तिब्बत के आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा ने भारत के धार्मिक नेताओं की एक दुर्लभ बैठक की पहल की है. इसका उद्देश्य बलात्कार, सांप्रदायिक हिंसा और अन्य मुद्दों से निपटना है. भारत में इन दिनों धार्मिक हिंसा के मामले बढ़े हैं.
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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा इस हफ्ते धार्मिक नेताओं की दो दिवसीय बैठक कर रहे हैं. इस बैठक में भारत के आध्यात्मिक नेताओं को भी बुलाया गया है. एक बयान में कहा गया है कि बैठक में समाज को बीमार करने वाले मुद्दों को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक रणनीति निकाली जाएगी. दलाई लामा के सहयोगी गेलेक नामग्याल ने कहा कि देश में हिंसा के स्तर के साथ पर्यावरण की दुर्दशा और गरीबी को लेकर दलाई लामा अत्यंत चिंतित हैं.
दलाई लामा 1959 से भारत में निर्वासित जिंदगी बिता रहे हैं. नामग्याल ने कहा कि दलाई लामा की पहल हिंदू राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी सरकार की आलोचना करने के लिए नहीं है. भारत में मई महीने में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है. लेकिन दिल्ली में होने वाली बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत में सांप्रदायिक तनाव के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्पसंख्यक मुसलमानों में.
गेलेक नामग्याल ने कहा, "दलाई लामा ने आगे आने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह भारत में समस्याओं के बारे में चिंतित हैं. महिलाओं, बच्चों के खिलाफ हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा को लेकर उन्होंने सोचा कि कुछ व्यावहारिक करना चाहिए और जिन्हें मदद की जरूरत है उनके लिए साथ आकर कुछ करना चाहिए. उन्हें लगता है कि उनके जैसे आध्यात्मिक नेताओं की स्थिति को संबोधित करने की नैतिक जिम्मेदारी है."
इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए बुलाए गए लोगों में हिंदू धार्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, एक वरिष्ठ मुस्लिम मौलवी, मुंबई के आर्चबिशप और दिल्ली के यहूदी समुदाय के प्रमुख शामिल हैं. चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी पर आरोप लगे थे कि वह धर्म के आधार पर वोटों को बांटने की कोशिश कर रही है. बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह पर चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक तनाव भड़काने के आरोप लग चुके हैं. अमित शाह ने यह भाषण उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दिया. पिछले साल मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोगों को घरबार छोड़ना पड़ा था. भारत में महिलाओं से बलात्कार के मामले भी बढ़ गए हैं.
1959 में चीन में तिब्बतियों के दमन के बाद दलाई लामा भागकर भारत आए थे. तब से धर्मशाला के पास का पर्वतीय शहर मैकलॉयडगंज तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी है. दलाई लामा तिब्बत के लिए स्वायत्तता की वकालत करते आए हैं. चीन का आरोप है कि दलाई लामा छिपे तौर पर तिब्बत की आजादी के लिए अभियान चलाते हैं. दलाई लामा का कहना है कि वह चीन से अलग नहीं होना चाहते हैं बल्कि तिब्बत की स्वायत्तता चाहते हैं. चीन दलाई लामा को अलगाववादी बताता है.
एए/एमजे (एएफपी)
धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण
चाहे हिंदू हों, ईसाई, मुसलमान या फिर बौद्ध. सभी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे हैं. सभी के धर्मग्रंथों में पर्यावरण संरक्षण की बात कही गई है.
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जीवन चक्र
हिंदू दर्शन के मुताबिक ब्रह्मांड की रचना करने वाला कोई व्यक्ति या एक कहानी नहीं है. इसके अनुसार जन्म और मृत्यु के चक्र में सभी गुंथे हुए हैं. चाहे आत्मा हो, शरीर, दृश्य या अदृश्य सबका इस चक्र में महत्व है.
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संतुलन जरूरी
जीवन का प्राकृतिक चक्र बना रहना चाहिए, जो भी कुछ ले रहा है, उसे लौटाना जरूरी है. भगवद् गीता में कर्मयोग के तीसरे अध्याय का 12वां श्लोक कहता है, 'ईश्वर त्याग (यज्ञ) से प्रसन्न हो लोगों की इच्छाएं पूरी करते हैं. जो लोग इनका उपयोग तो करते हैं लेकिन लौटाते कुछ नहीं, वह चोर हैं.'
तस्वीर: Axel Warnstedt
प्रकृति के साथ
बौद्ध धर्म में भी माना जाता है कि प्रकृति और इंसान एक दूसरे पर निर्भर हैं. जिसे भी ज्ञानबोध या मुक्ति चाहिए उसे महसूस करना होगा कि उसमें और दूसरे प्राणियों में कोई फर्क नहीं है. जन्म और मृत्यु का चक्र तभी तोड़ा जा सकता है जब ज्ञान प्राप्त कर साधक निर्वाण की स्थिति में पहुंच जाए.
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सब जुड़ा है
पाली त्रिपिटक में कहा गया है कि प्रकृति में पाई जाने वाली सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी हैं. अगर यह है तो वह भी होगा. इसके साथ वह भी आएगा. अगर ये नहीं होगा तो वह भी नहीं. इसके खत्म होने के साथ उसका भी अंत होगा.
तस्वीर: Mixtribe-Photo / CC BY 2.0
ईश्वर की रचना संभालो
आदम और हव्वा स्वर्ग के बगीचे, ईडेन गार्डन में ईसाई और यहूदी दोनों का मानना है कि भगवान ने अपनी रचना को बचाने का काम इंसान को दिया है. जेनेसिस में कहा गया है, ईश्वर ने पुरुष को ईडेन में काम करने और देखभाल करने के लिए रख दिया.
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मशहूर पंक्तियां
ईश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया और कहा, 'सफल रहो और अपनी संख्या बढ़ाओ. धरती को भर दो, उसे अपने कब्जे में ले लो. सागर की मछली, हवा में उड़ती चिड़िया और वहां पाए जाने वाले हर प्राणी को अपने अधीन कर लो.' जेनेसिस.
तस्वीर: Axel Warnstedt
मुख्य विचार समान
मूसा की पहली किताब में सृष्टि की रचना की कहानी है. इसे तोराह कहते हैं. ईसाई और यहूदी धर्मग्रंथों में मुख्य विचार एक जैसे ही हैं.
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बेस्टसेलर
रचना की कहानी बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट का केंद्रीय हिस्सा है. जिसमें यहूदी बाइबिल के हिस्से हैं. बाइबिल दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने और छपने वाली किताब है.
तस्वीर: Axel Warnstedt
इस्लाम में
अपने मानने वालों से इस्लाम भी अल्लाह की रचना को बचाने को कहता है. मनुष्य को अल्लाह की रचना का इस्तेमाल करना चाहिए लेकिन सावधानी से. कुरान का सूरा ए रहमान कहता है कि किस तरह खुदा ने सूरज, चांद और आसमान की गति निर्धारित की है. उसी ने पेड़ पौधे बनाए हैं. उसने ही संतुलन तय किया.
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जागरूकता
कुरान धर्मावलंबियों को विस्तार से और ठोस निर्देश देती है. कुरान में कई जगह पर प्रकृति से व्यक्ति के संबंध को बताया गया है.