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समाज

नवजात के लिए खतरनाक है मास्क पहनना!

२४ अप्रैल २०२०

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का कहना है कि अगर बच्चा दो साल से कम उम्र का है तो मास्क पहनाने के कारण उसे घुटन हो सकती है. बड़ों की तरह बच्चों को भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा रहता है. छोटे बच्चों को घर पर रखना ही बेहतर है.

Symbolbild - Säuglingsstation in Honduras
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Sierra

कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में अभिभावक अपने बच्चों को लेकर विशेष तौर पर चिंतित हैं. बच्चों को वायरस से बचाने के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं और करोड़ों बच्चे घरों में बंद हैं. लेकिन नवजात और दो साल के बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष चिंता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक जिस तरह से वयस्क को कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है उसी तरह से नवजात और कम उम्र के बच्चों को भी हो सकता है. सीडीसी का कहना है कि सामाजिक दूरी ही सबसे बेहतर विकल्प है कोरोना वायरस से बचाव के लिए लेकिन अगर दो वर्ष के आयु के ऊपर के बच्चों को बाहर ले जाया जा रहा है तो उन्हें मास्क पहनाया जा सकता है. नवजात और दो साल के उम्र के बच्चों को मास्क पहनाने से घुटन हो सकती है.

लंदन स्थित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.डैनियल एटकिंसन के मुताबिक नवजात और छोटे बच्चों को मास्क पहनाना खतरनाक हो सकता है. डॉ. एटकिंसन के मुताबिक, "शिशुओं को मास्क पहनाने से जोखिम हो सकता है. छोटे बच्चों की श्वास नलिका संकरी होती है जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. मास्क लगा होने से उन्हें और अधिक जोर लगाना पड़ सकता है." साथ ही डॉ. एटकिंसन कहते हैं कि अगर बच्चा चेहरे से मास्क हटाने की कोशिश करेगा तो उससे जख्मी होने का खतरा बना रहेगा. उनके मुताबिक कोरोना वायरस से बच्चों को बचाने के लिए सबसे बेहतर उन्हें घर पर ही रखना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी मास्क को लेकर कई दिशा निर्देश जारी कर चुका है. दिशा-निर्देश में मास्क के इस्तेमाल से लेकर उसको नष्ट करने तक बताए गए हैं. 

डॉ. एटकिंसन कहते हैं कि जोखिम लेने से अच्छा है कि घर पर रहकर इस बीमारी से बचें और व्यस्क सदस्य घर पर रहने के दौरान भी हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धोएं और हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करें. विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए. उनके मुताबिक अगर दो साल से कम उम्र के बच्चों को बाहर ले जाने की मजबूरी होती है तो उन्हें कंबल में अच्छी तरह से ढंककर ले जाएं इससे सांस लेने में तकलीफ नहीं होगी.

एए/सीके (एएफपी)

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