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"द्राख्मा और विनाश के कगार पर ग्रीस"

१२ मई २०१२

ग्रीस में गठबंधन सरकार बनने की संभावना लगातार कमजोर पड़ रही है और राष्ट्रपति कार्लोस पापोलियास पर दबाव बढ़ता जा रहा है. वित्तीय संकट में घिरे ग्रीस के लिए राहत पैकेज की अगली किश्त जरूरी है और कड़ी बचत भी.

वित्तीय के बाद राजनीतिक संकट में फंसा ग्रीसतस्वीर: AP

गठबंधन सरकार की तीन विफल कोशिशों के बाद ग्रीक राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की जरूरत है. संकट से उबरने के लिए एकता बनाए रखने की अपील के अलावा वह कुछ नहीं कर सकते. भ्रष्टाचार और कटौती और बचत से ऊबी और गुस्साई जनता ने चुनाव में उग्र दक्षिणपंथियों को वोट दिया. अब ऐसी स्थिति है कि दोनों ध्रुवों की पार्टियां तुलनात्मक रूप से मजबूत स्थिति में हैं लेकिन बहुमत किसी को नहीं. उदारवादी और विरोध करने वाली दक्षिणपंथी पार्टियों के बीच कोई तालमेल नहीं बैठ रहा. इधर जर्मनी के बैंक बुंडेसबांक के प्रमुख येन्स वाइडमान ने कहा है कि अगर ग्रीस बेल आउट की अगली किश्त चाहता है तो उसे अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करना होंगी. बचत और कटौतियां ग्रीस की मजबूरी है. नहीं तो यूरो जोन में उसकी सदस्यता मुश्किल में पड़ सकती है और दीवालिया होने का खतरा बढ़ सकता है.

ग्रीस के उदारवादी अखबार काथिमेरिनी के मुताबिक, "हम विनाश और द्राख्मा (पुरानी ग्रीक मुद्रा) से सिर्फ एक सांस की दूरी पर हैं. हमारे नागरिकों में अधिकतर इसे जान नहीं पा रहे हैं. यह बहुत खतरनाक है."

शुक्रवार को समाजवादी नेता पाजोक पार्टी के इवांगेलोस वेनिजेलोस की सरकार बनाने की कोशिशें विफल हो गईं क्योंकि कट्टर वामपंथी सिरिजा पार्टी ने बचत का समर्थन करने वाली समाजवादी और रूढ़िवादी पार्टियों के साथ खड़े होने से इनकार कर दिया.

अगर गुरुवार तक किसी समझौते पर सहमति नहीं बनती है तो नए सिरे से चुनाव करवाए जाएंगे. प्रधानमंत्री लुकास पापादेमोस ने राष्ट्रपति से कहा है कि नए चुनावों की स्थिति में वह ग्रीस के कार्यकारी प्रधानमंत्री नहीं रहना चाहते.

तीसरी बार की बातचीत भी विफलतस्वीर: dapd

राजनीतिक संकट में एक मुश्किल और तब आन खड़ी हुई जब जर्मनी ने देश को दिए जाने वाले राहत पैकेज रोक देने की धमकी दी. उधर नए सर्वेक्षणों ने संकेत दिए हैं कि जून में एक बार फिर चुनाव होने पर बचत का विरोध करने वाली धुर दक्षिणपंथी पार्टी सिरिजा को बहुमत मिल सकता है. उसे करीब 28 फीसदी मत मिल सकते हैं जो पिछले रविवार की तुलना में 11 प्रतिशत ज्यादा होंगे.

यूरो जोन पर की साढ़ेसाती खत्म होने को नहीं है. फ्रांस के नए राष्ट्रपति फ्रोंसुआ ओलांद विकास बढ़ाने की माला जप रहे हैं और यूरोपीय संघ के वित्तीय समझौते पर फिर बातचीत चाहते हैं. वहीं इस समझौते के दूसरे प्रमुख खिलाड़ी जर्मनी ने समझौते पर बातचीत सिरे से खारिज कर दी है.

एएम/एजेए (एएफपी,रॉयटर्स)

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