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धीर धरे मिस्र की जनता

१ जुलाई २०१३

सोमवार को मिस्र में लाखों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी के इस्तीफे की मांग के साथ सड़कों पर उतर आए. उधर चरमपंथियों ने मुस्लिम ब्रदरहुड के दफ्तर को आग लगा दी है.

तस्वीर: DW/Nael Eltoukhy

2011 में होस्नी मुबारक को हटाने के लिए तहरीर चौक पर हुए प्रदर्शनों के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. काहिरा में पांच लाख लोग सड़कों पर थे और करीब इतने ही सिकंदरिया में. युवा प्रदर्शनकारी वामपंथी और उदारवादी पार्टियों के साथ मिल गए और रविवार को इस्लामी राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी के सत्ता में आने के एक साल पूरे होने पर जबरदस्त विरोध हुआ. लोग इस सरकार को हटाने की मांग कर रहे हैं.

अरब जगत में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के पहले चुने हुए राष्ट्रपति अब तक सामने तो नहीं आए लेकिन प्रवक्ता के जरिए यह संदेश जरूर भिजवाया है कि उन्होंने कुछ गलतियां की हैं और वो उन्हें सुधारने के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने सत्ता छोड़ने का कोई संकेत नहीं दिया है.

तस्वीर: DW/M. Sailer

दर्जनों चरमपंथियों ने शॉटगन और पेट्रोल बमों के साथ मुस्लिम ब्रदरहुड के राष्ट्रीय मुख्यालय पर हमला किया और इसमें भारी तोड़ोफोड़ करने के बाद आग लगा दी. चरमपंथियों ने पूरे देश में मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक पार्टियों के दफ्तरों को निशाना बनाया है. मुख्यालय की रक्षा के लिए कोई पुलिस या दमकल विभाग का कर्मचारी नजर नहीं आ रहा था. चश्मदीदों के मुताबिक इमारत के अंदर से गार्ड ने हमलावरों पर फायरिंग की. अस्पताल से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दो लोगों की मौत हुई है और 11 लोग जख्मी हुए हैं.

भारी विरोध प्रदर्शनों ने यह साफ है कि सत्ताधारी मुस्लिम ब्रदरहुड ने इस्लामी शासन स्थापिक करने की कोशिश में न सिर्फ उदारवादियों और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को अलग थलग किया बल्कि आम लोगों को भी आर्थिक अव्यवस्था के कारण नाराज होने का मौका दे दिया है. देश में पर्यटन और निवेश का सूखा पड़ा है, महंगाई आसमान छू रही है, ईंधन की सप्लाई घट गई है और बिजली की कटौती गर्मियों में और जला रही है.

विरोध प्रदर्शन के आयोजकों ने मिस्रवासयों से पूरे देश में मुख्य चौराहों पर कब्जा करने की अपील की है और मुरसी के सत्ता से हटने तक सविनय अवज्ञा के तहत कब्जा कायम रखने को कहा है. दसियों हजार से ज्यादा लोग काहिरा के तहरीर स्क्वेयर पर आधी रात के बाद भी डटे रहे.

तस्वीर: DW/M. Sailer

सेना पर नजर

इन घटनाओं के बाद अब सबकी नजर सेना पर है. रिछले हफ्ते राजनेताओं से देश की समस्या सुलझाने में सहयोग का अनुरोध करने के बाद रविवार को उसने निष्पक्ष रुख बनाए रखा. बिना वर्दी के कुछ पुलिसकर्मी काहिरा और सिकंदरिया में विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए और नारा लगाया, "पुलिस और जनता एक है." इसके अलावा कई वरिष्ठ अधिकारियों ने तहरीर चौक पर भीड़ को संबोधित भी किया. यह शंका बनी हुई है कि सड़कों को खाली कराने के लिए मुरसी सुरक्षा बलों पर भरोसा कर सकेंगे या नहीं. राजनयिकों का कहना है कि मुबारक के हटने के बाद के दौर में देश संभालने वाली सेना ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वो सरकार चलाने के लिए तैयार नहीं है. अगर हिंसा बेकाबू हो जाए या राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लगी हो तो और बात है.

मुख्य विरोध प्रदर्शन तो शांतिपूर्ण और उत्साह से भरा था लेकिन दूसरी जगहों पर हिंसा की खबरें हैं. अब तक सात लोगों के मारे जाने की बात कही गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश भर में सड़कों पर हुई फायरिंग में 613 लोग घायल हुए हैं. महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि तहरीर चौक पर रैली के दौरान कम से कम 43 महिलाओं के साथ यौन दुर्व्यवहार हुआ इनमें एक विदेशी पत्रकार भी है. मिस्र के चार मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया है.

आगे क्या होगा?

विपक्षी नेता दिसंबर और जनवरी में विरोध प्रदर्शन को चढ़ते उतरते देख चुके हैं. सोमवार दोपहर वो अपने अगले कदम के बारे में विचार करने के लिए बैठक करने वाले हैं. इस बीच कतर में रहने वाले असरदार मुस्लिम नेता शेख यूसेफ कारादवी काकिरा आ रहे हैं, उन्होंने मिस्रवासियों से अपील की है कि वह मुरसी के साथ थोड़ा और धैर्य दिखाएं. उन्होंने यह भी माना कि राष्ट्रपति से कुछ गलतियां हुई हैं.

अमेरिका और यूरोपीय संघ ने मुरसी को विपक्ष के साथ सत्ता में साझेदारी का अनुरोध किया है. उनका कहना है कि सिर्फ राष्ट्रीय सहमति ही मिस्र को आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकती है और लोकतांत्रिक संस्थाओं का ढांचा खड़ा कर सकती है.

एनआर/एएम (एएफपी, रॉयटर्स)

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