किसी तरह स्वीडन पहुंचने वाले पत्रकार साजिद बलोच लापता हैं. उन्हें आखिरी बार स्वीडन की राजधानी में एक ट्रेन में सवार होते हुए देखा गया था.

Symbolbild Pressefreiheit
तस्वीर: picture-alliance/dpa

पाकिस्तान के पत्रकारों और मानवाधिकार संगठनों ने स्वीडन से लापता पत्रकार साजिद हुसैन बलोच को खोजने में ज्यादा प्रयास झोंकने की मांग की है. 32 साल के बलोच दो मार्च से लापता है. आखिरी बार उन्हें स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से उपसाला जाने वाली ट्रेन में सवार होते हुए देखा गया था.

साजिद बलोच के नजदीकी मित्र ताज बलोच ने डीडब्ल्यू से कहा, "दो मार्च की दोपहर तक वह मेरे साथ थे और मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता कि इस देश में वह लापता हो जाएंगे. वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं, जिनका भाषा और साहित्य की तरफ झुकाव है. उनकी गुमशुदगी के पीछे मौजूद फ़रमों को समझना मुश्किल है.”

पेरिस मुख्यालय से चलने वाली गैर सरकारी संस्था रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के मुताबिक तीन मार्च को स्वीडन की पुलिस ने बलोच की गुमशुदगी का केस दर्ज किया. बलोच के रिश्तेदारों का आरोप है कि स्वीडिश सरकार ने साजिद की गुमशुदगी को गंभीरता से नहीं लिया. परिवार को साजिद की जान की चिंता हो रही है. लापता पत्रकार के भाई वाजिद बलोच ने डीडब्ल्यू से बात करते हुए कहा, "अगर हमारे भाई को कुछ भी हुआ तो स्वीडन की पुलिस को जिम्मा लेने के तैयार रहना होगा क्योंकि हम उन्हें मामले की गंभीरता समझाने के लिए सब कुछ कर चुके हैं.”

आरएसएस को शक है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले उजागर करने वाले साजिद बलोच को "पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के इशारों पर अगवा” किया गया है.

सन 2012 में पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत से भागने वाले साजिद बलोच 2017 से स्वीडन में रह रहे थे. फिलहाल वह स्टॉकहोम में रहते हुए उपसाला यूनिवर्सिटी में ईरानी भाषा में मास्टर्स कर रहे थे. एक खाली कमरा मिलने के बाद दो मार्च को उन्हें स्टॉकहोम से उपसाला शिफ्ट होना था, लेकिन उसी दिन वह लापता हो गए.

अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगने वाले पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत ने बीते 15 सालों में कई आतंकी और विद्रोही हमले झेले हैं. प्रांत में अफगान और पाकिस्तानी तालिबान का भी दबदबा रहा है. इस्लामिक स्टेट और अन्य चरमपंथी गुट भी वहां सक्रिय हैं. इन सबके बीच राज्य में बलोच अलगाववादी भी हैं जो पाकिस्तान से अलग होकर एक अलग इस्लामिक देश बनाना चाहते हैं.

पाकिस्तान की सेना बलोच अलगाववादियों के साथ संघर्ष में उलझी रहती है. मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि पाकिस्तान की सरकार, सेना और खुफिया एजेंसियां बलोचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन करते हैं. कई लोगों की गुमशुदगी का आरोप भी उन पर है. इस्लामाबाद इन आरोपों से इनकार करता है और अपने चिर प्रतिद्वंद्वी देश भारत पर बलोचिस्तान में हिंसा व अलगाववाद भड़काने का आरोप लगाता है.

दो बच्चों के पिता साजिद बलोच लंबे वक्त से कई देशों में निर्वासन में रह रहे थे. 2017 में वह स्वीडन पहुंचे और वहां शरण की अपील की. पाकिस्तान में रहते हुए बलोच पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबारों द न्यूज और द डेली टाइम्स के लिए काम करते थे. वह बलोचिस्तान टाइम्स वेबसाइट के एडिटर इन चीफ भी थे. यह न्यूज वेबसाइट बलोचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन और मादक पदार्थों से तस्करी से जुड़ी रिपोर्टें छापती थीं. अब इस वेबसाइट को पाकिस्तान में एक्सेस नहीं किया जा सकता है.

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के एक अधिकारी असाद बट कहते हैं, "स्वीडन बेहतरीन लोकतंत्र है जहां मानवाधिकारों का मुद्दा बहुत अहम है. हम स्वीडिश सरकार से अपील करते हैं कि वे उनकी सुरक्षित वापसी का प्रयास करे और साथ ही पाकिस्तान सरकार से मांग करते हैं कि वह स्टॉकहोम के सामने इस मुद्दे को उठाए क्योंकि लापता पत्रकार हमारा नागरिक भी है.”

पाकिस्तान में पत्रकारों के केंद्रीय संघ ने अपनी सरकार और विदेश मंत्रालय से साजिद बलोच के मामले में स्वीडन के साथ सहयोग करने की अपील की है.

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