वीडियो कर्नाटक के नागरहोल जंगल का है. इसे वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी के वैज्ञानिक विनय कुमार ने रिकॉर्ड किया. विनय के मुताबिक वीडियो अप्रैल 2016 में लिया गया. महीनों बाद विनय को वीडियो की अहमियत का अंदाजा हुआ, फिर उन्होंने मार्च 2018 में यह वीडियो अपलोड किया.
विनय समेत दुनिया भर के वैज्ञानिक और हाथी एक्सपर्ट वीडियो से हैरान हैं. किसी को समझ नहीं आ रहा है कि हाथी ऐसा क्यों कर रहा है. एक बयान जारी करते हुए वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी (इंडिया) ने कहा, "एक जंगली हाथी के इस तरह व्यवहार करने का यह पहला वीडियो डॉक्यूमेंटेशन है और विशेषज्ञ इस पहेली में उलझ चुके हैं."
विनय कुमार अप्रैल 2016 में वह अपनी टीम के साथ नागरहोल के जंगल में घूम रहे थे. टीम, कैमरा ट्रैप की मदद से इलाके में बाघों की तस्वीरें लेना चाह रही थी. लेकिन तभी उसकी नजर 50 मीटर दूर एक हथिनी पर पड़ी. कुमार के मुताबिक, "ऐसा लगा जैसे हथिनी धूम्रपान कर रही हो, वह अपनी सूंड को बिल्कुल राख के पास ले जा रही थी और फिर सांस के जरिए धुआं अंदर बाहर कर रही थी."
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी (इंडिया) के बयान के मुताबिक वहां तारकोल जल रहा था, हथिनी शायद धूम्रपान के जरिए उसी की खुराक लेना चाह रही थी. जंगल में आग लगने या बिजली गिरने से अक्सर पेड़ जलते हैं. जलने के प्रक्रिया में कुछ पेड़ तारकोल में तब्दील होते हैं. तारकोल को आम तौर पर बेहद हानिकारक माना जाता है. उसमें पोषक तत्व भी नहीं होते हैं, तो फिर हथिनी तारकोल क्यों लेना चाह रही थी, वैज्ञानिक इस सवाल में उलझे हैं.
विशेषज्ञों को लग रहा है कि शायद तारकोल में कोई औषधीय गुण हो सकते है, जिसका इस्तेमाल करना हाथी जानते हैं. लेकिन अभी यह कयास ही है. नागरहोल का यह वीडियो हाथियों के व्यवहार को लेकर देर सबेर यह नई जानकारी सामने लाएगा.
कर्नाटक में मैसूर के पास मशहूर नागरहोल नेशनल पार्क तरह तरह के जानवरों की पनाहगाह है. यूनेस्को भी इसे ऐतिहासिक धरोहर मानता है. देखते हैं यहां के कुछ खूबसूरत जानवरों को.
तस्वीर: UNIभारत में शिकार ने तेंदुओं की पूरी प्रजाति को संकट में डाल दिया है. 1994 से 2000 के बीच करीब 3000 तेंदुओं का शिकार कर लिया गया. लेकिन अगर उन्हें ऐसे माहौल में रखा जाए, तो उन्हें बचाया जा सकता है.
तस्वीर: UNIखूबसूरत चितकबरे धब्बों वाले हिरणों को चीतल कहा जाता है. भारत में पाई जाने वाली कई प्रजातियों में चीतल भी एक है. यह भी शिकार से बुरी तरह प्रभावित प्रजाति है. यह दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में भी मिलता है.
तस्वीर: UNIआम तौर पर चीतल झुंडों में चरते हैं. साथ पानी पीने जाते हैं. आम तौर पर ये आवाज नहीं करते और चुपचाप अपना चारा चरते रहते हैं. लेकिन अगर खतरा नजर आ जाए, तो गोली की रफ्तार से कुलांचे भर सकते हैं.
तस्वीर: UNIइन जानवरों को सबसे ज्यादा खतरा इंसानों से है. यूं तो ये नरभक्षी जानवरों की खुराक हैं लेकिन कई बार शिकार के चंगुल में भी फंस जाते हैं. पश्चिमी देशों में सड़क हादसों में भी कई हिरणें मारे जाते हैं.
तस्वीर: UNIभारत में कई प्रजातियों के हिरण पाए जाते हैं, जिनमें चीतल और सांबर सबसे सामान्य हैं. हालांकि कभी कभी काला हिरण और कस्तूरी मृग भी नजर आ जाते हैं, जो विलुप्त होती प्रजाति के हैं.
तस्वीर: UNIजानवरों के साथ पक्षियों के लिए भी नागरहोल में काफी जगह है. पश्चिमी घाट के किनारे बना यह राष्ट्रीय पार्क मौसम के लिहाज से भी अच्छा है. यहीं विशाल वृक्ष की शाखा पर आराम फरमाता एक लाल पांडा.
तस्वीर: UNIयह परिंदा जरूर सोचता होगा कि आखिर इंसानों को उसमें क्या खराबी नजर आई, जो ऐसा मुहावरा बना दिया. उल्लू सबसे समझदार पक्षियों में गिना जाता है.
तस्वीर: UNIये प्रवासी पक्षियां हैं, जो कहीं दूर से उड़ कर नागरहोल तक पहुंची हैं. बस कुछ दिन का ठिकाना है, फिर उड़ जाना है.
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