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द्वीप पर चीन जापान ताइवान की टक्कर

१३ सितम्बर २०१२

एक निर्जन द्वीप को लेकर चीन, जापान और ताइवान आमने सामने हैं. तीनों देश इस पर अपना अपना दावा जता रहे है. पूर्वी चीन सागर में यह द्वीप है. चीन सागर दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बीच मतभेद और विवाद का अहम मुद्दा है.

तस्वीर: AP

जापान का कहना है कि उसने ये द्वीप 2 करोड़ 60 लाख डॉलर में खरीदा है वहीं चीन का कहना है कि ये द्वीप उसकी जमीन का हिस्सा है. जापान में द्वीप को सेनकाकू कहते हैं जबकि चीन में इसे दियाओयू के नाम से जाना जाता हैं. पूर्वी चीन सागर में मौजूद इस द्वीप पर ताइवान भी अपना दावा जताता रहा है. हालांकि द्वीप पर इस वक्त जापान का कब्जा है.

मामला इतना बढ़ चुका है कि हांगकांग में जापान के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए हैं. जापानी दूतावास के सामने प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच भिड़ंत की खबर है. उधर बीजिंग में भी जापानी दूतावास के सामने लोगों ने प्रदर्शन किया है. प्रदर्शन के दौरान लोगों ने जापान का झंडा जला दिया और उसके खिलाफ नारे लगाए. ताइवान ने तो जापान से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है.

जापानी कार्यकर्ता विवादित द्वीप परतस्वीर: AP

चीन के समर्थन में पिछले महीने हांगकांग के कुछ प्रदर्शनकारी इस द्वीप तक पहुंच गए थे और उन्होंने वहां पर चीन का झंडा भी लहरा दिया था. त्सांग किन शिंग नाम के एक प्रदर्शनकारी का कहना है, "हम लोग जापान से बेहद नाराज हैं. जापान इस द्वीप का मुद्दा उछालकर लोगों की भावनाएं भड़काना चाहता है." उनका कहना है कि वह लोग एक बार फिर से द्वीप पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. इस बीच चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने एलान किया है, "ये द्वीप चीन का हिस्सा है और चीन अपनी संप्रभुता से कभी भी समझौता नहीं करेगा."

जानकार मानते हैं कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के नेताओं पर अंदरूनी राजनीति का दबाव बहुत ज्यादा है. इसीलिए दोनों देशों के नेता एक दूसरे के खिलाफ कड़ी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि जानकार सैन्य टकराव से इनकार करते हैं.

वहीं चीन के एक पूर्व सेना अधिकारी, सेवानिवृत्त मेजर जनरल लुओ युआन के मुताबिक, "चीन की सेना जापान से निबटने के लिए तैयार है. जापान अपने हवाई और समुद्री ताकत पर ज्यादा घमंड न करे. चीन की सेना ने जबरदस्त विकास किया है. आज उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता." उधर जापान के विदेश मंत्री कोइशिरो गेम्बा ने कहा, "कोई सवाल ही पैदा नहीं होता कि हम द्वीप वापस करेंगे."

चीन और जापान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अमेरिका भी चिंतित है. अमेरिका ने दोनों देशों को "तनाव न बढ़ाने" की सलाह दी है. तनाव का कुछ असर दोनों देशों के संबंधों पर दिखने लगा है. शंघाई मैराथन के अधिकारियों ने प्रायोजकों की सूची से जापानी कंपनी का नाम हटा दिया है. जापानी कंपनी टोरे इंडस्ट्रीज इस दौड़ के प्रायोजकों में से एक थी.

वीडी/एएम (एएफपी,डीपीए)

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