पाकिस्तान में इस्लामी कट्टरपंथियों की धमकियों के बावजूद 100,000 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों ने देश भर में पोलियो अभियान शुरू किया है. वे पोलिया के अंतिम गढ़ से इस वायरस को इस साल मिटाना चाहते हैं.
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दुनिया भर में होने वाले पोलियो के मामलों का 70 प्रतिशत पाकिस्तान में होता है. यह वायरस जिंदगी भर के लिए लकवे का कारण बन सकता है. इस बीच सरकारों द्वारा चलाए गए अभियान के कारण इसका पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर पूरी दुनिया में सफाया हो चुका है. कराची में रोटरी इंटरनेशनल के लिए इस अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर अशर अली कहते हैं, "हमने अपने प्रयास बढ़ा दिए हैं. यदि हम सामान्य कार्रवाई करते रहे तो इसका खात्मा कभी नहीं होगा."
पाकिस्तान में पिछले सालों में किए गए प्रयासों के कारण पोलिया के मामले कम हो रहे थे और 2014 के मुकाबले 2015 में पोलियो के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई और सिर्फ 54 मामले दर्ज किए गए. लेकिन उसके बाद इन मामलों में तेजी से वृद्धि हुई. मौजूदा अभियान का लक्ष्य मई तक देश के सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगाना है.
हाल के सालों में पाकिस्तान में पोलियो विरोधी अभियान हेल्थ वर्कर्स पर उग्रपंथियों के हमलों के कारण मुश्किलों में रहा है. इस्लामी कट्टरपंथी उन्हें पश्चिमी देशों का जासूस बताते रहे हैं और यह कहते रहे हैं कि टीके बच्चों के बंध्याकरण के लिए हैं. जनवरी में एक आत्मघाती हमलावर ने क्वेटा में एक पोलियो सेंटर पर हमला कर 15 लोगों की जान ले ली थी.
इस बीच पोलियो विरोधी राष्ट्रीय अभियान के नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में टीकों के महत्व को समझे जाने और सुरक्षा बंदोबस्त के कारण टीका लगाने वाली टीमों पर हमलों में कमी आई है. कम्युनिटी हेल्थ वर्कर जुबैरा बीबी कहती हैं, "जब मैंने काम करना शुरू किया, तो मैं डरी हुई थी, लेकिन अब डर नहीं है. इलाके के लोग अब हमें जानते हैं."
पोलियो अभियान को सबसे बड़ा धक्का तब लगा जब सीआईए ने एक पाकिस्तानी डॉक्टर को टीका अभियान की आड़ में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की जासूसी के लिए इस्तेमाल किया. कुछ ही समय बाद एक अमेरिकी सैनिक ऑपरेशन में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया. कुछ पिता अभी भी पोलियो टीका टीमों को अपने दरवाजे पर नहीं आने देते. कराची के निकट सुल्तानाबाद में पोलियो टीम में काम करने वाली रेहाना बीबी कहती हैं कि लोग मना करते हैं, लेकिन हम उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि बच्चों को पोलियो की बूंद देने से कोई नुकसान नहीं है.
एमजे/आईबी (रॉयटर्स)
पोलियो की जरूरी बातें
पोलियोमेलिटिस यानि पोलियो एक गंभीर वायरल बीमारी है. रीढ़ की हड्डी में संक्रमण पहुंचने के बाद पैरों को लकवा मार जाता है. पोलियो का वायरस पेट और आंत में बढ़ता है. खतरा तब तक बना रहता है जब तक लार या मल में वायरस जीवित हो.
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बच्चों को लाचार करता पोलियो
दुनिया के अधिकतर देश पोलियो को कल की बात समझ कर भूल चुके हैं. पर यह वायरस आज भी बच्चों पर हमला कर रहा है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर पोलियो वायरस का असर होता है. 200 में से एक मामले में बच्चा विकलांग हो जाता है. यह वायरस टांगों को लाचार कर देता है और इसका कोई इलाज मैजूद नहीं है.
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अब भी तीन देशों में
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया, इन तीन देशों से अब भी पोलियो का सफाया नहीं किया जा सका है. कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली और सुरक्षा कारणों से अब भी वहां पोलियो के खिलाफ जंग जीती नहीं जा सकी है. खतरा इस बात का भी है कि वायरस इन देशों से एक बार फिर दूसरे देशों में फैल सकता है.
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हो सकता है पूरी तरह सफाया
पोलियो वायरस की तीन नस्लें हैं. टाइप 2 का 1999 में ही सफाया हो गया था. टाइप 3 के मामले ना के बराबर ही हैं. ये वायरस इंसानी शरीर के बाहर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते. अगर सभी को टीका लगा हो तो यह वायरस संक्रमण नहीं कर पाता और जल्द ही खत्म हो जाता है.
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असरदार टीके
पोलियो के लिए दो प्रकार के टीके मौजूद हैं, ओपीवी और आईपीवी. ओपीवी यानि ओरल पोलियो वैक्सीन. दो बूंद की इस खुराक देने के लिए डॉक्टरों की जरूरत नहीं पड़ती. अधिकतर पोलियो अभियान में इसी का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं आईपीवी यानि इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन इंजेक्शन के जरिए दी जाती है.
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भारत में लाखों बूथ
13 जनवरी, 2011 को आखिरी बार भारत में पोलियो का मामला दर्ज किया गया. इस बीच भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया है. इसके पीछे सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का सहयोग अहम रहा है. पोलियो अभियान के दौरान एक ही राउंड में देश में 6,40,000 बूथ लगाए गए और 20 करोड़ खुराकों का इंतजाम किया गया.
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अभियान के फायदे
पोलियो अभियान के दौरान ना केवल घर घर बच्चों को "दो बूंद जिंदगी की" दी गयी, बल्कि उनके स्वास्थ्य का रिकॉर्ड भी तैयार किया गया. इससे अन्य बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलेगी. साथ ही कई जगहों पर बच्चों को विटामिन ए की गोलियां दी गयी ताकि बीमारियों से लड़ने की उनकी क्षमता बढ़ाई जाए.
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पाकिस्तान का डर
पाकिस्तान को डर है कि इस साल पोलियो के मामलों की संख्या 200 को पार कर सकती है. ऐसा होने पर यह देश में पोलियो अभियान शुरू होने के बाद से सबसे अधिक संख्या होगी. तालिबान का असर और कट्टरपंथियों की सोच पाकिस्तान को पोलियो मुक्त कराने के रास्ते के पत्थर बने हुए हैं.