दोस्ती की तरफ़ बढ़ते तुर्की और अर्मेनिया
२३ अप्रैल २००९तुर्की और अर्मेनिया आख़िरकार एक शांति संधि की तरफ़ बढ़ रहे हैं. दोनों देशों के संबंध तक़रीबन एक सदी से भी ज़्यादा समय से ख़राब रहे हैं. लेकिन अब शांति की उम्मीदों के बीच तुर्की के यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ संबंध भी सुधरने के आसार हैं.
तुर्की ने अर्मेनिया के साथ लगने वाली अपनी सीमा 1993 में बंद कर दी थी. तुर्की ने यह कदम अपने पड़ोसी देश अज़रबैजान के समर्थन में उठाया था. उस वक़्त अज़रबैजान अर्मेनिया से मदद पाने वाले अलगाववादी तत्वों के साथ लड़ रहा था. ये अलगाववादी अज़रबैजान के अरमानी बहुल बाकू इलाक़े के लिए स्वायत्तता की मांग कर रहे थे.
तुर्की और अर्मेनिया का इतिहास कड़वाहट से भरा है. अर्मेनिया तुर्की पर अपने कई लाख लोगों को मरने का आरोप लगाता था. तुर्की भी मानता है कि ओटोमन तुर्कों के साम्राज्य में बहुत से ईसाई अर्मेनियों को मारा गया था. लेकिन मारे गए लोगों की संख्या पर दोनों के बीच मतभेद रहे हैं. अर्मेनिया जहां मरने वाले लोगों की संख्या 15 लाख के क़रीब बताता है वहीं तुर्की कहता है कि चंद हज़ार लोग मारे गए थे.
लेकिन अब तुर्की और अर्मेनिया के विदेश मंत्रियों ने एक साझा बयान जारी किया है जिसके मुताबिक दोनों देशों के बीच हुई बातचीत काफ़ी सकारात्मक रही है और इसे रिश्तों में शांति की नींव समझा जा सकता है. लेकिन तुर्की और अर्मेनिया के बीच संबंध सुधरने से तुर्की और अजरबैजान के बीच संबंध खराब हो सकते हैं. अज़रबैजान को अगर लगा है कि तुर्की उससे दूरी बना रहा है, तो वह रूस के क़रीब जा सकता है. रूस लंबे समय से अजरबैजान का तेल यूरोपीय भावों में खरीदने के लिए तैयार है.
यूरोपीय संघ तेल के लिए रूस पर अपनी निर्भरता ख़त्म करना चाहता है. इसी मक़सद से यूरोपीय संघ काफ़ी समय से तुर्की से यूरोपीय देशों तक एक पाइपलाइन बनाने की कोशिश कर रहा है. प्रस्तावित नबुचो पाइपलाइन में अज़रबैजान से ख़रीदे गये तेल को यूरोपीय संघ के कई देशों तक पहुंचाया जाएगा.
रिपोर्ट - एजेंसियां, पी. चौधरी
संपादन - ए कुमार