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धरती की ओर बढ़ता विकिरण तूफान

२४ जनवरी २०१२

इस वक्त सूर्य अंतरिक्ष में जबर्दस्त गर्मी फैला रहा है.7 साल बाद एक बार फिर सूर्य से भारी विकिरण हो रहा है. धरती की तरफ 64 लाख किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रहे इस विकिरण तूफान का असर कई सेटेलाइटों पर पड़ सकता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका के अंतरिक्ष मौसम विभाग के मुताबिक विकिरण तूफान रविवार रात 11 बजे शुरू हुआ. बुधवार तक जारी रहने वाला विकिरण लगातार फैलता जा रहा है. नेशनल ओसियेनिक एंड एटोमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक यह विकिरण तूफान तीन चरणों में धरती से टकराएगा. अलग अलग समय पर तीन बार विकिरण धरती तक पहुंचेगा. लेकिन पृथ्वी पर पहुंचने से पहले विकिरण तूफान के रास्ते में कई उपग्रह आएंगे.

अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के पास बसे कुछ देशों में सेटेलाइट से जुड़ी दिक्कतें आ सकती है. नेशनल ओसियेनिक एंड एटोमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के भौतिकशास्त्री डग बीसेकर कहते हैं, "यह सिर्फ प्रकाश की चमक भर नहीं है. एक दूसरे से माला गूंथे भारी मात्रा में बड़ी तीव्रता से यह आगे बढ़ रहे है. इसकी रफ्तार 64 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा है."

तस्वीर: AP

सूर्य के विकिरण के प्रभाव को एक से पांच तक के स्केल पर आंका जाता है. बड़े विकिरण को 'कड़ा' कहा जाता है. रविवार को हुआ विकिरण कड़ा तो है पर बहुत ज्यादा घातक नहीं है. इसे S3 श्रेणी में रखा गया है.

नेशनल ओसियेनिक एंड एटोमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने जानकारी देते हुए कहा है, "उदाहरण के लिए यह, धरती की कक्षा में स्थापित सेटेलाइट्स के कंप्यूटर को प्रभावित कर सकता है. पोलर रेडियो कम्युनिकेशन को भी बाधित कर सकता है."

तस्वीर: AP

डग बीसेकर के मुताबिक हमेशा विकिरण तूफान का सबसे ज्यादा असर ध्रुवीय इलाकों में पड़ता है. वह कहते हैं, "ऐसी घटनाओं का बहुत ज्यादा असर नहीं डालती. लेकिन जो लोग जीपीएस के जरिए सेंटीमीटर तक बारीकी चाहते हैं उन्हें चिंता करनी होंगी. उन्हें नहीं जो 30 मीटर आगे जाकर अपनी कार मोड़ना चाहते हैं."

बिसेकर कहते हैं कि बृहस्पति से लेकर पृथ्वी तक अंतरिक्ष में फोटान कण ही भरे हुए हैं. संभव है कि विकिरण तूफान अपने साथ फोटान कणों की अदृश्य बारिश करे.

रिपोर्टः एपी, एएफपी/ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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