पाकिस्तान में रहने वाले दो लाख से ज्यादा अफगान शरणार्थी इस साल अपने वतन लौट गए. इनमें से लगभग आधे लोगों ने तो सितंबर महीने ही पाकिस्तान को छोड़ा है.
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संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का कहना है कि 2002 में तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से यह अफगानिस्तान लौटने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या है. इतनी बड़ी संख्या में अफगान शरणार्थियों की वापसी की वजह पाकिस्तान सरकार की तरफ की गई सख्ती बताई जा रही है. जून में पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से लगनी वाली अपनी सीमा पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं और पाकिस्तान में बिना दस्तावेज रह रहे अफगानों की धरपकड़ भी तेज हुई है.
इस्लामाबाद में यूएनएचसीआर के प्रवक्ता कैसर खान अफरीदी ने बताया कि जुलाई के बाद से एक लाख 85 हजार से ज्यादा लोग अफगानिस्तान लौटे हैं जबकि अकेले सितंबर में 98 हजार लोगों ने वतन वापसी की है. वह कहते हैं, "जुलाई से अब तक अपनी मर्जी से अफगानिस्तान जाने वाले लोगों की संख्या दो लाख को पार कर गई है." रोजाना बड़ी तादाद में अफगान लोग पाकिस्तान को छोड़ रहे हैं. आधिकारियों का कहना है कि अक्टूबर महीने के पहले चार दिन में हर दिन लगभग पांच हजार अफगान स्वदेश जा रहे हैं.
दिलों को बांटती दीवारें
बर्लिन की दीवार दुनिया भर में विभाजन का प्रतीक रही है. 26 साल पहले उसे गिरा दिया गया लेकिन इस बीच शरणार्थियों को रोकने के लिए यूरोप में कई जगह दीवार खड़ी करने की मांग हो रही है. एक नजर दुनिया भर की दीवारों पर.
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हंगरी ने बनाई बाड़
हंगरी में प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की सरकार ने सर्बिया की सीमा पर एक बाड़ लगवा दी है और यूरोपीय संघ के सदस्य क्रोएशिया के साथ लगी सीमा को भी पक्का करवा दिया है. ग्रीस के पश्चिमी बालकान के रास्ते आने वाले शरणार्थी हंगरी होकर ऑस्ट्रिया और जर्मनी जाना चाहते हैं.
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यूरोपीय आउटपोस्ट
उत्तरी मोरक्को में स्थित स्पेनी इनक्लेव मेलिल्या की सीमा को दुनिया भर की सबसे आधुनिक सीमा माना जाता है. सेउता की तरह ही मेलिल्या में भी छह मीटर ऊंची और दस किलोमीटर लंबी बाड़ ने शहर को घेर रखा है. इंफ्रारेड कैमरा और मोशन डिटेक्टर से लैस यह बाड़ अफ्रीका के शरणार्थियों को रोकने के लिए है.
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विभाजित द्वीप
साइप्रस की तथाकथित ग्रीन लाइन पर बाड़ लगी है. मलबे, वॉच टावर और दीवारें. 180 किलोमीटर की यह विभाजन रेखा इस सुंदर द्वीप को उत्तर के तुर्क और दक्षिण के ग्रीक हिस्से में बांटती है. बर्लिन दीवार के गिरने के बाद से निकोसिया दुनिया की अंतिम विभाजित राजधानी है.
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टॉरटिया दीवार
यूनाइटेड स्टेट्स बॉर्डर पेट्रोल के 20,000 पुलिसकर्मी अमेरिका और मेक्सिको की सीमा की चौबीस घंटे निगरानी करते हैं. टॉरटिया दीवार कही जाने वाली ये दीवार 1,126 किलोमीटर लंबी है. शरणार्थियों और स्मगलरों से सीमा की सुरक्षा के लिए वीडियो और इंफ्रारेड कैमरों के अलावा मूवमेंट डिटेक्टर, ड्रोन और सेंसर लगे हैं.
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बंटी पवित्र भूमि
यहां येरूशलेम की तरह इस्राएल और फलीस्तीनी सीमा कुछ चेकप्वाइंट पर ही पार की जा सकती है. सीमा पर यह सुरक्षा फलीस्तीनी आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए है. इसके बावजूद गजा पट्टी के खुद बनाई गई सुरंगों के जरिये हथियार और दूसरे सामान लाने में कामयाब हो जाते हैं.
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कोरिया में विसैन्यीकृत इलाका
यह दुनिया की सबसे ज्यादा निगरानी वाली सीमा है. बाड़ के अलावा 10 लाख बारूदी सुरंगें दक्षिण कोरिया और साम्यवादी उत्तरी कोरिया को एक दूसरे से अलग करती है. 248 किलोमीटर लंबी सीमा के दोनों ओर 1953 के कोरिया युद्ध के बाद से ढाई किलोमीटर चौड़ी विसैन्यीकृत पट्टी है, जिसमें घुसना मना है.
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उत्तरी आयरलैंड में शांति रेखा
कुल मिलाकार 48 शांति रेखाएं उत्तरी आयरलैंड में कैथलिक और प्रोटेस्टेंट मुहल्लों को बांटती हैं. राजधानी बेलफास्ट में सात मीटर ऊंची दीवार सीमा को बांटती है. इस दीवार में पैदल चलने वालों के लिए छोटा रास्ता और गाड़ियों के लिए दरवाजे हैं, जिन्हें रात में बंद कर दिया जाता है.
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सुरक्षा दीवार
यह दुनिया की सबसे लंबी बाड़ है. भारत और बांग्लादेश की सीमा पर 4,000 किलोमीटर लंबी बाड़. भारत में सक्रिय विद्रोही और आतंकवादी भागकर पड़ोस में चले जाते हैं. जीरो लाइन दो मीटर ऊंची बाड़ से बनी है जिसमें बिजली दौड़ाई जा सकती है. सीमा की निगरानी करीब 50,000 सैनिक करते हैं.
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विभाजन का प्रतीक
बर्लिन दीवार दुनिया भर में विभाजन का प्रतीक थी. 9 नवंबर 1989 को यह दीवार गिर गई. इसी के साथ पहले जर्मनी का और फिर यूरोप का विभाजन खत्म हुआ. और शीतयुद्ध की समाप्ति की शुरुआत हुई. इसके ऐतिहासिक महत्व के बावजूद दुनिया में सीमाएं बनी हुई हैं.
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मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को बताया कि पाकिस्तान में 16 लाख शरणार्थी रहते हैं. पाकिस्तान शरणार्थियों को अपने यहां जगह देने वाले दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. लेकिन यूएनएचसीआर का कहना है कि जुलाई के बाद अब इन शरणार्थियों का आंकड़ा बदलकर 14 लाख कर देना चाहिए. यूएन की एजेंसी का अनुमान है कि इनके अलावा पाकिस्तान में 10 शरणार्थी तो बिना दस्तावेज ही रह रहे हैं. पाकिस्तान 2009 के बाद से अफगान शरणार्थियों की वापसी की समयसीमा को लगातार बढ़ाता आया है, लेकिन मार्च 2017 की समयसीमा को आखिरी माना जा रहा है.
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि सीमा पर सख्ती की वजह से ज्यादा से ज्यादा लोग अफगानिस्तान लौट रहे है. हालांकि यूएनएचसीआर इसके लिए अन्य वजहों को भी जिम्मेदार बताती है. इनमें यूएनएचसीआर की तरफ से अपनी मर्जी से स्वदेश जाने वाले लोगों प्रति व्यक्ति नकद राशि 200 डॉलर से 400 डॉलर किया जाना भी शामिल है.
इसके अलावा अफगान सरकार ने अपने नागरिकों को आकर्षित करने के लिए "मेरा देश, सुंदर देश" मुहिम भी चलाई है. लेकिन तीन दशक से जारी युद्ध के कारण जर्जर अफगानिस्तान में अधिकारियों का कहना है कि बेघर लोगों की बढ़ती संख्या से निपटने सरकार और सरकारी एजेंसियों के लिए चुनौती बन रहा है.
रिपोर्ट: एके/वीके (एएफपी)
शरणार्थियों से फायदा उठाते कारोबारी
बाल्कान में शरणार्थियों की जरूरतें स्थानीय लोगों को पैसे बनाने का भी जरिया दे रही हैं. जरूरतमंदों के साथ लूटपाट और रिश्वतखोरी के मामले भी जोर पकड़ रहे हैं.
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परिवहन सेवा
बाल्कान में परिवहन सबसे बड़ा कारोबार बन गया है. लिरिडोन बिजाजली अल्बानियाई हैं जो कोसोवो में रहते हैं. वह प्रेसेवो शरणार्थी शिवर के बाहर 35 यूरो में क्रोएशिया का टिकट बेचते हैं. बजाजली बताते हैं कि बारटेंडिग की नौकरी में उन्हें दिन में 8 यूरो ही मिलते हैं जबकि टिकट बेचकर वह 50-70 यूरो कमा लेते हैं.
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हमदर्दी है, लेकिन मुनाफा जरूरी
हालांकि बजाजली शरणार्थियों के परिवार के साथ मोल भाव करते हैं जिनमें बच्चे भी होते हैं. उनके पास अक्सर पैसे नहीं होते. उन्होंने बताया, "मैं भी कभी शरणार्थी था इसलिए मैं समझ सकता हूं. ये सेवा मुफ्त होनी चाहिए. यूरोप सर्बिया को शरणाथियों की मदद के लिए पैसे देता है लेकिन हमारी सरकार ज्यादा कुछ नहीं करती."
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सप्लाई और डिमांड
प्रेसेवों के शरणार्थी शिविरों में 8,000 से 10,000 के करीब लोगों के लिए नजदीकी व्यवसायों को भी बढ़ावा मिला है ताकि उनकी मांगें पूरी की जा सकें. आसपास के रेस्तरां और दुकानें लगातार ग्राहकों से भरी रहती हैं. बिजाजली ने बताया, "इससे पहले मैंने कभी नहीं देखा कि सर्बिया में हैंबर्गर इतना महंगा बिक रहा हो."
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सिम कार्ड
खाने पीने के अलावा जो पहली चीज शरणार्थी खरीदना चाहते हैं वह है सिम कार्ड, ताकि वे अपने परिजनों से संपर्क कर सकें. इसके अलावा उम्र दराज लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ठेला गाड़ियों की भी खूब मांग है.
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जूतों की जरूरत
जैसे जैसे ठंड बढ़ रही है गर्म जूतों की मांग भी बढ़ती जा रही है. कई शरणार्थी पैरों में इंफेक्शन और ठंड से होने वाली अन्य समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं. शरणार्थी स्थलों के आसपास जूतों और जुराबों के स्टॉल भी बढ़ रहे हैं.
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दस्तावेज संबंधी काम
शरणार्थी संकट ने निपटने की कोशिश में इन्हें पनाह देने वाले देशों के सामने काजगी कार्रवाई भी बड़ी चुनौती है. प्रेसेवों में स्वतंत्र रूप से काम करने वाली डानिएला गाब्रिएल के मुताबिक कुछ बस ड्राइवरों ने क्रोएशिया जाने वाले आप्रवासियों से रजिस्ट्रेशन पेपर जमा करने शुरू कर दिए हैं. वे इन कागजों को सीमा पार करने के इच्छुक अन्य लोगों को बेच देते हैं.
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जाली जानकारी के शिकार
गाब्रिएल ने बताया कि कुछ बस ड्राइवर शरणार्थियों को क्रोएशिया ले जाने के लिए बसों में सवार करते हैं लेकिन वे उन्हें रास्ते में सर्बियाई शहरों के आस पास उतार देते हैं. गाब्रिएल मानती हैं कि इस तरह की जालसाजी से बचने के लिए प्रेसेवों के कैंपों के बाहर पूरी जानकारी को कई भाषाओं में अनुवाद करके लगाया गया है.
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हाईवे पर लूट
नाम गुप्त रखने की शर्त पर अन्य स्वयंसेवियों ने बताया उन्हें शरणार्थियों को सही बस की दिशा बताने पर धमकी मिलती है. वे चाहते हैं कि शरणार्थियों को टैक्सी ड्राइवरों का पता बताया जाए, जो कि असल में असुरक्षित विकल्प है. प्रेसेवो के स्वयंसेवी आलेक्जांडर ट्रावेले ने बताया कि 6 सदस्यों के एक परिवार को टैक्सी ड्राइवर ने 80 यूरो वसूलने के बाद बंदूक की नोंक पर लूट लिया. वे क्रोएशिया जा रहे थे.
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मौके का फायदा
बिजाजली ने बताया वह स्थानीय पुलिस को हफ्ते के 100 यूरो देते हैं ताकि वे बसों के टिकट बेचने का काम जारी रख सकें, "वे जो चाहते हैं उन्हें दे दो, फिर वे आपको अकेला छोड़ देते हैं." इसी तरह टैक्सी ड्राइवर भी पुलिस वालों को वसूली दे रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी पुलिस वाले ऐसा कर रहे हैं.
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हर समस्या का तोड़ है
ठंड बढ़ने के साथ होटल व्यवसाय को भी मुनाफा हो रहा है. लेकिन वे चुनिंदा लोगों को ही अपने यहां रहने की इजाजत देते हैं. वे जो सामान्य रेट से ज्यादा कीमत नहीं चुका सकते उन्हें होटल लौटा देते हैं.