बीएसएनएल ने अपने 1 लाख 76 हजार कर्मचारियों को फरवरी महीने की तनख्वाह नहीं दी है. कर्मचारी संगठनों ने संचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से जल्द से जल्द तनख्वाह देने की मांग की है. आखिर बीएसएनएल इस हाल में कैसे पहुंचा?
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साल 2016 में मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर विकास पर्व नाम से जश्न मनाया जा रहा था. तब दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सात साल में बीएसएनएल ने पहली बार मुनाफा कमाया है. बीएसएनएल को 672 करोड़ का फायदा हुआ है और चालू वित्त वर्ष में यह फायदा 2000 करोड़ तक पहुंचेगा.
फरवरी 2019 में बीएसएनएल के चेयरमैन अनुपम श्रीवास्तव ने दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन के सामने एक प्रजेंटेशन दिया. इसमें बताया गया कि कंपनी का कुल चालू घाटा 31,287 करोड़ रुपए हो गया है. इसे कम करने के लिए सरकार के सामने तीन विकल्प सामने आए. पहला, बीएसएनएल में रणनीतिक विनिवेश किया जाए. दूसरा, वित्तीय सहायता देकर कंपनी को दोबारा मजबूत बनाया जाए. तीसरा और आखिरी, कंपनी का कारोबार ही बंद कर दिया जाए. इस हालत में बीएसएनएल के पहुंचने की वजह क्या है?
स्मार्टफोन के चलते डाटा पैक की अहमियत बेहद बढ़ गई है. भारत में भी प्रति मोबाइल डाटा यूज बढ़ता जा रहा है. एक नजर सबसे ज्यादा डाटा खर्च करने वाले ओएसईडी देशों पर.
साल 2008 में बीएसएनएल की सहयोगी कंपनी में एमटीएनएल ने भारत में सबसे पहले 3जी सर्विस लॉन्च की. फरवरी 2009 में बीएसएनल ने 3जी सर्विस लॉन्च की. अप्रैल 2010 में प्राइवेट नेटवर्क ऑपरेटर्स को भी 3जी सर्विस लॉन्च करने का लाइसेंस दे दिया गया.
2016 में टेलिकॉम बाजार में एक नई कंपनी आई. इसका नाम है रिलायंस जियो. इसके मालिक भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी हैं. जियो केवल 4जी और वीओएलटीई नेटवर्क पर कॉलिंग वाला नेटवर्क है. वीओएलटीई नेटवर्क यानी वॉइस ओवर लॉन्ग टर्म इवॉल्यूशन में कॉलिंग भी इंटरनेट नेटवर्क के ऊपर होती है. इसमें आवाज साफ और स्पष्ट आने के साथ-साथ कॉल ड्रॉप भी कम होते हैं. जियो ने पहले कुछ समय के लिए अनलिमिटेड कॉल, मेसेज और डाटा फ्री दिया. इसके चलते बहुत तेजी से ग्राहक दूसरी कंपनियों को छोड़ जियो के साथ जुड़ने लगे.
क्या 5जी इंटरनेट खतरनाक है?
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टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने जियो को फ्री में सर्विस देने से मना किया तो जियो ने सस्ते टैरिफ प्लान ला दिए. जियो के आने से पहले एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और बीएसएनल चार सबसे बड़े नेटवर्क ऑपरेटर थे. जियो से टक्कर लेने के लिए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने अपने टैरिफ के रेट कम कर दिए. और इनके 4जी के दाम भी लगभग जियो के बराबर हो गए. हालांकि, जियो तब तक अपने 10 करोड़ से ज्यादा ग्राहक बना चुका था.
लेकिन इस रेस में एक कंपनी बहुत पीछे रह गई जिसका नाम है बीएसएनएल. क्योंकि बीएसएनएल ने अपनी 4जी सर्विस शुरू ही नहीं की. बीएसएनएल 4जी के जमाने में 3जी के साथ ही बना रहा. साथ ही, बीएसएनएल ने अपने 3जी टैरिफ के दाम कम नहीं किए. इसके चलते बीएसएनल को भारी नुकसान उठाना पड़ा.
अकसर इंटरनेट सर्फिंग के दौरान ब्राउजर कुछ ऐसे मैसेज दिखाता जिसके बाद उस साइट पर आगे बढ़ पाना मुश्किल हो जाता है. लेकिन क्या आप इन एरर्स मैसेज का मतलब जानते हैं. एक नजर ब्राउजर पर आने वाली इन एरर्स पर.
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पेज नॉट फांउड (404)
यह इंटरनेट ब्राउजिंग की सबसे आम एरर है. इसका सीधा मतलब होता है कि आपका ब्राउजर, उस वेबसाइट या सर्वर से जुड़ पाने में तो सक्षम हैं जिसकी तलाश में आप हैं लेकिन समस्या है कि वह असल में उस पेज को नहीं ढूंढ पा रहा है जिसे आप देखना चाहते हैं. इस एरर को वेब डिजाइनर और सर्वर एडमिन की मदद से आसानी से सुलझाया जा सकता है.
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बैड गेटवे (502)
यह कोई आम एरर नहीं है. इस एरर का मतलब है कि आपके निर्देशों को पूरा करते समय, वह सर्वर जो किसी गेटवे की तरह काम कर रहा है उसे अपस्ट्रीम सर्वर से सकारात्मक संदेश नहीं मिल रहे हैं. अकसर यह समस्या आपके कंप्यूटर के बाहर की होती है और एरर भी सर्वर में पैदा होती है. इसे सुलझाने के लिए किसी आम यूजर के पास अधिक विकल्प नहीं होते.
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सर्विस अनअवैलबल (503)
जब आप किसी वेबसाइट तक जाना चाहे और वह इसलिये न खुले क्योंकि उसके सर्वर पर वह सुस्त है तो ऐसी एरर आती है. यह समझा जा सकता है कि भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के बीच टाइम पीरियड में सामंजस्य न होना. यह एरर भी कंप्यूर के बाहर की है तो उपयोगकर्ता के पास इसे सुलझाने के लिए काई खास विकल्प नहीं है. अगर आपको सर्विस अनअवैलवल-डीएनएस फेल का संदेश मिलता है तो मतलब है कि समस्या यूजर के रुटर में हो सकती है.
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कनेक्शन टाइमआउट
यह बहुत आम एरर होती है. इसका मतलब होता है कि जो कमांड आप दे रहे हैं उसे आपका सिस्टम दिये गये समय में पूरा करने में सक्षम नहीं है. इसका कारण रूटर में गड़बड़ी या नेटवर्क प्रॉब्लम हो सकती है. यह एरर कोई और जानकारी नहीं देती इसलिए बेहतर होता है कि अगर उस वक्त कोई और वेबसाइट सर्फ की जाये और अगर आप दूसरी वेबसाइट सर्फ कर पाने में सक्षम होते हैं तो अमूमन यह माना जाता है कि समस्या उस खास साइट में होगी.
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अनेबल टू कनेक्ट
यह एरर आने पर समझ लेना चाहिए की आपका ब्राउजर आपके कमांड को पूरा इसलिए नहीं कर पा रहा है क्योंकि टारगेट सर्वर और वेबसाइट या तो मौजूद नहीं है या उस साइट के साथ कोई तकनीकी समस्या है. जब कभी आप अपने फायरवॉल या प्रॉक्सी सर्वर में कुछ बदलाव करते हैं तो कुछ साइट आपको ब्लॉक कर देती है, यह एरर मैसेज उस बदलाव का भी नतीजा हो सकता है. यह एरर, सर्वर नॉट फाउंड एरर की तरह ही होती है.
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मैलिशियस कंटेट वॉर्निंग
ये आज के मॉर्डन ब्राउजर का अच्छा फीचर है, ये वॉर्निंग यूजर्स को इंटरनेट स्कैम और स्कैंडल से बचाती है. अगर किसी साइट पर जाते वक्त ये एरर मैसेज आये तो समझ लेना चाहिए कि जिस साइट पर जाना चाहते हैं वह असल में वो नहीं है जिसकी तलाश में आप हैं. कई बार इन साइट पर जाने से पासवर्ड हैक होने और संवेदनशील जानकारियों के चुराये जाने का खतरा होता है.
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सर्टिफिकेट वॉर्निंग
सर्टिफिकेट एरर वे होती हैं जब ब्राउजर साइट के एसएसएल सर्टिफिकेट वाले असली मालिक की पहचान नहीं कर पाता है. इस स्थिति में ऐसे एरर मैसेज आते हैं. अगर आपका सामना कभी किसी ऐसी एरर से हो तो विशेषज्ञ इसमें छेड़खानी न करने का सुझाव देते हैं. इस स्थिति में हो सकता है कि वेबसाइट के साथ कोई आपत्तिजनक मसला हो तो बात बढ़कर साइबर क्राइम तक पहुंच सकती है.
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बीएसएनएल ही एक मात्र ऐसी कंपनी नहीं है जिसको 4जी की इस दौड़ का नुकसान हुआ हो. जियो के आने के बाद भारतीय बाजार से कई सारे छोटे मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटर गायब हो गए. टेलिनॉर, वीडियोकॉन, क्वाड्रेंट, एयरसेल, रिलायंस, टाटा इंडिकॉम और एमटीएस बंद हो गए. वहीं दो बड़े मोबाइल ऑपरेटर्स आइडिया और वोडाफोन ने आपस में समझौता कर दोनों एक कंपनी बन गए.
30 नवंबर 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया के 42 करोड़, एयरटेल के 34 करोड़, जियो के 27 करोड़ और बीएसएनएल के 11 करोड़ ग्राहक हैं. बीएलएनएल के ग्राहकों में कई सारे वो सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं जिन्हें सरकार की तरफ से मोबाइल सर्विस दी गई है. पहले तीनों बड़े सर्विस प्रोवाइडर कई सालों पहले से ही 4जी सर्विस दे रहे हैं. लेकिन बीएसएनएल साल 2019 में अपनी 4जी सर्विस लॉन्च कर रहा है. फिलहाल केरल और बिहार-झारखंड के कुछ जिलों में बीएसएनएल 4जी सर्विस दे रहा है.
इस सबके चलते बीएसएनएल का आर्थिक नुकसान बढ़ता चला गया. कंपनी का खर्च बढ़ता जा रहा है जबकि आमदनी घटती जा रही है. बीएसएनएल की कुल आमदनी का करीब 55 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होता है. और इस खर्च में हर साल आठ फीसदी की बढ़ोत्तरी हो जाती है. बीएसएनएल ने सरकार के सामने बैंकों से लोन लेकर अपने खर्चे पूरे करने का प्रस्ताव रखा लेकिन सरकार ने नामंजूर कर दिया.
इंटरनेट की दुनिया में वीपीएन
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सरकार ने कहा कि बीएसएनएल को अपने स्रोतों से पैसा जुटाना चाहिए. ये थोड़ा अजीब इसलिए है क्योंकि जियो समेत भारत की सभी टेलिकॉम कंपनियों पर बैंकों का कर्ज है. ऐसे में बीएसएनएल को कर्ज की मनाही थोड़ा अजीब है. बीएसएनएल के कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार प्राइवेट कंपनियों को बढ़ावा देना चाहती है इसलिए बीएसएनएल पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इसी आरोप को लेकर बीएसएनएल के देशभर के कर्मचारियों ने 19 फरवरी 2019 को हड़ताल की थी.
अब बीएसएनएल अपने कर्मचारियों की छंटनी करने पर भी विचार कर रही है. इसके लिए कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृति यानी वीआरएस देने, रिटायरमेंट की उम्र 60 से 58 साल करने और कर्मचारियों के ट्रैवल और मेडिकल अलाउंस में कटौती करने का प्रस्ताव रखा गया है. हालांकि इनमें से कोई भी कदम अभी अमल में नहीं लाया गया है.
अब सरकार बीएसएनएल को बनाए रखने के लिए कोई बड़ा कदम उठाती है या बीएसएनएल भी बंद होने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है, ये तो वक्त ही बताएगा.
चीन में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है. पूरे यूरोप की जितनी आबादी है, चीन में उतने लोगों के पास इंटरनेट पहुंच चुका है.
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चीन अव्वल
चीन में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ कर 73.1 करोड़ हो गई है. अब चीन दुनिया में इंटरनेट उपभोक्ताओं के मामले में अव्वल है.
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वृद्धि
चाइना इंटरनेट नेटवर्क इंफॉर्मेशन सेंटर के अनुसार 2016 में चीन में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या में 6.2 प्रतिशत का उछाल आया है.
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मोबाइल में दुनिया
चीन में 2016 के दौरान मोबाइल फोन के जरिए इंटरनेट चलाने वाले लोगों की संख्या 69.5 करोड़ रही और यह लगातार बढ़ रही है.
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कैशलेस
इंटरनेट के जरिए पेमेंट करने वालों की संख्या भी चीन में तेजी से बढ़ रही है. 2016 में 47.5 करोड़ लोगों ने ऑनलाइन पेमेंट किया.
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"इंटरनेट प्लस"
अर्थव्यवस्था में ऑनलाइन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए बीजिंग में “इंटरनेट प्लस” के नाम से खास प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है.
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बंदिशें
चीन दुनिया के उन चंद देशों में से एक है जहां इंटरनेट पर सख्त सेंसरशिप लागू है. वहां लोग गूगल और फेसबुक जैसे बड़ी वेबसाइट नहीं देख सकते.
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कारोबारी फायदा
इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से ई-कॉमर्स कंपनियों की चांदी हो रही है. 11 नवंबर को अलीबाबा की ऑनलाइन सेल में लोगों ने 17.8 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
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जीडीपी में योगदान
बड़े पैमाने पर इंटरनेट के इस्तेमाल का सीधा फायदा दुनिया की दूसरी सबसे बड़े अर्थव्यवस्था चीनी अर्थव्यवस्था को मिल रहा है.