1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

देश भर में मजदूर आज हड़ताल पर

२८ फ़रवरी २०१२

दुकानें और बैंक बंद, डाकघर और कारखानों में काम ठप्प और सड़कों पर ट्रैफिक नहीं ज्यादातर बड़े शहरों में आज यही हाल है लेकिन कोलकाता ज्यादा बेहाल है. भारत में आर्थिक नाकेबंदी खोले जाने के बाद 14 वीं आम हड़ताल है.

तस्वीर: AP

भारत भर में यह हड़ताल महंगाई के विरोध में मजदूर संगठनों ने बुलाई है. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग इस हड़ताल में शामिल हुए हैं यहां तक कि सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी की मजदूर ईकाई से जुड़े मजदूर भी हड़ताल पर हैं. हालांकि ज्यादा असर कोलकाता और पश्चिम बंगाल में ही नजर आ रहा है.

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर यात्री फंसे पड़े हैं. टैक्सी और रिक्शा सड़कों से गायब है. भारत के 11 बड़े मजदूर संगठनों ने यह हड़ताल बुलाई है. ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के नेता गुरुदार दास गुप्ता ने बताया कि 5000 दूसरे मजदूर यूनियन भी इस हड़ताल में शामिल हुए हैं. मजदूर यूनियन सरकार की उस नीति का भी विरोध कर रहे है जिसमें सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेची जा रही है. वहां मजदूरों की यूनियन न होने से उनकी सामाजिक सुरक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है.

नई दिल्ली और मुंबई में हड़ताल का असर थोड़ा कम है. बैंक और इंश्योरेंस के दफ्तर बंद हैं लेकिन सड़कों पर बसें और टैक्सियों की चहलकदमी रोज जैसी ही है. दुकानें भी खुली हुई हैं और वहां ठीक ठाक कारोबार हो रहा है. मजदूर संगठनों ने पिछले हफ्ते हड़ताल को वापस लेने की सरकार की मांग ठुकरा दी थी. श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मजदूरों यूनियनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों पर चर्चा करने का प्रस्ताव दिया था.

हड़ताल से एक दिन पहले उसे रोकने की आखिरी कोशिश के तहत श्रम मंत्री ने कहा, "मजदूरों की समस्या दूर करने के लिए हमें मजदूर संगठनों का सहयोग चाहिए. देश भर में हड़ताल बुलाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि इससे राजस्व का नुकसान होता है." सरकार की अपील को खारिज करते हुए मजदूर संगठनों ने एक दिन काम बंद करने के विचार पर अड़े रहने का फैसला किया. मजदूर संगठनों की मांग है कि आकाशछूती महंगाई को देखते हुए न्यूनतम मजदूर में बदलाव किया जाए. इसके साथ ही अलग अलग उद्योगों में मजदूर यूनियनों से जुड़े सभी कामगारों के लिए पेंशन की सुविधा दी जाए.

भारत में महंगाई की दर पिछले दो सालों में ज्यादातर वक्त 9 फीसदी से ऊपर रही है. हालांकि पिछले साल दिसंबर में यह घट कर 7.5 फीसदी पर आ गई.

रिपोर्टः एपी,पीटीआई/एन रंजन

संपादनः आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें